यूपी में भाजपा के पास जिस महिला नेता की कमी थी, वो पूरी हुई

स्वाति सिंह

साभार: thehindu.com

आपके व्यक्तित्व की चमक अक्सर आपकी भाषा शैली,सादगी, निडरता एवं दृढ निश्चयिता से झलकती है| जब भी आप किसी गलत कार्य एवं समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरोध में अपने स्वर ऊँचें करते है उस समय जनता को एकजुट करने के लिए आपको इन महत्वपूर्ण बिंदुओंपर अत्यधिक कार्य करना होता है|आज हम बात करेंगे,इन सभी बिन्दुओं से परिपूर्ण तेजतर्रार महिला नेत्री एवं नवनियुक्त भाजपा महिला मोर्चा, प्रदेश अध्यक्ष स्वाति सिंह जी की जिन्होंने इस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर रखी है|

अभी कुछ समय पहले की ही बात है जब भाजपा नेता दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर अभद्र टिप्पणी कर आफत मोल ले ली थी और जिसकी वजह से उन्हें भारी आलोचना और विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा था| मामले को तूल पकड़ता देख भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्काषित कर दिया था लेकिन इसके बाद हुए घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला दिया|

दयाशंकर सिंह के विरोध में बसपा द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में देखते ही देखते पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा उनकी माँ और बेटी पर अमर्यादित टिप्पणी की जाने लगी जिसके फलस्वरूप दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह को सामने आना पड़ा और अपनी बेटी और माँ के सम्मान के लिए उनके मोर्चा सँभालते ही बसपा बैकफुट पर चली गयी|

स्वाति सिंह की दहाड़ती आवाज ने देश भर की मीडिया कैमरों को उनकी ओर मोड़ने के लिए मजबूर कर दिया|

दूसरी ओर भाजपा ने “नारी सम्मान में, भाजपा मैदान में” का आह्वाहन कर बसपा खेमे में मची उथल पुथल और बढ़ा दी| ऐसे समय में स्वयं मायावती भी इस सन्दर्भ में कुछ बोलने से कन्नी काट रही थी और इससे अलग स्वाति सिंह लगातार उन्हें अपने खिलाफ किसी भी सामान्य सीट से चुनाव लड़ने की चेतावनी देती जा रही थी|

खैर यह मामला शांत ही होने वाला था कि भाजपा ने अपनी नयी राजनैतिक चाल के तहत स्वाति सिंह को भाजपा महिला प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर सियासी गलियारों की चर्चाओं को एक नया विषय दे दिया है| स्वाति सिंह के आने से भाजपा को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावो में कितना लाभ पहुचेगा, आइये जानते है एक नजर में:-

क्षत्रिय समाज के मतदाताओं को रिझाने का प्रयास:-

क्षत्रिय समाज का इतिहास शूरवीर वीरों एवं वीरांगनाओ के बलिदानों की अमर गाथाओं से भरा पड़ा है, इस समाज के रक्तरंजित बलिदानों ने भारत के इतिहास में अनेकों स्वर्णिम अध्याय जोड़े हैं|

प्रदेश के परिपेक्ष में बात करें या देश के, क्षत्रिय समाज अक्सर अपने समाज से जुड़े हुए हर संवेदनशील मामलों में एकजुट खड़ा होता रहा है फिर चाहे वो “रघुराज प्रताप सिंह” उर्फ़राजा भैया का मामला हो या फिर राजस्थान के राजपरिवार की संपत्ति से जुड़ा हुआ मामला|आप राजनाथ सिंह की बात करें या वीके सिंह की, क्षत्रिय समाज अपने समाज के नेताओं के लिए दिन प्रतिदिन अपना ग्राफ बढाता ही जा रहा है| ऐसे समय में जबकि उत्तर प्रदेश में समाज से महिला नेत्रियों में कोई विशेष चेहरा नहीं है, समाज द्वारा स्वाति सिंह को क्षत्रिय शेरनी/वीरांगना के रूप में प्रोजेक्ट करने सेभाजपा को ब्रह्मास्त्र मिल गया है| पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड तक और अवध से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक विभिन्न क्षत्रिय संगठनों द्वारा स्वाति सिंह के नेतृत्व में आयोजित की जाने वाली रैलियों मेंजुटने वाली भीड़ भाजपा के लिए एक सकारात्मक सन्देश लेकर आ रही है|

महिला सशक्तिकरण और महिला वोटरों के ध्रुवीकरण का प्रयास:-

स्वाति सिंह जिस तरह से बसपा के नेताओं पर बरस रही थी, प्रदेश की महिलायें उनके इस रौद्र रूप को टेलीविजन के माध्यम से देख रही थी| महिलाओं में उनकी छवि एक लड़ाकू नेतृत्व के रूप में देखी जा रही है जो किसी भी मंच पर महिलाओं के हितों से जुड़े विषयों को निडरता के साथ उठा सकती है| जिस आत्मशक्ति के साथ उन्होंने अपनी माँ और बेटी के सम्मान के विषय को उठाया, उसे प्रदेश की महिलायें एक सकारात्मक सन्देश की तरह देख रहीं हैं कि नारी सम्मान से जुड़े हुए किसी भी विषय पर निर्भीकता से अपने भावों को समाज में रखा जाना चाहिए साथ ही साथ स्वाति सिंह की भाषा शैली से उर्जवान्वित महिलाए आने वाले विधानसभा चुनावों में बड़ा फेरबदल करने को तैयार हो सकती है|

भाजपा महिला मोर्चा में सक्रियता लाने की कोशिश:-

स्वाति सिंह को प्रांताध्यक्ष बनाने के पीछे एक और अति महत्वपूर्ण मंशा है जो कि सुस्त पड़ी महिला विंग में सक्रियता लाने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है|महिला मोर्चा को हमेशा से एक ऐसे सशक्त नेतृत्व की तलाश थी जो महिलाओं में मुखर नेता के रूप में जानी जाती हो और समय आने पर स्वयं मोर्चा खोलकर विपक्षियों पर दहाड़ सके| उनकेरूप में भाजपा को संगठनात्मक रूप से भी एक संजीवनी प्राप्त हो गयी है जिसके द्वारा महिलाओं को वृहद स्तर पर जोड़ने की एक मुहिम चलायी जा सकेगी और आगामी चुनावों में भी इसका सीधा फायदा पहुच सकेगा|

सवर्ण मतदाताओं के रुझान को अपनी ओर करने का प्रयास:-

बसपा नेताओं द्वारा स्वाति सिंह के माँ-बेटी पर की गयी अभद्र टिप्पणी के बाद जिस प्रकार से स्वाति सिंह की लोकप्रियता बढ़ी है उसी प्रकार सवर्ण मतदाताओं में भी बसपा नेताओ के प्रति गुस्सा देखने को मिला है|स्वाति सिंह के प्रदेशाध्यक्ष प्रोजेक्ट किये जाने के बाद से नैतिकता और सहानुभूति के नाम पर सवर्ण मतदाताओं के रुझानको धीमे धीमे भाजपा की ओर करने का प्रयास किया जा रहा है| जिसेइन विधानसभा चुनावों में मजबूत कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है|

बहरहाल आने वाले विधानसभा चुनावों में स्वाति सिंह को भाजपा महिला मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष बनाये जाने का कितना फायदा पहुचेंगा, यह तो समय बताएगा| लेकिन इस तरह के प्रयासों से महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ने की कोशिश की गयी है|

राजनैतिक फायदा एक अलग सन्दर्भ है परन्तु इस प्रकार के प्रयोग भविष्य में, महिलाओं के सम्मान से जुड़े अभियानों को निश्चित तौर पर एक गति, दिशा और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करेंगे| समाज में महिलाओं के प्रति व्याप्त कुरीतियों के विरोध में भी ऐसे निर्णयों का व्यापक असर देखा जा सकेगा जिसकी वजह से आम महिलायें भी अपने हक के लिए निर्भीकता से आवाज उठा सकेंगी|

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