हे भगवान! अक्षय को नेशनल अवार्ड मिला गया, क्या यही है अच्छे दिन?

अक्षय नेशनल अवार्ड

लिबेरल्स को अब एक नया मौका मिला है राष्ट्रवाद पर लेक्चर देने का । अरे अक्षय को नेशनल अवार्ड जो मिल गया । मेरा मानना है कि उसे एयरलिफ्ट के लिए मिलना चाहिए था । मुझे अभी तक ये नही समझ आता की लोग अवार्ड्स को इतना सीरियसली क्यों लेते हैं फिर वो नेशनल अवार्ड ही क्यों न हो । अबे चम्पू ! सैफ अली खान को मिल गया था 2004 में। नाना , ओम , नसीर , अनुपम के ज़माने वाले ही अवार्ड समझ आते हैं मुझे । बाकी जूरी की जो परख लेकिन लिबेरल्स का तो एक ही गाना एजेंडा ऊंचा रहे हमारा । बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस जानते हो न किसे मिला है ? योग्य है क्या ? लेकिन नहीं हम तो अक्षय अक्षय चिल्लायेंगे कुरता फाड़ के । ज़ायरा वसीम को मिला है । पिंक वाली लड़कियों के हक़ में भी लड़ लो लिबेरल्स।

ज़ायरा वसीम याद है न मित्रों ? वो दंगल वाली बाल कलाकार जिसके लिए आमिर ने सलाह दी थी की प्लीज आप सब उसे अकेला छोड़ दें , वो जिन परिस्थितियों से गुज़र रही है , मैं समझ सकता हूँ वगैरह वगैरह। हाँ तो उनकी माताजी का कुछ पोस्ट था न ? पाकिस्तान को समर्थन था न शायद ? ऐसे विचित्र ( गुलफ़ाम हसन ) सरीखे कलाकार को भी तो नेशनल अवार्ड मिला । सुना है उसने विजय गोयल को भी खरी खोटी सुना दी थी । लिबेरल्स के लॉजिक के हिसाब से तो फिर उसे पाकिस्तान भिजवा देना चाहिए था । ये क्या मित्रों ? नेशनल अवार्ड ? लिबेरल्स के जज़्बातों के साथ खेला जा रहा है क्या ?

अब आते हैं बेस्ट एक्टर वाली लड़ाई में ।

मैं भी चाहता था मनोज बाजपेई को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड मिले या अक्षय को एयरलिफ्ट के लिए और यदि अक्षय को एयरलिफ्ट के लिए मिलता है तो मनोज को जूरी का स्पेशल मेंशन तो मिले ही मिले खैर नहीं मिला लेकिन यदि कोई तर्क सिर्फ अभिनय को लेकर करे तब तो ठीक भी है लेकिन यहाँ तो लड़ाई ही एजेंडे की है ।

इन्हें उसका हर आईडिया उसकी अगली फिल्म का प्रमोशन लगता है और घूम फिर के ये आ जाते हैं नैशनलिज़्म पर । अमा यार एक आदमी सीधा अनुशासित जीवन बिता रहा है , लोगों का दिल जीत रहा है , पैसे बना रहा है और फिर उसी पैसे को गरीबों में या ज़रूरतमंदों में बाँट रहा है , तो तुम्हारी क्यों किलस रही है ? एक बार को मान लें कि वो असल ज़िन्दगी में बेहद घटिया किस्म का इंसान है और ये सारे तामझाम बस पॉपुलैरिटी के लिए कर रहा है तो? सिर्फ उसी की सक्सेस से क्यों जलती है बन्धु । पिछले के पिछले साल भाईजान (फिल्म) को भी तो मिल गया था एक अवार्ड । उस इंसान से कोई दिक्कत नहीं जिसपे मुक़दमे हो अच्छा सेलेक्टिव होगा , यदि वो राईट विंगर होगा तो ही हल्ला करेंगे ऐसा ? ऐसा क्या ?
अच्छा अगर वो कह दे की ‘ yes there’s rising intolerance’ तब खुश हो जाओगे ? या ट्विंकल कह दे की अक्की बेबी तुम्हारे पास तो कनाडा की नागरिकता भी है , चलो न वहीं चलकर बस जाते हैं यहाँ मुझे बहुत डर सा लगता है ।

सुनो अगर फेयर गेम में बिलीव करते हो न तो फेयर खेलना सीखो। हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी मेरी आल टाइम फेवरेट है लेकिन राजा सेन जैसे क्रिटिक बुद्धा इन ए अ ट्रैफिक जाम को प्रोपेगंडा फिल्म बता कर रेट करने से मना कर देते है न तब आता है तुम्हारा दोहरा चरित्र निखर के। और जितने ये अलीगढ़ अलीगढ़ चिल्ला रहे हैं उनमें से आधे ने भी देख ली होती तो 30 करोड़ तक कमा लेती ये फिल्म । वीकेंड पे शोना-बाबु के साथ देखेंगे बद्रीनाथ की दुल्हनिया और लेक्चर पिलायेंगे नेशनल अवार्ड का ।

अब देखो नीरज पांडे एंड टीम जिसमे आपके और हमारे फेवरेट बाजपेई जी भी हैं , इनकी हर फिल्म को टारगेट करो ओके ? चलो टाटा :) और ज़ायरा बहिन को ट्वीट करके बधाई दे दो भाई सब। वैसे रीजनल सिनेमाज को पर्याप्त सम्मान मिला ये एक सांत्वना है।

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