TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

बाकी रिव्यु पढ़ लिए? अब पढ़िए इन्दु सरकार सरकार फिल्म की निष्पक्ष समीक्षा

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
31 July 2017
in चलचित्र
इन्दु सरकार
Share on FacebookShare on X

बाधाओं के एक सागर को लांघने के बाद आखिरकार प्रसिद्ध फ़िल्मकार मधुर भंडारकर की भारतीय आपातकाल पर बनी फिल्म इन्दु सरकार कुछ ही दिन पहले सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। तानाशाही काँग्रेस पार्टी, जिनके लिए इस फिल्म के बारे में सोचना तक तौहीन था, से लेकर अति सक्रिय सेंसर बोर्ड, जिनहोने इस फिल्म में फर्जी के 12 कट सुझाए, के प्रकोप झेलते हुये इन्हे सूप्रीम कोर्ट से अप्रत्याशित सहायता मिली, जिनहोने प्रीति सिंह कौल, जो कथित रूप से संजय गांधी की पुत्री हैं, की याचिका को ठुकराते हुये इस फिल्म के प्रदर्शन को हरी झंडी दी।

पर वो एक चीज़, जो मधुर भंडारकर अपने ध्यान में रखना भूल गए, वो थी कथित फिल्म समीक्षकों की कुदृष्टि, जिनमें से कई तो उदरवादी, और वामपंथी मानसिकता के बुद्धिजीवियों के रहमोकरम पर पलते हैं, और जो इसे जनता तक न पहुँचने देने के लिए किसी भी हद तक गिरा सकते हैं। आपको यकीन नहीं होता न? तो खुद ही देखिये:-

संबंधितपोस्ट

इंदु सरकार फिल्म ट्रेलर की आठ तस्वीरें जो कांग्रेस की नींदें उड़ा रही होंगी

और लोड करें

मधुर भंडारकर की फिल्म एक नीरस, राजनैतिक नौटंकी है – NDTV समीक्षा

आपातकाल पर मधुर भंडारकर की यह फिल्म आपातकाल से भी बुरी है– India Today समीक्षा

आपातकाल का ठंडा, रक्तहीन संस्कारण – The Indian Express समीक्षा

हाँ, ये ऐसे ही समीक्षकों के बोल हैं, जो ये सुनिश्चित करना चाहते हैं की भारत के काले अध्यायों में से एक, आपातकाल पर बनी एक ईमानदार कोशिश, और ‘फ़ैशन’ के बाद मधुर भंडारकर की बेहतरीन फिल्मों में से एक अपनी गुमनाम मौत मरे, और जनता के सामने ना आ सके। मज़े की बात तो देखो, दो समीक्षक, विशेषकर रेडिफ और इंडिया टूड़े वाले, वही लोग हैं, जिनहोने विवेक अग्निहोत्री की ‘बुद्धा इन अ ट्रेफिक जैम’  को बिना देखे ही इनकी नकारात्मक समीक्षा देने लगे थे ।

ये तो कुछ भी नहीं है। मैं वैसे तो लोगों पर सीधी उंगली नहीं उठाता, पर ऐसे समीक्षकों के दलदल से एक समीक्षक को ज़रूर बाहर लाना चाहूँगा, जिनका नाम है शुभ्र गुप्ता, और ये बदकिस्मती से कभी राष्ट्रवादी रही द इंडियन एक्सप्रेस में अपने लेख छपवाती है। किसी आम दिन पर कोई भी मूवी चाहे जितनी ही मज़ेदार और रोचक क्यों न हो, उसकी चीर फाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी, पर इनके एजेंडा के मुताबिक फिल्म आ जाये, जैसे नारिवाद के नाम पर भौण्ड्पना और अश्लीलता परोसती ‘लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का’, तो देखिएगा कैसे पालक पावड़े बिछाकर ऐसी फिल्मों का स्वागत करती है। ‘इन्दु सरकार’ भी इनकी कुदृष्टि से नहीं बच पायी है, तो इसलिए हमारा ये जानना बहुत ज़रूरी है की ‘इन्दु सरकार’ वाकई में एक देखने लायक कहानी है या फिर बस एक और सिनेमाई करिश्मे के नाम पर परोसा जाने वाला उपदेश है। तो चलिये, और देखिये इसे:-

इन्दु सरकार की पृष्ठभूमि भारत में लागू आपातकाल है, जिसे एक अनाथ कवियत्री इन्दु [कीर्ति कुलहरी], अपने आँखों से देखती है। इन्दु को हकलाने की बीमारी है, जिसे न तो उसे माँ बाप मिल पाते हैं, और न ही एक अच्छा पति। फिर इनकी मुलाकात होती है नवीन सरकार [तोता रॉय चौधरी], जो एक आकांक्षी नौकरशाह है, और जिसे इन्दु के हकलाने से कोई दिक्कत नहीं है। वो किसी भी तरीके से ऊपर पहुँचना चाहता है, और इसी पसोपेश में आती है 1975 का वो भयानक दौर, जब पूरे भारत में आपातकाल लागू हुआ था , और यही डरी सहमी सी इन्दु और उग्र नवीन में एक दरार सी खींच देता है, और नवीन इसके विरुद्ध एक शब्द नहीं सुनना चाहता है, क्योंकि वो वाणिज्य मंत्री ओम नाथ राय के चापलूस भी हैं, जो नवीन को इस वक़्त में प्रगति करते देखना चाहते हैं, ताकि वो अपने चीफ़, और कुख्यात तानाशाह संजय गांधी [नील नितिन मुकेश] के खास बन सके, जो अपनी तानाशाह का डंका पूरे भारत में बजवाना चाहते हैं।

वहीं दूसरी तरफ इन्दु दिल्ली की सड़कों पर हो रहे हजारों निर्दोषों के साथ अत्याचारों को बर्दाश्त नहीं करती और अपने पति के हाथों धोखा खाने के बाद एक भूमिगत क्रांतिकारियों की टोली, हिम्मत इंडिया संगठन का हिस्सा बनती है, जिसका नेतृत्व भेस बदलने में माहिर एक गांधीवादी क्रांतिकारी, नानाजी [अनुपम खेर] करते हैं। फिर जो होता है, वो एक अहम बदलाव है, एक हकलाती कवियत्री से एक निडर क्रांतिकारी की ओर, जो तब तक नहीं रुकेगी जब तक वो देश को गांधी परिवार के अत्याचारों से मुक्त नहीं कराती।

इन्दु सरकार में क्या अच्छा है:-

‘हीरोइन’ और ‘कलेंडर गर्ल्स’ जैसी आपदा झेलने के बाद, निर्देशक मधुर भंडारकर ने इस मूवी से अपनी वापसी दर्ज कराई है। इनहोने उस काल की तरफ एक विशेष ध्यान दिया है, और इस बात पर विशेष ध्यान है की कुछ भी पीछे नहीं छूते। दिल्ली की आबोहवा में चाहे पॉश इलाके हों, या तुर्कमान गेट के पास की झुग्गियाँ हो, मधुर भंडारकर ने उस काल की सफल रचना की है। जब इन्दु और नवीन के बीच प्रेम दृश्य दिखाये जा रहे हो, तब पीछे से बजती ‘ये समां’ की मधुर धुन आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है।

वैसे भी, जिस तरह से पुलिस वालों ने गरीब और पिछड़े लोगों के साथ बर्ताव किया था, चाहे वो तुर्कमान गेट पे हो, या जबरन परिवार नियोजन योजना को लागू करना हो, मधुर भंडारकर ने आपको इन्दिरा सरकार द्वारा जनता की तरफ दिखाई गयी बेरुखी से आपको शर्मिंदगी से लाल पीला होने पर विवश कर देगा, जहां मंत्री और नौकरशाह सिर्फ ‘माँ बेटे’ की जोड़ी की खुशामद करने में लगे रहते थे। जब एक वयोवृद्ध आदमी और एक छोटे से बच्चे पुलिस से ये पूछते हैं की उनकी ज़बरदस्ती नसबंदी क्यों कराई जा रही है, तब आप किसी तरह नहीं मुस्कुरा सकते।

यहाँ तक की जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गरियाया जाता है धर्मनिरपेक्षता के नाम पर, उसे भी उचित समय और ध्यान दिया गया है, और स्वयंसेवकों को जिस तरह बिना वजह पकड़ कर आंतरिक सुरक्षा के नाम पर अंदर डाला गया, उसका भी सटीक चित्रण किया गया है। इनके सबके बावजूद, अगर इन आतताइयों की राष्ट्रकुल सांसदीय सम्मेलन कराने की हिमाकत होती है, जहां ये भारत को एक खुशहाल और समृद्ध देश दिखाना चाहते हैं, तो इसे देख आप भी निस्संदेह उल्टी करने को मजबूर हो जाओगे। आखिर कोई इतनी बेशर्मी से झूठ कैसे बोल सकता है? यहाँ पर एक ऐसा दृश्य भी है, जहां हम देखते हैं की कैसे किशोर कुमार का संजय गांधी के परिवार नियोजन के गुणगान करने के संजय गांधी के फरमान को मना करने पर उनके सारे गाने ऑल इंडिया रेडियो पर प्रतिबंधित कर दिये गए थे।

शायद भारतीय आपातकाल के यही दृश्य आपकी नज़रों से समीक्षक दूर रखना चाहते हैं। सबसे अहम बात, वो हमें ये जानने देना नहीं चाहते हैं की उस वक़्त में लोग कैसे अपने हक के लिए लड़ते थे और फिर यही लोग एक चुनी हुई, राष्ट्रवादी सरकार को फासीवादी बताते हैं! हाय रे दोगलापन…..

इन्दु सरकार में क्या उत्कृष्ट है:-

इन्दु सरकार में अभिनेताओं ने जितनी मेहनत की है, वो निस्संदेह अद्भुत है। तारीफ़ों की सबसे बड़ी हकदार निस्संदेह इस फिल्म की मुख्य अभिनेत्री कीर्ति कुलहरी है, पर बाकी अभिनेताओं ने भी कोई कम योगदान नहीं दिया है। एक विशेष स्थान दिया जाने जाना चाहिए अनुपम खेर को, जिनहोने थोड़े से समय में ही अपनी गहरी छाप छोड़ दी। नील नितिन मुकेश ने इस फिल्म से धमाकेदार वापसी की है, और उनके किरदार को फिल्म में नाम न दिये जाने के बावजूद उन्होने बिगड़ैल अमीरज़ादे संजय गांधी का सटीक चित्रण किया है। यहाँ तक की तोता रॉय चौधरी भी नवीन सरकार के किरदार में किसी प्रकार से नाटकीय नहीं लग रहे थे।

सहायक मंडली भी कमाल की थी। चाहे वो एक अधीर क्रांतिकारी शिवम रेड्डी का किरदार निभा रहे अंकुर विकल हों, या वो लड़की, जो कई लोगों को संजय गांधी की खास, रुख़साना सुल्ताना की याद दिलाती थी, इन सभी ने इस मूवी में अपनी अमित छाप छोड़ी है।

इन्दु सरकार में क्या और बेहतर हो सकता था:-

शायद मधुर भंडारकर अपनी फिल्म को उचत्तम बनाने में एक जगह चूक गए, और वो था ध्वनि नियंत्रण, जिसके कारण जिन दृश्यों में संवाद की महत्ता ज़्यादा थी, उसमें कुछ नाटकीय ध्वनियों ने पूरा का पूरा माहौल ही बिगाड़ दिया। इसी गलती ने अग्निपथ मूवी [1990 में मुकुल आनंद द्वारा निर्देशित] को उसकी उचित कामयाबी नहीं दी थी।

अगर यह एक गलती न होती, और इन्दु सरकार फिल्म थोड़ी और कड़क लगती, तो इन्दु सरकार जैसी फिल्म ‘सदियों में एक’ की उपाधि से अवश्य नवाज़ी जाती।

निस्संदेह ये मधुर भंडारकर की सर्वश्रेष्ठ कृति नहीं है, पर जिस समय कोई भी सच बोलने से दर्ता हो अपने भारत में, मधुर भंडारकर ने उस सच को पर्दे पर दिखाने की हिम्मत तो की, और काफी अच्छी कोशिश की।

मैं तो खुद इस फिल्म को 10 में 7.5 अंक दूँगा। अगर ध्वनि की तीव्रता को हटाएँ, तो इन्दु सरकार ज़रूर एक अच्छी, और देखने लायक मूवी है।

Tags: इन्दु सरकार
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

यही वो क्षण था जब नितीश जी ने सोचा, महागठबंधन की ऐसी-की-तैसी, मैं चला एनडीए

अगली पोस्ट

हैदराबाद विश्वविद्यालय में हुए शहीदों के अपमान का इस तरह हिसाब चुकता किया राष्ट्रवादी छात्रों ने

संबंधित पोस्ट

स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार
चलचित्र

स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार

9 August 2025

स्मृति ईरानी एक बार फिर छोटे पर्दे पर नजर आ रही हैं, और इस बार चर्चा सिर्फ नॉस्टैल्जिया तक सीमित नहीं है। ‘क्योंकि सास भी...

“उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कौन देगा?”
चलचित्र

“उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कब मिलेगा?”

26 July 2025

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फिल्म "उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर" की रिलीज़ पर लगी रोक को बढ़ाने से इनकार कर दिया। इससे अब...

जमीयत ने अदालत का रुख किया, दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगाई: क्या 'उदयपुर फाइलें' इतनी वास्तविक हैं कि उन्हें संभालना मुश्किल है?
चलचित्र

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जमीयत; ‘सिर तन से जुदा’ हो पर खामोश रहे हिंदू?

8 July 2025

राजस्थान के उदयपुर जिले के बहुचर्चित कन्हैयालाल मर्डर केस पर बनी फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ (Udaipur Files) को लेकर शुरू हुआ विवाद अब थमने का नाम...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Bihar Files: When Scam Money Didn’t Reach Minister’s House but Landed at ‘Boss’ Residence

Bihar Files: When Scam Money Didn’t Reach Minister’s House but Landed at ‘Boss’ Residence

00:06:22

Why India’s 800-km BrahMos Is a Nightmare for Its Adversaries

00:06:22

The Congress Party’s War on India’s Soldiers: A History of Betrayal and Fear

00:07:39

How Bursting Firecrackers on Deepavali Is an Ancient Hindu Tradition & Not a Foreign Import

00:09:12

This is How Malabar Gold Betrayed Indians and Preferred a Pakistani

00:07:16
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited