एक लोकसभा सीट, तीन भाजपा दिग्गज, और कांग्रेस की भयंकर बेइज्जती

स्मृति ईरानी, अमेठी, राहुल गांधी

अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और स्मृति ईरानी में ऐसी क्या समानता है कि उन्होंने अभिजात्य वर्ग के वर्चस्व वाले क्षेत्र में अपनी वृद्धि के साथ साथ अपने स्तर में भी वृद्धि कर ली जहाँ वो अभिजात्य वर्ग बाहरी लोगो को अपना दुश्मन समझता है। राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में रैली एक तरह से भाजपा के 2019 चुनाव के लिए बिगुल फूँकने जैसा प्रतीत हो रहा है। यह शोषण की कला में महारत हासिल करने वाले खुद की सेवा करने वाले अभिजात्य वर्ग को ढेर करने के लिए पूरी देश की जनता का को सन्देश दिया गया है। अमेठी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि, एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र जिसने 4 गांधियों को संसद में भेजा है।

कांग्रेस पार्टी पहली बार अमेठी में बैकफुट पर है, अमेठी पार्टी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है, लेकिन बैकफुट पर होने से अब यह पार्टी की कमजोर स्थिति की ओर इशारा करती दिख रही है। 2014 के आम चुनाव से पहले गांधी परिवार से लड़ते हुए अमेठी में किसी भी उम्मीदवार को 1 लाख से अधिक वोट नहीं मिले। 2014 में भाजपा के उम्मीदवार स्मृति ईरानी को 3 लाख वोट मिले। वहीं संसद के मौजूदा सदस्य राहुल गांधी की जीत का अंतर 3 लाख वोट से घटकर 1 लाख वोट से कुछ अधिक पर आ गया।

स्मृति ईरानी ने अमेठी में वापस जाने का वादा किया और चुनाव हारने के बाद भी निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए विकास कार्यों का आयोजन किया। चुनाव के बाद स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी की तुलना में अमेठी में ज्यादा समय बिताया ताकि सुनिश्चित हो सके कि सरकारी योजनाएं लोगों तक पहुंचे और उसकी सद्भावना मिले। उनके इन प्रयासों ने ही इस साल के शुरू में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में एक मीठा फल दिया। अमेठी निर्वाचन क्षेत्र के दायरे में आने वाली 5 विधानसभा सीट में से कांग्रेस एक भी जितने में नाकाम रही, वहीं भाजपा ने 4 सीट जीते।

अमेठी से राहुल गांधी को बाहर निकालने के बाद यह कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी होगी, और यही वह कार्य है जिसके लिए अमित शाह मेहनत कर रहे हैं। अतीत में सभी पार्टी के सर्वोच्च नेताओं को अपने विरोधियों द्वारा एक वाकओवर की तरह सीट दे दी जाती थी। लेकिन शाह के साथ भाजपा के मामले में यह सभी दांव बंद है। शाह जीतने के लिए, सब कुछ जीतने के लिए खेलते हैं। किसी भी तरह की अंतर्दृष्टि समझ या कोई चुनावी सौजन्य किसी के लिए भी नहीं दिया जाएगा चाहे वह अकबर रोड में रहते हो या जनपथ में।

रैली की शाम अमेठी में राहुल गांधी के निकटतम सहयोगी जंग बहादुर सिंह भाजपा में शामिल हो गए। सिंह पूर्व विधायक हैं और उन्होंने लगभग 70 अन्य कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी बदल ली है। इसमें 20 से अधिक गांवों के सरपंच शामिल है। विभिन्न अनुमानों के मुताबिक सिंह अमेठी में 30 हजार वोटों पर नियंत्रण रखते हैं और उनका या कदम कांग्रेस पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है। सिंह ने दावा किया है, जैसा कि अमेठी के अन्य नागरिक भी कह रहे हैं कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के सांसद के पास उनके लिए कोई समय ही नहीं है। जब भी अवसर पैदा होते हैं तब महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र में असंतुष्ट तत्वों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए भाजपा को पूर्ण श्रेय देना चाहिए। इस तरह की बातें शाह के पहले युग में असंभव थी।

मंगलवार को अमेठी में जो तीनों (योगी-शाह-ईरानी) मंच पर थे, वो संवाद करने में गुरु हैं।

यह तीनों कांग्रेस के सत्ता के दौरान उनके पारिस्थितिक तंत्र के शिकार हैं। शाह अपने गुजरात के समय से से इनके हिटलिस्ट में रहे हैं, अभी पिछले हफ्ते ही उन्होंने अपने दृष्टिकोण से शाह के बेटे को घेर कर माहौल बनाया था, चीजे अभी भी नहीं बदली है। यह तंत्र उनसे इसलिए भी घृणा करता है क्योंकि उन्होंने एक चाय बेचने वाले को देश के सर्वोच्च कार्यालय पर बैठा दिया है। 2014 में अमेठी में राहुल गांधी के विरुद्ध चुनाव को गंभीरता से लेने का साहस करने की वजह से स्मृति इरानी इनके तंत्र में घृणा पात्र बनी हुई है और तब से वह इनके पीड़ा का विषय बना हुआ है। योगी आदित्यनाथ को भगवा वस्त्र पहने योगी की वजह से हमेशा इनके तंत्र में भेदभाव किया गया। लेकिन मंगलवार को जब इन तीनों ने मिलकर इस पारिस्थितिकी तंत्र के राजनीतिक मालिकों पर हमला किया तो उसे वह संभाल नहीं पाए।

अमेठी में विकास की कमी को प्रकाश डालते हुए स्मृति ईरानी ने सबसे पहले अपनी बात रखी।

स्मृति ईरानी ने अमेठी के उत्थान के लिए अपने प्रयास और केंद्र और राज्य के एक साथ आने पर बात की। सालों से यहां के राजकुमार विदेशी स्थानों में छुट्टियां बिताने चले जाते हैं वही इस क्षेत्र को चलाने वाली एक नदी पूरे गांव को खा रही है। उन्होंने बताया कि पिछली राज्य सरकार ने इन सब की कैसी अवहेलना की थी और योगी सरकार के तहत नए मुद्दे के साथ इस पर काम करना शुरू कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ ने क्षेत्र में अपनी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों पर जोर दिया, लेकिन राजकुमार पर उनके द्वारा किए गए सीधे हमले के बाद लोग भौचक्के रह गए। एक गैर लाभकारी फाउंडेशन जिसे राजकुमार द्वारा चलाया जाता है उसने निर्वाचन क्षेत्र में कमर्शियल उद्देश्य से कई एकड़ जमीन पर कब्जा जमाया हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि हथियाना एक परिवार की विशेषता में से थी और उन्होंने नागरिकों को यह आश्वासन दिया कि उनकी देखरेख में ना ही बेटा और ना ही दामाद इन गैरकानूनी कामों से बच पाएंगे। उन्होंने बिना भय और बिना पक्षपात के एक सच्चे योगी की तरह बात किया।

लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का भाषण ऐसा था जिसने हमें कुछ ऐसी जानकारी दी जो उनकी पार्टी के प्रचार मुद्दों में अगले आम चुनावों में शामिल हो जाएगी। उन्होंने कुछ नई भाषाएं शुरू की जिसकी आने वाले महीनों में भारतीय राजनीतिक प्रवचन के केंद्र में होने की संभावना है : गांधी मॉडल बनाम मोदी मॉडल। अमेठी में कहीं भी अंतर नहीं था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने निर्वाचन क्षेत्र के लिए 3 वर्षों में जितना काम किया है उतना तो गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों ने भी नहीं किया। वास्तव में गांधी परिवार के सत्ता में रहते निर्वाचन क्षेत्र का विकास ट्रैक काफी निराशाजनक रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर बहुत से मापदंडों और संकेतकों में निर्वाचन क्षेत्र का सबसे खराब प्रदर्शन सामने आया जो की देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में माना जाता है। और यह सोचिए कि देश के पहले परिवार के लिए यह गढ़ा गया कि वो इसे एक मॉडल निर्वाचन क्षेत्र में बदल सकते हैं, जबकि जमीनी सच्चाई पहले परिवार की पूरी सच्चाई को बता रही है।

गांधी मॉडल बनाम मोदी, यह कुछ ऐसा है जो हम भविष्य में लगातार सुनेंगे, खासकर अगले आम चुनावों के दृष्टिकोण में। राहुल गांधी के पैरों से अमेठी फिसलने की चमचमाती खबर हमारे टेलीविजन स्क्रीन पर है, जब तीनों ने निर्णायक रूप से अमेठी को परिवार से दूर करने के लिए बाहर से राजनैतिक कहानी खेलने में लगे हैं, प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के राज्य गुजरात में जहाँ कांग्रेस पार्टी के हारने की पूरी सम्भावना है वहाँ राहुल गांधी को बेहद अजीब तरीके से नाचते हुए देखा गया था।

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