नेताओं को तो बहुत देखा, अब देखो एक योगी ऐसे काम करता है

विकास योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बने हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं| परन्तु योगी आदित्यनाथ के पूर्ववर्ती आक्रामक स्वभाव को देखकर सभी ये अंदाजा लगा रहे थे कि योगी, उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के पश्चात सिर्फ “एक इश्वर, एक धर्मं” का नारा देकर आगे चलेंगे, परन्तु मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ समय पश्चात ही योगी ने संकेत दे दिए थे कि किसी भी प्रकार का “धार्मिक उन्माद” बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

जिस प्रकार से योगी आदित्यनाथ अक्सर हिंदुत्व विषयक संवादों में गरजते रहें हैं उसी प्रकार संवैधानिक पद पर आसीन होते ही उन्होंने उत्तर प्रदेश के सरकारी तंत्र में हलचल पैदा कर दी। अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार विषय कोई एक धर्म नहीं, नीति सिर्फ ईश्वर को मानने वाले लोगों के लिए नहीं और कर्म कुछ विशेष लोगों को लाभ पहुचानें के लिए नहीं थे। योगी के अनुसार उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ एक नारा चलेगा और वो तुष्टीकरण नहीं सिर्फ विकास होगा।

उत्तर प्रदेश के राजनैतिक महासंग्राम में बाहुबली बनकर निकले योगी आदित्यनाथ ने शपथ लेते ही अचंभित करने वाले फैसलों का शुभारम्भ कर दिया जिनमें प्रमुख रूप से एंटी रोमियो स्क्वाड, सरकारी भवनों में तम्बाकू-गुटखा पर रोक, पुलिस की सक्रियता एवं धार्मिक संतुलन के लिए हज सब्सिडी की तरह ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए एक लाख रुपये यात्रा भत्ता, दुरुस्त विद्युत व्यवस्था एवं स्वच्छता शामिल रहे।

मैंने अपने मित्रों से “एंटी रोमियो स्क्वाड” पर संवाद किया तो पाया कि बहुत से इस मुहिम के समर्थन में थे परन्तु वे सरकार से उन लोगों पर कार्यवाही से नाखुश थे जो आपसी सहमति से पार्क में बैठे पाए गए थे। मैंने अपने विश्लेषण में पाया कि “उत्तर प्रदेश पुलिस” में व्याप्त भ्रष्टाचार और लोगों से पैसे वसूलने की नीति अक्सर उनसे ये गलत काम करवाती रहती है। पुलिस व्यवस्था में दो ऐसे समय आते हैं जिनमे पुलिस की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लग जातें है –

१. जब सरकार पुलिस के हाथ बंद रखने को बोलती है :- ऐसे समय में अवैध उगाही एवं वसूली, अवैध खनन, बलात्कार और गुंडाराज जैसी बीमारियाँ पनपती हैं। अगर पुलिस कुछ कार्यवाही करे तो उन्हें दुत्कारा जाता है क्यूंकि ज्यादातर मामलों में आरोपी सरकार के संरक्षण प्राप्त लोग होते हैं। पुलिस मूक दर्शक मात्र बनी रहती है।

२. जब सरकार पुलिस को बेहतर कानून व्यवस्था स्थापित करने का खुला आदेश देती है :- ऐसा समय पुलिसिया कार्यवाही के लिए सबसे ज्यादा चांदी काटने का समय होता है जैसा कि अभी कुछ दिनों पहले हो रहा था। सरकार द्वारा छूट देने के पश्चात पुलिस मनमानी करना प्रारंभ करती है और लोगों को बेवजह परेशान करके उनसे अवैध पैसों की वसूली करती है।

“एंटी रोमियो स्कवाड” में भी कुछ दिनों पहले यही चल रहा था। सरकार का आदेश था कि प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रही छेड़छाड़ बंद होनी चाहिए, जिसके लिए पुलिस जो चाहे कदम उठा सकती है। जिसकी आड़ में पुलिस वालों ने साथ घूमने वाले युवक-युवतियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया और उगाही के क्षेत्र में पुलिस वालों के अच्छे दिन आ गए थे। परन्तु उत्तर प्रदेश पुलिस के ये अच्छे दिन कुछ ही दिन के थे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतिशीघ्र इस मामले की गंभीरता को भांपते हुए, बेवजह परेशान करने वाले बहुत से पुलिस वालों को निलंबित कर दिया। जो एक सरकार की सूझबूझ का प्रशासनिक व्यवस्था को दो टूक शब्दों में सटीक जवाब था कि इस प्रकार की गैर-जिम्मेदाराना कार्यवाहियां स्वीकार नहीं की जायेंगी|

परन्तु मेरे मित्रों को मैं इस प्रकार की मुहिम से जुड़ा एक सन्देश और देना चाहता हूँ, पुलिस व्यवस्था, ठेकेदारी, प्रशासनिक ढांचा और सरकारी मशीनरीयां गंभीर बीमारियों से ग्रसित है। अगर सरकार एंटी रोमियो स्क्वाड बनाती है तो हो सकता है कि कुछ निर्दोष लोगों को परेशानियाँ उठानी पड़े परन्तु ऐसी मुहिमों से महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों पर लगाम अवश्य लगेगी। हम दूसरों की माताओं-बहनों के साथ हो रही छेड़-छाड़ का कोई जवाब नहीं देते हैं परन्तु अपनी माँ-बहनों के साथ जब ऐसा होता है तो रोते है, चिल्लाते हैं, शस्त्र उठाते है और जीवन पर्यंत अपने को माफ नहीं कर पाते हैं। इसलिए ऐसे कार्यों में सहयोग दीजिये और प्रदेश की महिलाओं को भयमुक्त और सशक्त वातावरण देने में सहयोग कीजिये।

उपरोक्त लेख पढ़कर अप सोच रहे होंगे कि इन सबसे विकास का क्या नाता है? और इससे तुष्टीकरण की राजनीति कैसे रुकेगी?

कहते हैं कि कानून व्यवस्था, प्रदेश की रीढ़ होती है| जब प्रदेश का माहौल भयमुक्त और अपराध रहित होगा, पुलिस व्यवस्था सक्रियता के साथ कार्य कर रही होगी तो अवैध खनन, अवैध कब्जे, गुंडाराज आदि जैसी समस्याएं समाप्त हो जायेंगी| जिसके बाद शिक्षा, सूचना-प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, पानी, विद्युत्आदि क्षेत्रों में ध्यान केन्द्रित कर इनकी सुविधाओं में विस्तार किया जा सकेगा और रोजगार के नए संसाधन उत्पन्न किये जा सकेंगे। जाहिर सी बात है जब उत्तर प्रदेश की “प्रति व्यक्ति दर” बढ़ेगी, लोग स्वयं ही “धार्मिक कट्टरता” को छोड़ विकास की ओर विमुख होंगे।

इन्हीं वजहों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिना तुष्टीकरण, सबका विकास का नारा लेकर जनता के सम्मुख एक विश्वसनीय सोच जाग्रत करने निकल पड़े है।

इसके अतिरिक्त योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद सरकार शीघ्र ही प्रदेश के सभी सरकारी संस्थानों में “बायोमेट्रिक प्रणाली” का शुभारम्भ करने जा रही है जिसके बाद नौकरशाही की चल रही मौज-मस्ती का अंत हो जाएगा और काम को महत्ता दी जायेगी। अंत में राजनैतिक गलियारों में हो रही घुसपुसाहट की बारे में भी इंगित करना चाहूँगा – आने वाले कुछ दिनों या महीनों में उत्तर प्रदेश पूर्ण शराबबंद राज्य हो सकता है। अगर यह होता है तो प्रदेश के गरीब तबके के सुधार के लिए ये फैसला एक स्वर्णिम अध्याय होगा जिसकी वजह से ना जाने कितने बच्चों और परिवारों के भविष्य सुरक्षित हो जायेंगे।

फिलहाल फायरब्रांड योगी एक्शन मोड में है और जनता उनसे आशा एवं अपेक्षा के साथ सकारात्मक परिवर्तन और विकास की दरकार चाह रही है जिसके लिए सिर्फ मुख्यमंत्री को ही नहीं अपितु सभी मंत्रियों एवं विधायकों को भी चहुमुखी जमीनी विकास के लिए दूरगामी सोच के साथ द्रुतगामी गति से चलने की आवश्यकता है, जो कि उनकी नैतिक जिम्मेदारी भी है।

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