क्योंकि स्वाति सिंह ने भागने के बजाय लड़ना स्वीकार किया, आज ताज उनके सर पर है

स्वाति सिंह

20 जुलाई 2016 को उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ी ही हंगामेदार घटना हुई थी, मऊ में आयोजित किये गए एक कार्यक्रम में यूपी भाजपा के तत्कालीन उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने बसपा प्रमुख मायावती के लिए ‘वेश्या’ शब्द का प्रयोग किया था। चुनावी गहमागहमी में दयाशंकर द्वारा की गयी इस हरकत को मायावती ने बड़ा मुद्दा बना लिया था, हालांकि दयाशंकर को भाजपा ने पार्टी से तुरंत ही निष्काषित कर दिया था परन्तु मामले को और तुल देते हुए अगले ही दिन पूरी की पूरी बहुजन समाज पार्टी लखनऊ की सड़कों पे उतर आई और दयाशंकर को गिरफ्तार करने की मांग के साथ-साथ उनके परिवार के खिलाफ बेहद ही बेहुदे नारे लगाये गए। बसपा कार्यकर्ताओं ने “दयाशंकर अपनी बेटी को पेश करो” के नारे बड़े ही जोर-शोर से लगाये लेकिन क्योंकि ये हरकत मायावती और उनके नेताओं द्वारा करवाई गयी थी इसलिए मीडिया ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की ज़हमत नहीं दिखलाई। इस मुद्दे पे जिस तरह का आक्रामक रवैया बसपा ने दिखलाया था उससे यह लगने लगा था की प्रदेश में भाजपा की नैय्या डूब ही गयी मगर एक महिला मायावती के विरोध में उतर आई और उसने इस पुरे घटना का पाला ही बदल दिया।

वो महिला कोई और नहीं बल्कि स्वयं दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह थीं, ने बसपा कार्यकर्ताओं के द्वारा की गयी ओझी हरकत का जोरदार विरोध किया और खुद को दयाशंकर के बयान से अलग करके अपनी बेटी के पक्ष में मायावती से जा भिड़ी। स्वाति सिंह के इस जुझारू कदम को सोशल मीडिया से भी भारी समर्थन मिला और मजबूरन प्रिंट और टीवी मीडिया को भी इसे कवरेज देना पड़ा। स्वाति सिंह के इस कदम ने प्रदेश भजपा में भी एक नयी जान फूंक दी और मायावती पे पलटवार करते हुए “नारी के सम्मान में, भाजपा मैदान में” के जोशीले नारे के साथ सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में मायावती के खिलाफ बिगुल फूंका गया। वर्त्तमान विधानसभा चुनाव में मायावती की हार के अनेकों कारण में से एक बड़ा कारण स्वाति सिंह भी हैं, उस वक्त स्वाति सिंह ने मायावती को अपने खिलाफ चुनाव लड़ने की खुली चुनौती तक दे डाली थी और मायावती को पूरी तरह से बैकफूट पे ला खड़ा किया था।

स्वाति सिंह की यह मुहीम और उनका जुझारूपण पुरे देश ने देखा था और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के नज़रों में भी स्वाति की अच्छी छवि बन गयी, जल्द ही स्वाति सिंह को इसका मीठा फल चखने को मिला और उन्हें भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की कमान सौंपी गयी। बीजेपी ने जब विधानसभा के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की तो इसमें तमाम नामों के साथ एक नाम स्वाति सिंह का भी था, स्वाति को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सरोजनी नगर से टिकट मिला और यह एक ऐसी सीट थी जिसपे बीजेपी पिछले तीस वर्षों से जीत दर्ज करने में नाकामयाब साबित हुई थी।

स्वाति सिंह की चुनौतियों को और आगे बढ़ाते हुए समाजवादी पार्टी ने इसी सीट पर मुलायम सिंह यादव के भतीजे और संसद धर्मेन्द्र यादव के भाई अनुराग यादव को टिकट दे दिया। चुनौती बड़ी थी, टक्कर कांटे की थी और सीट भी हाई-प्रोफाइल थी मगर अपने तेवर के लिए मशहूर स्वाति ने चुनावों में भी अपना जुझारूपन दिखलाते हुए अनुराग यादव को कड़ी टक्कर दी और सरोजनी विधानसभा सीट पुरे 28 हज़ार मतों के साथ अपने नाम करने में सफल हुईं।

अब स्वाति सिंह की इस जबरदस्त सफलता में चार चाँद लगाते हुए उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें कैबिनेट मंत्री-स्वतंत्र प्रभार के पद से सुशोभित किया है।

स्वाति सिंह को हम सभी उनके आक्रामक तेवरों के लिए जानते हैं और इसी को ध्यान में रखकर हमे उनसे यह उम्मीद भी रहेगी की वे यही तेवर अपने काम में भी दिखलायें। स्वाति सिंह कौन सा मंत्रालय संभालेंगी ये भी हमे जल्द ही पता लग जायेगा मगर किसी को भी इस बात पे ऐतराज नहीं होना चाहिए की अगर इस देश में महिला-सशक्तिकरण की बात हो तो उसमे स्वाति सिंह की कहानी भी जरुर सुनानी चाहिए, महिलाओं की असली प्रतिनिधि स्वाति सिंह जैसी जुझारू औरत ही हैं ना की अपने पिता की शहादत का मजाक बनाने वाली गुरमेहर कौर जैसी लड़की।

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