केजरीवाल मोदी सरकार पर दफ्तर छीनने का आरोप लगा रहे हैं, पर सच कुछ और ही है

आम आदमी पार्टी केजरीवाल शुंगलू समिति

ज्यों ज्यों केजरीवाल के आम आदमी पार्टी की काली करतूतों की कलई खुलने लगी है, वैसे ही उनके नेताओं की नींदें भी हराम होने लगी हैं। हाल ही में शुंगलू समिति की रिपोर्ट के खुलासे के पश्चात उपराज्यपाल के द्वारा उठाए गए कदम को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कोहराम मचा रखा है।

मामला दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के उस कैबिनेट फैसले से जुड़ा हुआ है जिसमें रॉस एवेन्यू स्थित सरकारी बंगले को आम आदमी पार्टी को आवंटित किया गया था जिसे बाद में पार्टी का मुख्यालय बनाया गया।

इस संबंध में भूतपूर्व उप राज्यपाल नज़ीब जंग के द्वारा शुंगलू समिति का गठन किया गया था जिसने केजरीवाल के इस सरकारी फैसले पर ये कहते हुए गंभीर सवाल उठाए थे कि ज़मीन का विषय आरक्षित विषय के अंतर्गत आता है और आम आदमी पार्टी की सरकार को जमीन से सम्बंधित किसी भी मुद्दे पर कोई आधिकारिक निर्णय लेने का वैधानिक अधिकार नहीं है, फिर भी दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपनी कानूनी मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए अवैध तरीके से एक सरकारी बंगले को अपनी पार्टी के मुख्यालय के रूप में आवंटित किया।

शुंगलू समिति की इस रिपोर्ट के सामने आने के पश्चात उपराज्यपाल अनिल बैजल ने लोक निर्माण विभाग को 206 रॉस एवेन्यू ( अब दीन दयाल उपाध्याय मार्ग) स्थित इस सरकारी बंगले के आवंटन को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने तथा इस संबंध में उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

शुंगलू समिति ने अपनी रिपोर्ट केजरीवाल सरकार द्वारा आम आदमी पार्टी के मुख्यालय के लिए जनता के पैसे से फर्नीचर तथा अन्य वस्तुएं खरीदने का भी उल्लेख किया है। साथ ही समिति ने केजरीवाल सरकार पर भाई भतीजावाद का भी आरोप लगाया है।

हालांकि आम आदमी पार्टी की सरकार पर संवैधानिक दायरे के बाहर जाकर पूर्वकल्पित फैसले लेने का यह कोई नया मामला नहीं है। पूर्व राज्यपाल नज़ीब जंग के साथ अरविन्द केजरीवाल जी का छत्तीस का आंकड़ा जग-जाहिर रहा है। अनेक मुद्दों पर दोनों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न होती रही है और अंततः न्यायालयों को हस्तक्षेप करते हुए केजरीवाल को उनकी सीमाओं का भान कराया जाता रहा है। कुछ माह पूर्व ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार द्वारा आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिवों के तौर पर की गयी नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था।

शुंगलू समिति की रिपोर्ट पर हुए फैसले के उपरांत अब अरविन्द केजरीवाल को अपनी पार्टी के लिए नया मुख्यालय ढूंढने की मजबूरी आन पड़ी है। साथ ही आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी के ऊपर ‘ गंदी राजनीति ‘ के तहत आम आदमी पार्टी को परेशान करने का आरोप लगाया है।

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह तो सत्ता के नशे में यहाँ तक कह गए कि जब हमें 70 में से 67 सीटें प्राप्त हुई हैं, फिर भी केंद्र सरकार हमें अपने मनमुताबिक फैसले नहीं लेने दे रही है।

उधर दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने शुंगलू समिति के खुलासे के बाद अरविन्द केजरीवाल से जनता से माफ़ी मांगने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह मामला दिल्ली सरकार के असंवैधानिक शासन का प्रत्यक्ष प्रमाण है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि – उन सभी निर्णयों से पूर्व सम्बंधित विभागों से कोई संपर्क नहीं किया गया था और केजरीवाल को तत्काल माफ़ी मांगनी चाहिए।

वहीं दूसरी ओर शुंगलू समिति की रिपोर्ट के बाद समाजसेवी तथा अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक गुरु अन्ना हज़ारे ने भी केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि सत्ता और शासन के खेल में केजरीवाल सारे सिद्धान्तों को भूल चुके हैं। उन्होंने समिति द्वारा निरूपित आम आदमी पार्टी की सरकार के संविधान उल्लंघन, भाई भतीजावाद तथा वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि केजरीवाल ने मेरी सारी उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें केजरीवाल तथा आम आदमी पार्टी के क्रिया-कलापों से गहरा दुख हुआ है और वे उनका कभी समर्थन नहीं करेंगे।

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