इजराइल का मोदी प्रेम इनकी आँखों में सबसे ज्यादा खटक रहा है

भारत इजराइल मोदी यहूदी

भारत के 70 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इजराइल का दौरा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिन के इजराइल दौरे पर हैं। इजराइल पश्चिमी एशिया का एक बहुत ही छोटा लेकिन महत्वपूर्ण देश है, जो अरब के इस्लामी मुल्कों से घिरा हुआ है। नरेंद्र मोदी की यह यात्रा कूटनीतिक, राजनैतिक, व्यापारिक के आलावा आपसी संबंधों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस यात्रा से एक बात निकल कर आ रही है कि भारत के कुछ समुदाय विशेष के लोग जी-तोड़ इसका विरोध कर रहें हैं। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक विरोध किया जा रहा है। विरोध करने वालो का कहना है कि ‘इजराइल इस्लाम विरोधी है और उसने फिलिस्तीन पर कब्ज़ा जमाया हुआ है।’

और इसी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति की वजह से 1947 में प्रधानमंत्री पं. नेहरू इजराइल का एक राष्ट्र के रूप में समर्थन नहीं किया था। कांग्रेस ने सिर्फ एक समुदाय को लुभाने के लिए कभी इजराइल का पक्ष नहीं लिया, उसने हमेशा संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के खिलाफ और फिलिस्तान के पक्ष में ही वोट डाला, जबकि फिलिस्तान समेत पूरा अरब मुल्क कश्मीर मामलों में पाकिस्तान का ही साथ देता आया है। जबकि इजराइल ने हमेशा भारत का साथ निभाया है। 1962, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में इजराइल ने भारतीय सेना की बहुत मदद की थी, लेकिन आज जब भारत अपने सच्चे दोस्त से मिल रहा है तो इन्हीं पाकिस्तान परस्तों को दिक्कत होनी शुरू हो गयी है।

इजराइल यहूदियों का देश है।

वही यहूदी जिनपर दुनिया की हर कौम ने अत्याचार किया सिवाय हिंदुओं के। नाज़ी हिटलर के गैस चेम्बर में मरने वाले भी यहूदी थे तो इस्लामी ताकतों के अत्याचार का शिकार भी यहूदी थे। दुनिया की प्राचीनतम संस्कृति सभ्यता में से एक यहूदियों को जब उनके ही ज़मीन से बेदखल कर दिया गया था तो भारत की ही ज़मीन ने उन्हें शरण दी थी, इसीलिए आज भी यहूदियों के मन में भारत के लिए विशेष प्रेम और सम्मान का भाव है।

भारत और दुनिया भर के मुसलमानों का कहना है कि इजराइल ने मुसलमानों के फिलिस्तान की ज़मीन पर कब्ज़ा किया है, तो एक बात सोचिए जो धर्म-संप्रदाय 3000 साल पुराना है, जिसकी धार्मिक नागरी येरुशलम हज़ारों सालों से यहूदियों के लिए पूज्यनीय है तो वो इस्लाम का हिस्सा कैसे हो गयी ? आखिर वास्तव में एक 1400 पुराने धर्म के पास 56 मुल्कों जितनी जमीन कैसे हो गयी ? राम के भाई भरत की माता कैकयी का शहर कैकय प्रदेश था आज अफगानिस्तान कैसे बन गया ? राम के पुत्र लव द्वारा बनाई गयी नगरी आज हिंदुओं के यातना झेलने वाले लाहौर शहर में कैसे तब्दील हो गयी ? बाली और सुग्रीव का राज्य आज इंडोनेशिया कैसे बन गया ? दुनिया की प्राचीनतम सभ्यता की सनातन भूमि अखंड भारत के आज कितने हिस्से हो गए ? इन धर्मान्धों को दूसरे पर आरोप लगाने से पहले खुद के गिरेबां में झाँक लेना चाहिए कि किसने किसकी और कितनी जमीनों पर कब्ज़ा जमाया है।

भारत के मुस्लिमों के आलावा दुनिया के किसी भी इस्लामिक राष्ट्र ने इजराइल यात्रा का विरोध नहीं किया है, जबकि इस्लामिक राष्ट्रों का संघ एकमत होकर इजराइल का विरोधी है। मुस्लिम राष्ट्रों का विरोध ना करना एक तरह से भारत की सकारात्मक विदेश नीति और कूटनीतिक जीत को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में ईरान और तुर्की के साथ साथ पूरा अरब मुल्क है। लेकिन यहाँ बात तो यह है कि जब अपना ही सिक्का खोटा है तो दूसरों पर दोष क्या मढ़ना!

Exit mobile version