ऑपरेशन जिब्राल्टर जिसने कश्मीर को हमेशा के लिए बदल दिया

कश्मीर जिब्राल्टर

कश्मीर पिछले 70 सालों से विवादों के केंद्र में है। भारत और पाकिस्तान दोनों का कश्मीर को देखने का अपना अपना नजरिया है। जहां भारत को लगता है कि कश्मीर की अलगाववादी सोच के प्रति उदारवादी विचार रखकर, विशेष राज्य की छूट के तौर पर धारा 370 जारी रखकर कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है। तो वहीं पाकिस्तान को लगता है कि दो कौमी नजरिया जो बांग्लादेश बनने के साथ असफल मान लिया गया है उसकी सफलता की नई कहानी कश्मीर में लिखी जा सकती है। मुस्लिम बहुसंख्यक घाटी को इस्लाम के नाम पर तोड़ा जा सकता है। पिछले 70 सालों से दोनों देश अपने अपने नजरियों के लेकर चल रहे हैं। तो आज कौन सा विचार घाटी पर हावी होता दिख रहा है।

पिछले कुछ समय से तो घाटी की स्थिति और चुनौतीपूर्ण बन गई  है। पिछले दिनों पी चिदंबरम और फारुख अब्दुल्ला दोनों ये बयान दे चुके है कि कश्मीर भारत के हाथ से जा रहा है। श्रीनगर उपचुनाव में सिर्फ 7 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई है जो अब तक के इतिहास की सबसे कम मत प्रतिशत बताया जा रहा है। कश्मीर में जो स्थिति आज हमें दिख रही है वो एक दिन में नहीं हुई हर बीतते दशक के साथ कश्मीर में भारत विरोधी भावना प्रबल हुई है।  साल 1947-48 में जब कश्मीरी को लेकर भारत पाकिस्तान सेना आमने सामने थी। तब स्थिति दोनों देशों के लिए एक जैसी थी। हरि सिंह भारत में कश्मीर का विलय कर चुके थे। जो सेना कबालियों के रूप में पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसाई उसने भारी संख्या लूटपाट और नरसंहार किया था। उस दौर में आम कश्मीरी पाकिस्तान की ज्यादतियों के लेकर मुखर था। मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य होने के नाते भारत ने कश्मीर के प्रति बिना कारण जरूरत से ज्यादा उदार रुख अपनाया। 50 के दशक की शुरूआत में भारत ने धारा 370 लगाकार कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा दे दिया। इस समय कश्मीर के बड़े नेता शेख अब्दुल्ला को जेल में डाल दिया गया था। शेख करीब 20 साल जेल में रहे। भारते के नजरिए से ये कश्मीर के लिए सर्णिम दौर था। दर्जनों हिंदी फिल्मों की शूटिंग कश्मीर में की गई। आज तो ये सोचना भी संभव नहीं। साल 1965 में भारत पाकिस्तान युद्धा की शुरुआत ऑपरेशन जिब्राल्टर से की गई थी। जो स्थिति कश्मीर में आज दिखाई देती है। इसका सपना पाकिस्तान ने 60 के दशक में ही देख लिया था। और यहीं से शुरूआत हुई ऑपरेशन जिब्राल्टर और धारा 370 के बीच की वैचारिक लड़ाई।

ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत पाकिस्तान सेना के 30 से 40 हजार सैनिकों को एलओसी पार कराकर भारत भेजा गया था जिनका काम कश्मीर में इस्लाम के नाम पर भारत के खिलाफ भड़काना था। लेकिन ये ऑपरेशन बुरी तरह से विफल साबित हुआ क्योंकि आम कश्मीरी ने खुद भारतीय सेना को सीमा पार से आए पंजाबी बोलने वाले सैनिकों की जानकारी दी थी। जिसके बाद भारतीय सेना ने आराम से सर्च ऑपरेशन चला कर पाकिस्तानी सैनिकों की गिरफ्तार कर लिया था।

ऑपरेशन जिब्राल्टर को मैं कश्मीर के इतिहास का टर्निंग प्वाइंट मानता हूं। इसका नाम भी दिलचस्प है। जिब्राल्टर एक छोटा से टापू है जो स्पेन का लगा हुआ है। जब यूरोप जीतने के उद्देश्य से अरबी सेना पश्चिम को ओर चली तो जिब्राल्टर ही उनका पड़ाव बना था जिससे निकलकर उन्होंने पूरे स्पेन पर जीत दर्ज की थी। अपने मिल्ट्री ऑपरेशन का नाम ज्रिबाल्टर रखना बताता है  कि पाकिस्तान को लगता था कि अगर एक बार जिब्राल्टर(कश्मीर) पर उसने जीत दर्ज कर ली तो पूरे स्पेन रूपी भारत पर भी अधिकार कर सकेगा।

ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत 1965 पाकिस्तान आम कश्मीरी के मन में इस्लाम के नाम पर भारत के खिलाफ नफरत नहीं भर पाया था। लेकिन इस धीमे जहर को उसने घाटी में बोना जारी रखा जिसकी फसल 80 के दशक में साफ दिखी, और आज तक दिख रही है। धारा 370 का उदारवादी रुख घाटी का इस्मलामीकरण होने से रोकने में नाकामयाब रही है।
60 के दशक के कश्मीर की और आज की कश्मीर की तुलना कीजिए। शेख अबदुल्ला भारत विरोधी रुख के चलते जेल में थे। और उन्हें जेल में डाला था उनके परम मित्र तत्कालीन प्रधानमंत्री प. नेहरू ने। आज अलगाववादियों का खर्चा भारत सराकर उठा रही है। फिल्मों की शूटिंग का सबसे बड़ा केंद्र, आज टूरिज्म बिल्कुल ठप पड़ा है। जिब्राल्टर के तहत सीमा पार आए पाकिस्तानी सेना की जानकारी देते कश्मीरी, आज आतंकियों के लिए पत्थर चलाते कश्मीरी। जिस उद्देश्य में पाकिस्तान 60 के दशक में सफल नहीं हुआ आज हो रहा है।

भारत के लिए आवश्यक है कि अपनी गलतियों को समय रहते ठीक करे। जम्मू में अलगाववाद की भावना नहीं है, लेह भारत के साथ है, कारगिल के शिया मुस्लिम भारत समर्थक है, घाटी के हिंदू भारत के पक्ष में है तो कश्मीरी मुसलमानों के एक तबके के लिए जो आईएसआईएस का झंडा उठाने में भी शर्म नहीं खाते उनके लिए और उदार होने की आवश्यकता नहीं। जिब्राल्टर का जवाब धारा 370 नहीं हैं क्योंकि उदारवादी रुख से तो आप पाकिस्तान भी बनने से नहीं रोक पाए। भारत को कश्मीर किसी दूसरे राज्य की तरह ही देखना चाहिए। धारा 370 खत्म करके घाटी में देश के दूसरे नागरिकों को बसा कर वहां उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। वरना पाकिस्तान घाटी में जहर जो बो रहा है वो और जहरीली फसल देगा।

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