आपको कैसा लगा इस विडियो को देख के – दुःख, क्रोध या ग्लानि?

अभी अभी एक वायरल वीडियो सामने आया है। वीडियो कश्मीर का है जहाँ सीआरपीएफ के जवान चुनावी ड्यूटी से वापस लौट रहे हैं और कश्मीर की जिहादी भीड़ जवानों को लात घूंसे से मार रही है।

इस वीडियो में भीड़ “India go Back” के नारे लगा रही है। कश्मीर लोग शांति से जा रहे सीआरपीएफ के जवानों पर लात घूंसे बरसा रहें है तो फौजियों के हाथों से उनका सामान छुटा जा रहा है, लेकिन वे फिर भी चुप चाप सामान कि परवाह न करते हुए चले जा रहे हैं। कश्मीर के लोगों के हाथों में फौजियों के हेलमेट व बैंत कि लकड़ी से बनी ढाल भी दिखाई देती है जिसे जिहादी भीड़ किसी पुरस्कार कि तरह लिए जश्न मना रहे हैं। वीडियो में यह सबकुछ साफ़-साफ़ दिख रहा है।

कश्मीर के इस वीडियो में सीआरपीएफ का एक जवान दिखाई देता है जो चुप चाप सर नीचे करके भीड़ के बीच में से जा रहा होता है। जवान के एक हाथ में बन्दुक व दूसरे हाथ में उसका हेलमेट होता है। तभी एक हुडदंगी उस जवान के पीछे लात मारता है। जवान के हाथ से हेलमेट छुट कर दूर जाकर गिरता है। जवान अब भी सर झुका कर चलता हुआ अपना हेलमेट उठाने जाता है।

इस वीडियो में नज़र आने वाला नजारा भारत देश के कश्मीर राज्य में ही देखा जा सकता है जहाँ निहत्था आदमी एक शस्त्रधारी सीआरपीएफ जवान जो कि वर्दीधारी भी है उस पर हमला करता है, उस शख्स पर जो मारने के लिए ट्रैंड है, who has license to kill, और वो ऐसा बिना किसी डर के कर पाता है। उसे पता है कि अगर जवान ने गलती से गोली चला दी तो आज शाम रविश कुमार व बरखा दत्त टीवी पर मानव अधिकारों के हनन की कभी न ख़त्म होने वाली कथा छेड़ देंगे, कांग्रेस पाकिस्तान से बीजेपी को हराने की गुहार लगाएगी, केजरीवाल अमरीकी हस्तक्षेप की मांग करेगा, प्रशांत भूषण जैसे लोग इन जिहादियों कि तुलना भगत सिंह से करेंगे और कम्युनिस्ट इसे राज्य प्रायोजित हत्या (state sponsored killing) का दर्जा देंगे। वो दंगाई यह जानता है कि जिस लोकतंत्र को वो गाली दे रहा है वो इसी लोकतंत्र की एक अदृश्य ढाल के कारण ही महफूज है। ‘Rule of Law’ जिसकी धज्जियाँ हुडदंगी सरे आम उड़ाते हैं, वो जानते हैं कि उनकी धज्जियाँ उड़ने से यह ‘Rule of Law’ ही फौजियों को रोक देता है।

ऐसा नहीं है कि इस तरह कि घटनाएँ कश्मीर में पहले नहीं घटी है, या पहले कैमरे में कैद नहीं हुई हैं। इस जमीनी सच्चाई का सभी को भली भांति से आभास है। उन जजों को भी इस बात का अहसास है जिन्होंने सीआरपीएफ और फ़ौज को पेलेट गन का विकल्प खोजने को कहा है। लेकिन इस धर्मनिरपेक्षता के छलावे ने भारतीय दिमागों को इस प्रकार से भ्रमित कर दिया है कि उन्हें ऐसी सच्चाई शायद दिखाई नहीं देती जहाँ दोषी कोई अल्पसंख्यक है। धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र किसी देश कि ताकत होना चाहिए उसकी कमजोरी नहीं।

भारत एक मात्र ऐसा देश है जहाँ के जवान अपने देश के नागरिकों से ही मार खाते हैं। और एक मात्र ऐसी कौम हिन्दू ही है जो पूरी तरह से अनुशाशन से बंधी रहती है, जहाँ के जवान गालियाँ, गोलियां, अपमान व मार खाते रहते हैं, जब तक की ऊपर से कार्यवाही का आर्डर नहीं आ जाता।

कानून, शांति, विकास, आज़ादी, सेकुलरिज्म, लोकतंत्र यह सब विचार तभी अच्छे लगते हैं जब आपकी, आपके देश की अस्मिता सुरक्षित है। इस वीडियो में दिखते सीआरपीएफ जवान की तरह जहाँ आपके जवानों को हर कदम पर जलालत महसूस करनी पड़े ऐसे रूल ऑफ़ लॉ, ऐसे लोकतंत्र व ऐसी पोलिटिकल करेक्टनेस को कुछ समय के लिए पिछली सीट पर बैठा देना चाहिए।

ऐसा न हो एक दिन पानी इस कदर सर से ऊपर बहने लगे कि भारत को भी हिटलरकृत “फाइनल सलूशन” की आवश्यकता महसूस होने लगे। मैं यहाँ कश्मीर के जिहादियों को यह चेता देना चाहता हूँ कि यदि यह नौबत आई तो न रूल ऑफ़ लॉ, न सेकुलरिज्म और न ही एमनेस्टी इंटरनेशनल आपकी रक्षा कर पाएगा। इसलिए बेहतरी इसी में है कि आप लोगों को समय रहते सुधार जाना चाहिए। भारतीय फ़ौज अनुशासित है, कमजोर नहीं।

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