ये है निर्मला सीतारमण के रक्षा मंत्रालय की रेस जीतने का सबसे बड़ा कारण

निर्मला सीतारमण

मोदी सरकार के हालिया कैबिनेट बदलाव ने इस बार व्यक्तिगत प्रदर्शन पर ज़्यादा ज़ोर दिया है, जिससे साफ है की मोदी सरकार सिर्फ योग्यता और निश्छल प्रदर्शन पर केन्द्रित रहेगी। इसीलिए, श्रीमति निर्मला सीतारमण, जो एक कुशल प्रवक्ता से पहले एक मुखर वाणिज्य मंत्री में, जिनहोने भारतीय अर्थव्यवस्था को उसके सबसे कठिन दौर में से बाहर निकालने में एक अहम भूमिका निभाई  और अब रायसीना हिल्स की तरफ बतौर भारत की दूसरी महिला रक्षा मंत्री के तौर पर अपने कदम रखने को पूरी तरह तैयार है, जो एक नए भारत के उदय का सूचक है, जहां सिर्फ आपकी योग्यता मायने रखेगी, न जाति, और न ही लिंग आपके सपने के पूरे होने में आड़े आएंगे ।

काँग्रेस के शासन में भारत के  केंद्र सरकार में महिलाओं की भागीदारी अपने न्यूनतम स्तर पर रही थी, पर संयोग देखिये, जिस केसरिया भाजपा पर पुरुष केन्द्रित होने का आरोप लगता था, वही महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हरसंभव प्रयास करने में लगे हुये हैं है। 2014 से मोदी सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति अपने प्रतिबद्धता को प्रमाण सहित सिद्ध किया है।

इसीलिए सर्वगुण सम्पन्न, श्रीमति निर्मला सीतारमण को देश की सुरक्षा की कमान अपने आप में किसी ऐतिहासिक निर्णय से कम नहीं है।

जैसे कहा जा रहा है, ये सिर्फ महिला सशक्तिकरण के नाम पर खानापूर्ति नहीं है, बल्कि एक सोचा समझा निर्णय है, जहां एक सख्त और कुशल प्रशासक को आने वाले समय के लिए देश के सबसे अहम मंत्रालयों में से एक की कमान सौंपी गयी है। जबसे मनोहर पर्रिकर को गोवा की साख रखने के लिए रक्षा मंत्रालय छोडना पड़ा था, तबसे रक्षा मंत्रालय को दोतरफा मुसीबत झेलनी पड़ रही थी, चाहे वो पीओके से आए दिन आतंकी मुठभेड़ हो, या फिर डोकलम के मुद्दे पे चीन की गुंडई हो, ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए एक साथ वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालना कोई बच्चों का खेल नहीं था। उन पर पहले से ही विमुद्रीकरण और जीएसटी संबन्धित समस्याओं के निस्तारण का दबाव सिर चढ़ कर बोल रहा था।

ऐसे में श्रीमति निर्मला सीतारमण की बतौर रक्षा मंत्री नियुक्ति न सिर्फ समय के हिसाब से उपरयुक्त है, बल्कि सही भी है, क्योंकि हालांकि भारतीय कूटनीति ने डोकलम मुद्दे का सफल निस्तारण तो करने में सफल रही है, पर अभी भारतीय रक्षा क्षेत्र में अभी काफी सुधार करने बाकी है, जो एक बेरुखी यूपीए प्रशासन में किसी तरह बस जीवित रहने के लिए घिसट रहा था। न तो सैन्य सेवा में आधुनिकीकरण हो रहा था, और न ही सैन्य खरीददारी पर कोई ध्यान दिया जा रहा था। जब ये अपने नए उत्तरदायित्व को संभालेंगी, तो ये देखना दिलचस्प की क्या मोदी जी के बहुप्रतीक्षित मेक इन इंडिया के वाणिज्य संकाय को रक्षा मंत्रालय के उपयोग में लाया जा सकता है क्या, जिससे रक्षा संबन्धित मशीनरी और स्वदेशी तकनीक के विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

पर निर्मला सीतारमण की पीएम मोदी द्वारा नियुक्ति का सबसे बड़ा कारण है की इनहोने अपनी कुशलता और प्रतिबद्धता का प्रमाण बतौर वाणिज्य मंत्री अपने 3 वर्षीय कार्यकाल में ही दिया है, जब चीन के भारत को अपने उत्पादों के लिए डम्पिंग ग्राउंड बनाने के मंसूबों पर उन्होने बड़ी कुशलता से पानी फेर दिया और उन्होने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स के उत्थान के लिए अहम फैसले भी लिए। इनकी आर्थिक कुशलता और इनके बातचीत का कौशल, जिसकी सख्त्ता का प्रमाण विपक्षी पार्टियों को कई बार संसद में मिल चुका है, ऐसे मसलों में बार्डर पर बड़ी उपयोगी होंगी। इससे न सिर्फ हमारी सेना का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ भी मजबूत रहेंगी और चूंकि इन्हे पता की चीन की वास्तविक कमजोर कड़ी क्या है, इसलिए वे चीन जैसे देशों को भी काबू में रख सकती हैं।    

रक्षा मंत्रालय एक अहम पद है और मोदी सरकार ये बखूबी जानती थी की एक योग्य और दृढ़ व्यक्ति ही इस पद के योग्य है, जिसे बिना किसी विचार विर्मश थाली पर सजाकर नहीं परोसा जा सकता। हाल में सीमाओं की गतिविधियों को देखते हुये यहाँ चेंज ऑफ गार्ड का जोखिम नहीं लिया जा सकता था, इसलिए विपक्ष को भी अपने निर्णय में शामिल करना आवश्यक था, ताकि वो इसे भी अपनी जीत समझे।

फिर भी निर्मला सीतारमण की नियुक्ति से मोदी सरकार ने हर बार की तरह कई राजनाइटिक पंडितों और जाने माने पत्रकारों को बगले झाँकने पर इस बार भी विवश कर दिया है। इस पूरे प्रकरण ने इन्हे ऐसा झकझोर कर दिया है, की ये इन्हे 2019 तक डराता रहेगा। पर आखिरकार इस निर्णय को अमली जामा पहना दिया है , जो कई दशकों के पाप धोने के लिए काफी है, और भारत को अब नई ऊंचाइयों को ले जाने के लिए तत्पर है।

इसीलिए हम यहाँ जेएनयू से अर्थशास्त्र में स्नातक और मदुरै शहर की निर्मला सीतारमण, जिनहोने कर्नाटक से बतौर राज्य सभा सदस्य किट्टुर की रानी चिनम्मा अथवा वनाके ओबव्वा की तरह देश के दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए कामना करते हैं, अंदर से भी और बाहर से भी।

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