ऐसे चुने जाते हैं देश के राष्ट्रपति, थोड़ी जटिल पर बड़ी अनोखी प्रक्रिया है

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आज राष्ट्रपति चुनाव की लड़ाई अपने अंतिम मुकाम पर है । रायसीना हिल पहुंचने के रास्ते में वही विजेता बनेगा, जिसे देश के सबसे अधिक विधायक और सांसदों का समर्थन हासिल होगा । बीते महीने से राष्ट्रपति उमीदवार को लेकर तमाम अटकलें और अफवाहों का बाजार गर्म था | एक बार फिर मोदी – शाह की गूगली ने रामनाथ कोविंद को एनडीए का राष्ट्रपति उमीदवार बनाकर अपने फैसले से सबको चौंका दिया | पिछले कुछ महीनों से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सरकार और विपक्षी पार्टियों में मंथन चल रहा था अनेकों नाम पर आये दिन चर्चा होती रही है | सत्ताधारी एनडीए की ओर से बिहार के पूर्व गर्वनर रामनाथ कोविंद और विपक्ष की ओर से लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार मैदान में हैं | आज की वोटिंग के बाद 20 जुलाई को नतीजे आएंगे और यह साफ हो जाएगा कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा | बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव किसी आम चुनाव की तरह नहीं होते हैं, जहां पर आम जनता प्रत्यक्ष रूप से वोट डालती हो | इसका फैसला विधायक, सांसद की वोटों के आधार पर किया जाता है |

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है, जिसके अगले दिन यानी 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति पदभार ग्रहण करेंगे | सियासी समीकरणों को देखें तो इस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत पक्की मानी जा रही है | राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल दोनों उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और मीरा कुमार दलित समाज से हैं यानी ये तो तय है की यह चुनाव देश को एक दलित राष्ट्रपति देगा | अब देखना ये है की आंकड़ो के हिसाब से किसका पलड़ा ज्यादा भारी है |

अगर आंकड़ों की बात की जाए तो बिहार के पूर्व राज्यपाल कोविंद की दावेदारी मजबूत नजर आती है, क्योंकि उन्हें एनडीए के अलावा जेडीयू और बीजेडी जैसे विपक्षी दलों का भी समर्थन हासिल है | जेडीयू के पास निर्वाचक मंडल का कुल 1.91 फीसदी वोट है, जबकि बीजेडी के पास 2.99 फीसदी वोट है | इसके अलावा तेलंगाना में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के पास 2%, ऑल इंडिया अन्नाद्रमुक का एक गुट (5.39 %) और वाईएसआर कांग्रेस (1.53%) ने भी कोविंद के पक्ष में मतदान करने की घोषणा की थी |

अब हम आपको बताते हैं राष्ट्रपति चुनाव का तरीका, चुनावी समीकरण और सांसदों एंव विधायकों के वोटों की कीमत:

कुल कितने लोग वोटिंग करेंगे?
लोकसभा सांसद – 543 (2 नॉमिनेटेड सदस्य वोट नहीं डाल सकते)
राज्यसभा सांसद – 233 (12 नॉमिनेटेड सदस्य वोट नहीं डाल सकते)
देश के कुल विधायक – 4,120
कुल वोटरों की संख्या – 4,896
कुल 4,120 विधायकों के वोटों की संख्या – 5,49,474
कुल 776 सांसदों के वोटों की संख्या- 5,49,408

सबसे अधिक वोट वाले राज्य:
यूपी – 83,824
महाराष्ट्र – 50,400
प. बंगाल – 44,304

एक विधायक की कीमत : किस राज्य में कितनी ?
उत्तर प्रदेश – 208
तमिलनाडु – 176
झारखंड – 176
महाराष्ट्र – 176
बिहार – 173
केरल – 152
प. बंगाल – 151
गुजरात – 147

एक विधायक की कीमत 10 से कम वाले राज्य :
सिक्किम – 7
अरुणाचल प्रदेश – 8
मिजोरम – 8
नागालैंड – 8

कैसे होती है विधायको के वोटों की कीमत तय?

राष्ट्रपति चुनाव में देश के सभी निर्वाचित सांसद और विधायक वोट देते हैं। सांसदों और विधायकों के वोटों की कीमत तय की जाती है। उदाहरण के तौर पर – जिस राज्य के विधायक के वोट की कीमत निकालनी हो तो उस राज्य की जनसँख्या को उस राज्य के कुल विधायको की संख्या से भाग देना होगा और फिर 1000 से डिवाइड करके एक वोट की कीमत निकली जाती है | ऐसे हर राज्य के विधायक के एक वोट की कीमत अलग होती है |

एक एमपी के वोट की कीमत:

एक एमपी के वोट की कीमत निकालने के लिए सभी राज्यों के विधायकों के वोट को जोड़कर उसे लोकसभा के निर्वाचित 543 और राज्यसभा के निर्वाचित 233 सदस्यों से डिवाइड किया जाता है।

बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में हर सांसद के वोट का वैल्यू 708 है, जबकि विधायकों के वोटों का मूल्य उनके राज्यों की आबादी के अनुसार होगा, जैसे उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की कीमत है 208, जबकि अरुणाचल जैसे कम आबादी वाले राज्य के विधायक के वोट का मूल्य 8 है | ऐसे में कोविंद को निर्वाचक मंडल के कुल 10,98,903 मतों में से 63 फीसदी से ज्यादा मत मिलने की संभावना है | अगर आंकड़ों के समीकरणों को सही मान ले और समीकरण के मुताबिक ही वोट पड़े तो 25 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद पदभार ग्रहण करेंगे |

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