30 मार्च 2016: भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए वर्ल्ड टी-20 मुकाबले में भारत की हार हुई, जिसके बाद एनआईटी श्रीनगर के कुछ कश्मीरी छात्रों ने प्रसन्नता से ‘अपने ही देश’ के हार का जश्न मनाना शुरू कर दिया। यह कृत्य एनआईटी श्रीनगर के गैर-कश्मीरी राष्ट्रवादी छात्रों के लिए असहनीय था जो कि इन भारतीय संघ के लाभार्थी तथाकथित ‘गुमराह’ युवाओं द्वारा मनाया जा रहा था। राष्ट्रवादी छात्र जो कि मात्रा में कम थे उन्होंने अनुकरणीय साहस दिखाते हुए जमकर इसके विरुद्ध प्रोटेस्ट किया। उन छात्रों को एनआईटी श्रीनगर के अंदर ही अपने साथी कश्मीरी सहपाठियों द्वारा मारा गया और अपमानित किया गया। सुरक्षा प्रदान करने के बजाय स्थानीय पुलिस द्वारा भी उनको मारा गया। उन्हें लगातार मौत की धमकियां मिली लेकिन वे दृढ़ बने रहे। मुट्ठीभर छात्रों ने पुरे राष्ट्र को दिखा दिया कि असल में राष्ट्रवाद क्या है। वो असल में हीरो बन गए। इस नवरात्रि और दशहरा भी कुछ अलग हुआ है।
एनआईटी श्रीनगर में लगभग डेढ़ साल के बाद उन्हीं लड़कों ने एक बार फिर अकल्पनीय काम किया है। उन्होंने कश्मीर में एनआईटी श्रीनगर में इतने शानदार तरीके से नवरात्रि और दशहरा का जश्न मनाया कि वहाँ के अधिकारी भी उलझन में आ गए। यह वही कश्मीर है जहाँ ‘गुमराह’ कश्मीरी भारतीय सैनिकों पर पत्थरबाजी करते हैं, जहाँ ‘इंडियन डॉग्स गो बैक‘ लिखा होता है, जहाँ अफज़ल गुरु और बुरहान वानी के अंतिम संस्कार में लोगो का हुजुम उमड़ता है, अमरनाथ यात्रियों पर पत्थर फेंके जाते हैं और 208 से अधिक हिन्दू मंदिरों को पिछले 2 दशक में नष्ट कर दिया गया है।
जब पूरा देश अपने अपने हिस्से में नवरात्रि और दशहरा का जश्न मना रहा था, तब एनआईटी श्रीनगर के बहादुर दिल छात्रों ने लंबे समय से भूल चुके परंपरा को फिर कश्मीर के दिल में वापस लाया।
एनआईटी श्रीनगर के लड़कों ने नवरात्रि के नौ दिनों को पुरे धार्मिक उत्साह के साथ मनाया। छात्रों ने नवरात्रि के दौरान पूजा एवं आरती भी किया जो कि पिछले वर्षों के दौरान असंभव था। उन्होंने एनआईटी श्रीनगर परिसर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करते हुए दुर्गानवमीं को भी शानदार तरीके से मनाया।
एनआईटी श्रीनगर के छात्रों ने नवरात्रि के महानवमी के दिन एक भव्य हवन का आयोजन किया और आम लोगो और बच्चों को भोजन कराया।
दशहरा के दिन एनआईटी श्रीनगर के छात्रों ने रामलीला समारोह में भाग लिया और बुराई के मूर्त रूप – राक्षस राज रावण को जलाया।
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पूरा एनआईटी श्रीनगर परिसर ‘हर हर महादेव’ और ‘जय श्री राम’ के नारो से गूँज उठा था। वहाँ का माहौल इतना अद्भुत था कि यह वीडियो देख आपके रौंगटे जरूर खड़े हो जाएंगे।
एनआईटी श्रीनगर का परिसर जिसमें ‘भारत माता की जय‘ के नारे लगाने पर राष्ट्रवादी छात्रों पर लाठी चार्ज हुआ था, दशहरा के दौरान उसी परिसर में वही लड़के गले में भगवा कपड़ा डाले हुए ‘जय श्री राम’ के जयकारों के साथ सर उठाये घूम रहे थे।
कश्मीर, जिसे ‘पृथ्वी का स्वर्ग’ कहा जाता है, उसे उस स्तर पर आतंकवाद का सामना करना पड़ता है जितना पुरे विश्व में किसी अन्य क्षेत्र को नहीं। धरती का यह स्वर्ग एक खूनी युद्धक्षेत्र में तब्दील हो चुका है जहाँ भयावह मौतें और सशस्त्र संघर्ष एक नियमित मामला बन चुका है। घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद से ही हिंदुत्व का रंग फीका पड़ा हुआ है। एक बार जब राज्य सलाफी इस्लामवाद के क्षेत्रीय युद्धों और उनके अराजकता के चंगुल में गंभीर रूप घिर गया तब से हिन्दू से जुड़ी सभी चीजों में भारी गिरावट आई। कई कश्मीरी पंडितों, सिखों को लूटा गया, उनके बहन-बेटियों के साथ बलात्कार किया गया, बाजार में औरतों को बेचा गया, और उनके परिवारों को पलायन के लिए मजबूर किया गया।
कश्मीर की स्थिति में धीरे-धीरे ही सहीं लेकिन बदलाव आ रहा है। और इसके लिए मोदी के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार को धन्यवाद कहना चाहिए जो कश्मीर मुद्दें को हल करने के लिए पुरे उत्साह और इच्छाशक्ति के साथ लगी हुई है। इस वर्ष घाटी में कड़ी सुरक्षा के बीच नवरात्रि और दशहरा का त्यौहार मनाया गया। इस नौ दिवसीय त्यौहार के दौरान देश भर से हजारों श्रद्धालुओं ने रियासी जिले में त्रिकुटा पहाड़ी में स्थित माँ वैष्णो देवी का दर्शन किया। पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग मंत्री शाम लाल चौधरी, राज्य मंत्री प्रिया सेठी और अजय नंदा ने एशिया चौक से मुख्य बस स्टैंड तक भव्य ‘शोभा यात्रा’ को ध्वजांकित किया।
राज्य पर्यटन विभाग ने माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सहयोग से त्यौहार के दौरान कई धार्मिक, सांस्कृतिक, खेल और लोक आयोजनों की योजना बनाई थी। यह वास्तव में प्रशंसनीय उपलब्धि है कि दो दशकों से अधिक समय के बाद वैष्णो देवी मंदिर में रामलीला की परंपरा को पुनर्जीवित किया गया। 28 साल बाद कश्मीरी पंडितों ने दशहरा मनाया और जिसे कश्मीरी उग्रवादियों का गढ़ माना जाता था उस अनंतनाग में रावण दहन भी किया गया। यह वही अनंतनाग है जहाँ हाल ही में हिन्दू तीर्थयात्रियों पर हमला किया गया था। कश्मीरी पंडित अब खुलकर इस सरकार पर भरोसा कर रहे हैं। यह त्यौहारों का माहौल उनके लिए शायद सबसे अच्छा उपहार था।
दशहरा के उपलक्ष्य में रावण, मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले को जलाने के लिए कश्मीर के पोलो ग्राउंड में आयोजन किया गया था जिसमें जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती भी शामिल हुई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री को आयोजकों द्वारा शॉल भेंट किया गया। दशहरा के इस अवसर पर उनके साथ लोक निर्माण मंत्री नईम अख्तर, एमएलसी सुरिंदर अम्बारार और एमएलसी खुर्शीद आलम समेत अन्य लोग भी थे।
वहीं दशहरा उत्सव के दौरान जम्मू का परेड ग्राउंड एक शानदार उत्सव का गवाह बना। वहाँ विजयादशमी के उपलक्ष्य में रामलीला का आयोजन किया गया एवं रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले का दहन किया गया। सनातन धर्म सभा ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने भाग लिया। उनके साथ सांसद जुगल किशोर शर्मा, शिक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रिया सेठी, विधायक शनि शर्मा और राजेश गुप्ता समेत अन्य लोग मौजूद थे।
कश्मीर जो दर्द और रक्तहीनता से जूझ रहा था अब धीरे धीरे एक बदलाव देख रहा है। हाल ही के दिनों में जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने खीर भवानी मंदिर का दौरा किया था और वहाँ पूजा भी किया था। कश्मीर में होने वाले इस बदलाव के अग्रदूत और कोई नहीं नरेंद्र मोदी ही हैं। यदि वो प्रधानमंत्री नहीं बनते और जम्मू कश्मीर में सरकार नहीं बनाते तो इस बदलाव को आने में काफी समय लग जाता। काफी ज्यादा समय।