एक सामाजिक समस्या को हिन्दू धर्म के एक त्यौहार से जोड़ने की मुहीम क्या सही है?

होली घड़ी डिटर्जेंट

होली के अवसर पर ‘ घड़ी डिटर्जेंट ‘ नाम की एक कंपनी ने एक नया विज्ञापन ज़ारी किया है जिसमें वो होली के दिन मन के मैल धो डालने का सन्देश देने का ढोंग कर रहे हैं। शायद अब तक आप भी उस विज्ञापन को देख चुके होंगे , गौर करने वाली बात ये है कि घड़ी डिटर्जेंट के इस विज्ञापन में ऐसा प्रदर्शित करने की कोशिश की गयी है कि होली के नाम पर कुछ हुड़दंडी लोग महिलाओं के साथ बदसलूकी और दुर्व्यवहार करते हैं , यह बेहद अपमानजनक और निम्न दर्जे की सोच को प्रतिबिंबित करने वाला प्रयास है , एक सामाजिक समस्या के विषय को हिन्दू धर्म के साथ जोड़कर दिखाने का प्रयास किया गया है।

हम सब लोग जानते हैं कि हिंदुस्तान की संस्कृति में हमारे त्योहारों का कितना महत्व है , और विशेषकर होली एक ऐसा त्यौहार है जब समाज के हर वर्ग के लोग , सवर्ण हो या दलित , गरीब हो या अमीर , सब अपने मतभेद और दूरियों को भुलाकर एक साथ होली मनाते हैं और संपूर्ण विश्व जगत को एकता और भाईचारे का सन्देश देते हैं।

आप अपने दिल से पूछिए कि कितने लोग होली के नाम पर राह चलती महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं। कम से कम मैंने तो ऐसी किसी घटना के विषय में नहीं सुना। और अगर कुछ पापी लोग इस तरह का दुष्कर्म करते हैं तो क्या घड़ी डिटर्जेंट का इसे होली के त्यौहार से जोड़ना क्या उचित है ?

देश में हर दिन महिलाओं के साथ बदसलूकी , दुर्व्यवहार , उत्पीड़न , शोषण और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के कितने मामले सामने आते हैं, हर दिन तो होली नहीं होती फिर भी ऐसे अपराध होते हैं । जान बूझकर महिलाओं से सम्बंधित एक सामाजिक समस्या की आड़ लेकर हिंदुओं की आस्था और परंपराओं पर प्रहार किया जा रहा है और इस तरह के प्रयासों का एक सिलसिला सा चल पड़ा है जिसमें कुछ उदारवादी और सेक्युलर मीडियाकर्मी , धार्मिक कट्टरपंथियों और कुछ नपुंसक नेताओं के मेल-जोल से हिन्दू धर्म की छवि को कलंकित करने का प्रयास किया जा रहा है। कभी उदारवाद के नाम पर , कभी नारीवाद के नाम पर तो कभी पूरे समाज को असहिष्णु की संज्ञा देकर।

कभी इनके दीवाली की पटाखों से मासूम जानवरों पर अत्याचार होने लगता है तो कभी पर्यावरण के लिए समस्याएं खड़ी हो जाती हैं , कभी होली में पानी की बर्बादी का मुद्दा सामने आता है तो कभी गलियों में होली मनाते बच्चों को आतंक का पर्याय घोषित कर दिया जाता है।

गौरवतलब हो की हिन्दू धर्म में बुराइयां ढूंढने वाले ये लोग तीन तलाक़ और जानवरों की कुर्बानी के मुद्दे पर मौन व्रत धारण कर लेते हैं। तब इनके नारीवाद, पशु-प्रेम और उदारवाद को सांप सूंघ जाता है।

हम सबको संगठित होकर इस सनातन धर्म के खिलाफ हो रही इन षड्यंत्रों का सामना करना है

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