बीफ पर लड़ाई तो मीडिया की बनाई खिचड़ी है, आईआईटी मद्रास की तो कहानी हीं कुछ और निकली

आईआईटी मद्रास बीफ

पिछले कुछ दिनों से आप लगातार समाचारपत्रों एवं मीडिया चैनल्स के द्वारा चलायी जा रही ख़बरों में सुन रहे होंगे कि किस प्रकार से केंद्र सरकार के फैसले के विरुद्ध देश में “गौ हत्या” कर एक नयी परंपरा की शुरूवात करने की कोशिश की जा रही है| केरल में जिस प्रकार से इस आन्दोलन ने विध्वंसक रूप लिया इससे अंदाजा लग रहा था कि इसकी आंच कही और तक जरुर पहुचेगी|

मैं बात कर रहा हूँ देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी मद्रास की, जहाँ तक केरल के अमानवीय कृत्य की आंच पहुची और उसके समर्थन में कुछ छात्रों ने कैंपस में बीफ फेस्टिवल का आयोजन किया| हालाँकि बहुत से छात्रों को इस कृत्य से आपत्ति तो बहुत थी परन्तु यहाँ तक सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा|

लेकिन अगले ही दिन बीफ फेस्टिवल में शामिल हुए कुछ छात्र कैंपस के “जैन मैस” (सिर्फ शाकाहारी भोजन उपलब्ध कराता है) में खाने के लिए पहुचे, जिन्हें देखकर वहां के छात्र मनीष कुमार सिंह ने उनसे पूछा जिनमे कि सूरज (जिसके बारे मीडिया कह रही है कि उसे एबीवीपी/राईट विंग संगठन के लोगों ने पीटा है) भी था, कि आप लोग तो कल बीफ खा रहे थे तो आज इस शाकाहारी मेस में क्या कर रहे हैं| जिसके बाद दोनों में बहस होने लगी और सूरज ने कहा कि हाँ हम बीफ खाते हैं और तुम्हे भी खिलाएंगे| जिसके तुरंत बाद मनीष उग्र हो गया और गर्मागर्मी बढ़ गयी परन्तु तभी सूरज और उसके कुछ दोस्तों ने मिलकर मनीष के साथ हाथापाई कर दी| मनीष ने बचाव में सूरज को धक्का दे दिया जिससे उसका चेहरा टेबल के कोने से जा टकराया और उसकी आंख पर चोट लग गयी|

सूरज और उसके दोस्तों की पिटाई से गंभीर चोटों के साथ मनीष का हाथ टूट गया परन्तु दुर्भाग्य है कि राजनीति से प्रेरित देश की मीडिया की नजर ऐसे मुद्दों पर रहती है जिनसे टीआरपी ज्यादा मिल सके| प्राप्त जानकारी में यह भी पता चला कि मनीष किसी भी संगठन से कोई सम्बन्ध नहीं रखता था और सूरज के समर्थन में इस मीडिया मैनेजमेंट के पीछे वहां के लेफ्ट विचारधारा वाले शिक्षकों का बहुत बड़ा हाथ रहा है|

सोर्स :- https://swarajyamag.com/…/the-fake-outrage-created-by-lefti…

कुछ इसी प्रकार का वाकया “हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय” में “अमोल सिंह” नाम के छात्र के साथ हुआ था जिसके बारे में कहा गया था कि उसे कश्मीरी छात्र समझकर एबीवीपी/राईट विंग संगठन के लोगों ने पीटा है परन्तु वास्तविकता यह थी कि छात्रों ने भारतीय क्रिकेट टीम की जीत की ख़ुशी में रैली का आयोजन किया था जिसमे वे “भारत माता की जय”, “वन्दे मातरम” जैसे नारों का उद्घोष कर रहे थे| परन्तु अमोल सिंह और उसके भाई (जो कि कैंपस में रजिस्टर्ड छात्र नहीं था) को ये नारें नागवार गुजरे और वे चिल्ला कर भारत माता को लेकर अपशब्द बोलने लगे साथ ही साथ वे दोनों “कश्मीर मांगे आजादी”, “पंजाब मांगे आजादी” और “बस्तर मांगे आजादी” जैसे नारे लगाने लगे| जिसका लोगों ने विरोध किया तो उन दोनों ने एक छात्र की गर्दन पकड़ ली और लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और बहुत से छात्रों ने मिलकर उन दोनों की बेतहाशा पिटाई कर दी| परन्तु उस समय भी देश के मीडिया ने आसानी से लोगों की आँखों में धूल झोंक कर इन असामाजिक तत्वों को हीरो बनाकर पेश किया था और अब भी वही हाल है|

जबसे देश के लोगों तक यह बात पहुची है कि बीफ खाने वाले आईआईटी मद्रास के छात्र की पिटाई कर दी गयी है, सोशल मीडिया पर लोग इसका स्वागत कर रहे हैं और वाहवाही करने में जुटे हुए हैं परन्तु सच सभी के सामने आना चाहिए|

हालाँकि आईआईटी मद्रास का छात्र मनीष कुमार सिंह अभी भी अस्पताल में है और कुछ भी कह सकने की हालत में नहीं है| परन्तु छात्रों के बीच दरारों को भरने की बजाय मीडिया अपने दामन को दागदार कर देश के निर्माण में सहायक इस चौथे स्तम्भ को ढहाने जैसा अशोभनीय कार्य कर अविश्वास जाग्रत कर रही है|

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