अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से सिर्फ 6 हफ्ते पहले टीवी पर एक ऐसा बहस का शो में हिस्सा लेते हैं जो उन्हें दुनिया की सबसे ताकतवर कुर्सी के समीप ले जा सकता हैं. सिर्फ 90 मिनट में 100 रैलियों की भीड़ को कवर कर सकता हैं. लोगों तक अपनी बात पहुँचाने और खुद की क्षमता दिखाने का सबसे शानदार चुनावी मंच है.
अमेरिका में मुख्य रूप से दो राजनीतिक पार्टी हैं, रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक. अमेरिका के रियल स्टेट कारोबारी डोनाल्ड ट्रम्प जिन्हें राजनीति का अनुभव नहीं हैं लेकिन अपने तेज़-तर्रार भाषण और मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों से सुर्खियों में बने रहते हैं, डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार हैं.
दूसरी तरफ़ ओबामा सरकार में विदेश मंत्री रही हिलेरी क्लिंटन हैं, जिन्हें राजनीति का अच्छा-खासा अनुभव हैं.
1960 से प्रत्येक राष्ट्रपति चुनाव के पहले दोनों पार्टी के उम्मीदवारों का लाइव बहस कराया जाता हैं. जिससे जनता तक अपनी बात पहुँचा सके और जनता भी आकलन कर सके. 3 बहसों की इस पहली कड़ी को लगभग 10 करोड़ लोगों ने देखा.
महीनों के प्रचार अभियान के बाद मंगलवार को पहली बार दोनों आमने-सामने थे. बहस शुरू होने के कुछ देर बाद ही निजी हमले शुरू हो गए. ट्रंप ने हिलेरी की क्षमता को राष्ट्रपति पद के लिए नाकाफी बताया.
ट्रंप ने बेरोज़गारी पर कहा क़ि के ”देश से नौकरियां जा रही है. ये नौकरियां मेक्सिको जा रही है. वे कई अन्य देशों में जा रही हैं. आप देखिए कि चीन हमारे उत्पाद बनाने के संदर्भ में हमारे देश के साथ क्या कर रहा है.”
ट्रंप ने चीन पर हमला करते हुए कहा, ‘वे अपनी मुद्रा का अवमूल्यन कर रहे हैं और हमारी सरकार में ऐसा कोई नहीं है, जो उनके खिलाफ लड़े. क्योंकि चीन के पुनर्निर्माण के लिए हमारे देश का इस्तेमाल गुल्लक की तरह किया जा रहा हैं और कई अन्य देश भी यही चीज कर रहे हैं.’
दोनों ने अर्थव्यवस्था और नौकरियों के मुद्दे पर एक दूसरे को घेरते हुए तथ्यों को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाए. हिलेरी ने सबसे पहले लाखों दर्शकों से अपनी वेबसाइट देखने को कहा. ट्रंप ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, और मेरी भी वेबसाइट देखिए. ट्रम्प ने कहा क़ि वह अमेरिका को फिर से महान बनाना चाहते हैं.
हिलेरी ने ट्रंप को नस्लवादी करार दिया. हिलेरी ने ट्रम्प को महिलाओं और नस्लीय टिप्पणी के मुद्दे पर लगभग चुप ही करा दिया. राष्ट्रपति बराक ओबामा पर नस्लीय टिप्पणी का ज़िक्र कर जनता के बीच सांत्वना बटोरने की कोशिश भी हुई.
कर भुगतान के मुद्दे पर ट्रम्प ने जवाब देते हुए कहा कि यदि हिलेरी 33 हजार डीलीटेड ई-मेल संदेशों को जारी कर दें तो वह भी कर भुगतान का ब्योरा सार्वजनिक कर देंगे. ट्रम्प बहस के दौरान कई बार अनियंत्रित दिखे.
हिलेरी ने अपने राजनीतिक अनुभव को हथियार बना ट्रम्प पर वार किया. उन्होंने कहा,”112 देशों की यात्रा करने, शांति समझौते को अंजाम तक पहुंचाने, संघर्ष विराम को अमल में लाने और संसदीय समिति के समक्ष 11 घंटे का समय बिताने के बाद ट्रंप मुझसे क्षमता की बात ना ही करें तो अच्छा रहेगा.”
ट्रम्प ने हिलेरी के अनुभवी होने पर कटाक्ष किया की “इन्हें लंबा अनुभव ज़रूर हैं, लेकिन बुरा अनुभव हैं. देश 4 साल और इन्हें नहीं झेल सकता.”
ट्रम्प ने इस्लामिक स्टेट के अस्तित्व में आने को भी ओबामा सरकार को जवाबदार माना. ट्रम्प ने इराक से अपनी सेना वापस लाने को सबसे बड़ी गलती बताया. सीधे हिलेरी पर वार करते हुए उन्होंने कहा की इनके पास इस्लामिक स्टेट को ख़त्म करने के लिए ना कोई योजना हैं ना ही इच्छाशक्ति.
हिलेरी ने इसका जवाब देते हुए बताया कि आतंकी संगठन को खत्म करने के लिए योजना बनाई गई है.
ट्रम्प द्वारा इराक का ज़िक्र करते ही हिलेरी ने इराक युद्ध पर ट्रंप को घेरने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि डोनाल्ड ट्रम्प ने इराक युद्ध का समर्थन किया था. ट्रंप ने इसका आक्रामक रूप से खंडन किया.
90 मिनट चले इस वाक् युद्ध में नौकरियों, टैक्स, इराक युद्ध और इस्लामिक स्टेट को लेकर दोनों में बहस हुई. हिलेरी ने अपने राजनीतिक अनुभव का फायदा उठाते हुए तथ्यात्मक बात कर ट्रम्प को रक्षात्मक होने पे मज़बूर कर दिया.
मीडिया की माने तो बहस के बाद सर्वे में 62% लोगों ने हिलेरी का समर्थन किया, जबकि ट्रम्प के समर्थन में 27% लोग आये. परन्तु ज्यादातर अमेरिकी लोग क्या सोचते हैं इसका अंदाजा हमें इन पोल्स से पता चल जायेगा.
हिलेरी और ट्रंप ने हारने या जीतने की स्थिति में जनता के सर्वोपरि होने की बात स्वीकार की.
लेकिन अगर जनता की माने तो ट्रंप है ज्यादा लोगो की पसंद
फार्च्यून में मुकाबला टक्कर का था पर बाज़ी मारी ट्रंप ने
एनजे डॉट कॉम के हिसाब से भी हिलेरी पिछड़ती ही नज़र आई.
टाइम पे तो ट्रंप ने मुकाबला लगभग एकतरफ़ा ही कर दिया
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