कंगना राणावत के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती, क्या कंगना इसके लिए तैयार हैं?

कंगना मणिकर्णिका झाँसी की रानी

कंगना रानावत, फ़िल्मी जगत के लिए एक ऐसा नाम है जिसने अभिनय के क्षेत्र में अपने आप को लगभग सभी कसौटियों पर खरा उतारा है| बॉलीवुड में अपना जलवा बरकरार रखते हुए कई सारे राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली कंगना ने बीते दिनों बनारस के दशाश्वमेध घाट से अपनी आने वाली फिल्म “मणिकर्णिका – द क्वीन ऑफ़ झाँसी” का पोस्टर रिलीज किया, जिसमे वे “महारानी लक्ष्मीबाई” का अहम किरदार निभाएंगी|

अन्य मीडिया चैनल्स के अनुसार कंगना ने इंटरव्यू में कहा कि यह मेरे लिए बहुत ही गर्व और सौभाग्य की बात है कि मुझे भारत के इतिहास में शौर्य एवं पराक्रम की अद्वितीय गाथा लिखने वाली लक्ष्मीबाई का किरदार निभाने का मौका मिल रहा है| इसके जैसी फिल्मे सिर्फ एक बार ही बनती है इसलिए हमें इस फिल्म के साथ पूरा इन्साफ करना होगा जिसके लिए यह फिल्म जितना समय मांगेगी मैं देने के लिए तैयार हूँ| कंगना सुन कर आश्चर्यचकित थी कि बहादुरी कि मिसाल देने वाली महारानी पर अभी तक कोई फिल्म क्यूँ नहीं बनी| फिल्म का निर्देशन कृष कर रहे हैं जबकि संवाद लिखने वाले लेखक, बाहुबली के संवाद लिखने वाले लेखक और डायरेक्टर एस राजामौली के पिता विजयेन्द्र प्रसाद हैं|

फिल्म के रिलीज़ होने में अभी एक साल बाकी है परन्तु गंभीर प्रश्न यह है कि क्या कंगना “महारानी लक्ष्मीबाई” का किरदार निभा पाएंगी? आइये जानते है एक नजर में :-

1. चुनौतीपूर्ण और असाधारण किरदार :- गैंगस्टर, फैशन, क्वीन, तनु वेड्स मनु जैसी सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा रही कंगना के लिए यह फ़िल्मी जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण किरदार होने वाला है और इस फिल्म को लेकर वे बहुत ही गंभीर भी नजर आ रही हैं| अपने अभिनय से बॉलीवुड में लोहा मनवाने वाली कंगना हालाँकि खुद को किसी भी किरदार में ढाल लेने की क्षमता रखती हैं परन्तु इस प्रकार के ऐतिहासिक किरदारों को निभाने का उनके पास कोई पुराना अनुभव नहीं है जिसकी वजह से उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है|

2. बगावती तेवरों और बेबाक भाषाशैली से मिलेगी मदद :- अपने तेवरों से दर्शकों के मन में एक बगावती छवि बनाने वाली कंगना, मेरी समझ में इस फिल्म में अपने अभिनय से कुछ नया जरूर करेंगी जो कि फिल्म में उनकी भूमिका को भी काफी हद तक सूट करेगा| इसके अतिरिक्त महारानी के किरदार के डायलॉग्स के लिए बेबाक और दबंग अंदाज में बोलने वाली कंगना को अपनी भाषाशैली से भी काफी मदद मिलने के आसार हैं|

3. फ़िल्मी जीवन की आखिरी फिल्म :- कंगना जल्द ही अभिनय छोड़कर निर्देशन करेंगी| ऐसे में हो सकता है कि यह उनकी आखिरी फिल्म हो जिसके लिए कंगना जी तोड़ मेहनत करना चाहती हैं| उनका कहना है कि जीवन में कुछ ऐसे प्रोजेक्ट होते हैं जो आपको पूरा कर देते हैं| ऐसे समय में आपको जीवन के अगले पड़ाव पर जाना चाहिए| इन शब्दों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सकारात्मक इरादे लेकर उतरी कंगना अपनी आखिरी फिल्म को सुपरहिट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं| पक्के तौर पर कह सकते है कि “बाहुबली” की अभूतपूर्व सफलता के बाद यह फिल्म नए मुकाम लिख सकती है और वो भी ऐसे समय में जबकि इस किरदार से मिलती जुलती फिल्मो पर बॉलीवुड में काम न हुआ हो|

इसके अतिरिक्त कंगना ने मीडिया से कहा कि “ मणिकर्णिका एक ऐसी बेटी की कहानी है जिसने जीवन में बहुत कम उम्र में ही हर रंग देखे और भारतीय नारी की वीरता के दर्शन कराये। काशी की बेटी, झांसी की रानी बनी, मां बनी, विधवा हुई, प्रतिकार किया, स्वतंत्रता के लिए आवाज बुलंद की और वीरांगना कहलायी।“

4. थियेटर तराशेगा भूमिका :- दरअसल फ़िल्मी जगत में अमित छाप छोड़ने के लिए अभिनय की बारीकियों को समझना बहुत ही आवश्यक है| जिसे समझने के लिए कंगना ने अपना कैरियर थियेटर से शुरू किया और बहुत से प्रसिद्ध नाटकों में काम किया| क्यूंकि महारानी लक्ष्मीबाई का ओजस्वी किरदार निभाने में कंगना को उनके व्यक्तित्व का जीवंत चित्रण करना होगा जिसके लिए उन्हें पूर्व में किये गए थियेटर से जरूर लाभ मिलेगा|

अभिनय एक ऐसी संघर्षमय कहानी है, जिसे अगर निष्ठा, समर्पण और उत्साह के सांचों में ढाला जाये तो यह आपको शिखर तक पहुंचा सकता है लेकिन साथ ही साथ इस कहानी में सफलता पाने और नाकामयाबी के मौके हर समय दस्तक देते रहते हैं| कंगना की मेहनत और प्रतिभा ही है कि उन्होंने इस शिखर को अपने नाम कर, ग्लैमर की चकाचौंध से भरी इस दुनिया में खुद को गुमनाम होने से बचाये रखा है और यही वजह है कि मेरी समझ में कंगना, अपनी अंतिम फिल्म में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का किरदार बखूबी निभा पाएंगी और अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को, संघर्षमय जीवन के स्वर्णिम अध्याय की तरह याद रखना चाहेंगी|

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