भारतीयों सेक्युलरों की “पहले गुजरात दंगो की तो बताओ” और अन्य पांच खूबियाँ

सेक्युलर

देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें सेक्युलर याने धर्मनिरपेक्ष का ठप्पा लगाने का चस्का चढ़ा हुआ है। कुछ तो इतने खतरनाक हैं कि सेक्युलर की जगह ‘सिकुलर’ भी बन गए हैं। और आज की युवा पीढ़ी के तो क्या कहने, मतलब ‘इंडिया इज़ अ सेक्युलर स्टेट’ टी-शर्ट में लिखवा के भी घूमने लगते हैं। आखिर ये धर्मनिरपेक्षता होती क्या है ? मने आखिर कौन सी बला है ? पहले वालों का तो पता नहीं लेकिन आज वालो की धर्मनिरपेक्षता बड़ी ही हास्यास्पद है। आखिर कहाँ मिलते हैं ऐसे सेक्युलर ? यहीं कहीं हैं आपके आस-पास। और इनमे ये खूबी अवश्यमेव होगी:

१. भारत में बैठे सेक्युलर जो खुद को ‘कूल डूड’ और ‘बोल्ड’ कहलाना पसंद करते हैं उनके सामने कभी जय श्री राम कहिये, अमा आपको सांप्रदायिक कहने के साथ-साथ राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा देंगे। ‘यू नो ऑल दिज़ आर माइथोलॉजीस’ कह कर आपको ही घेरने लग जायेंगे। बड़े ही खतरनाक होते हैं भारत के सेक्युलर।

२. ये धर्मनिरपेक्ष के प्रवर्तक गुजरात दंगा ज़रूर याद करेंगे लेकिन जैसे ही आपने गोधरा का ज़िक्र किया तो गोधरा को अंटार्कटिका का क्षेत्र समझकर बातों को घुमा देंगे। आपको बौद्ध स्मारकों को ध्वस्त करने की झूठी कहानियां बताते फिरेंगे लेकिन इनको ‘उदारवादी’ बाबर के नाम पर बाबरी मस्ज़िद ज़रूर चाहिए होगी। पुरे भारतीय इतिहास में कोई वीर या महापुरुष नहीं दिखता लेकिन इन धर्मनिरपेक्ष लोगो को अकबर ‘महान’ लगता है। यह सेक्युलर प्रजाति इतनी उदार होती हैं कि शत्रु देश के कलाकारों के लिये भी खुद के देश को साम्प्रदयिक ठहरा देती हैं।

३. इन सेक्युलर लोगों को कश्मीरी पंडितों के बारे में बोलने से मुँह में छाले पड़ जाते हैं, वो क्या है कि थोड़ी मिर्च ज्यादा हैं ना! लेकिन कश्मीर के पत्थरबाज, माफ़ कीजिए, भटके हुए नौजवानों के लिये ये हमेशा मुखर होते हैं। कश्मीरी पंडितों के हालात पर बात भी नहीं होती लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों के लिये प्राइम टाइम भी चलाया जाता है।

४. राजा दशरथ के 3 पत्नी होने का ढिंढोरा पिटेंगे लेकिन वर्तमान में तीन तलाक़ के लिये कुछ भी बोलने पर ‘तुम्हें मेरी लाश के उपर से जाना होगा’ वाला डायलॉग चिपका देते हैं। गणेश-दुर्गा पूजा के दौरान लगने वाले लाउडस्पीकर के कारण इनकी नींद ख़राब हो जाती है और कभी कभी तो कानों के इलाज के लिये इन्हें डॉक्टर के पास भी जाना पड़ जाता है, वहीं 5 वक़्त की अजान से इनका मानसिक और शारीरिक विकास के साथ साथ कानों का मसाज भी होता है। इनके हिसाब से मूर्ति के विसर्जन के दौरान पानी और नदियों का प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि इनको पीलिया जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है लेकिन इनके ही फैक्ट्री और इनके घर से निकलने वाले कचरे से पानी की साफ़-सफ़ाई लगातार जारी रहती है। बड़े कमाल के होते हैं ये धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार।

५. होली आते ही पानी की बर्बादी इतनी होती है कि इनके घरों में 2-3 दिन तक एक लीटर पानी से ही काम चलाना पड़ता है वहीं 3 दिन नहा भी नहीं पाते, और तो और होली में पानी बर्बाद हो जाने के बाद अपने घरों में रखी कारों को 2-3 दिन तक अच्छे से नहीं धो पाते, बाकि 362 दिन तो कार को धोने के बाद उसी पानी को फ़िल्टर कर पीते हैं। दीवाली आते ही वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण अपने चरम पर होता है। पटाखों की आवाज़ों से तो कुछ मशहूर सेलिब्रिटी लोगों के कुत्ते भी डर जाते हैं, लेकिन नए वर्ष में होने वाली आतिशबाज़ी में पटाखों में ऑक्सिजन भरकर फोड़ा जाता है जिससे वो हवा में फटते ही चारों तरफ ऑक्सिजन फैला सके और ये धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार अच्छे से साँस ले सके।

६. ये आपको कभी आतंकवाद का धर्म नहीं बतायेंगे लेकिन पहलु खान और अख़लाक़ पर यूएन तक चले जाते हैं। देश के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में एक ‘मौलाना’ इनके लिये आदर्श हैं लेकिन एक सूबे के मुख्यमंत्री के रूप में ‘महंत’ नामंजूर है। इनको बाबरी से लेकर दादरी पर बात करनी होती है लेकिन राम मंदिर का मुद्दा आते ही ‘मैं बेरोजगार हूँ, मुझे रोजगार दो!’ चिल्लाने लग जाते हैं। बड़े ही क्यूट से हैं ये सेक्युलर!

कुछ जगह पर मुझे संशय है कि कहीं न कहीं धर्मनिरपेक्ष लोगो का भी एक धर्म है, और वो है – “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता लेकिन गौरक्षक हिन्दू आतंकी होते हैं।” धर्म का नाम थोड़ा बड़ा है लेकिन सार्थक है। देखिये आपके आस-पास भी होंगे ऐसे ही सेक्युलर।

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