TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

    विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश

    दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    बांग्लादेश बन सकता है भारत के लिए नया संकट

    ISI और ARASA बांग्लादेश में कैसे रच रहे हैं क्षेत्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने की साजिश?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    How to Build a Home You Will Love for the Next Ten Years: Timeless Design Principles

    नेहरू 14 दिनों में ही नाभा जेल से निकल आए थेन

    जन्मदिवस विशेष: नाभा जेल में नेहरू की बदबूदार कोठरी और बाहर निकलने के लिए अंग्रेजों को दिया गया ‘वचनपत्र’v

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    अष्टलक्ष्मी की उड़ान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर से उभरती विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई कहानी

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    वंदे मातरम्, विभाजन की मानसिकता और मोदी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण – इतिहास, संस्कृति और आत्मगौरव का विश्लेषण

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

वो सब तो ठीक है लेकिन झूठ खबर फैलाने वाले मुद्दे पर रवीश कुमार सफाई कब देंगे?

Saswat Routroy द्वारा Saswat Routroy
13 October 2017
in मत
रविश कुमार, दलित, गुजरात
Share on FacebookShare on X

रविश कुमार को एक निडर, स्मार्ट और प्रख्यात पत्रकार के रूप में जाना जाता है, जो किसी भी प्राधिकारी से किसी भी तरह के सख़्त सवाल पूछने का साहस रखता है। रविश कुमार का सबसे प्रतिष्ठित और संभवतः सबसे प्रसिद्ध शो देश में ‘असहिष्णुता’ के माहौल की आलोचना करते हुए जेएनयू प्रकरण के दौरान “स्क्रीन काली” करने वाला था। उन्होंने भारत के लोगों पर राष्ट्रवाद के नाम पर असहिष्णु होने का आरोप लगाया था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कड़ी पैरवी की थी। उन्होंने स्क्रीन काली कर यह सुझाव देने की कोशिश किया था कि कुछ लोग, अधिकांश मीडिया समूह (जिसमें एनडीटीवी शामिल नहीं है) और वर्तमान शासन के लोग और संभवतः पूरी दुनिया ने एक उदार बहस को सम्पाप्त ही कर दिया है।

रविश कुमार लगातार वर्तमान सरकार को लोगों का ब्रेनवाश करने और कट्टर बनाने को लेकर दोषी ठहराते हुए कड़े प्रहार कर रहे हैं। सबसे हलिया मामले में गुजरात में दो अज्ञात लोगों ने एक 17 वर्षीय दलित युवक को मूँछ पर ताव दिखाने या मूँछ को मोड़ने जैसे छोटे से कारणवश उसके पीठ को ब्लेड से लहूलूहान कर दिया।

संबंधितपोस्ट

यूपी की दलित लड़की को आतंकी बनाना चाहते थे कट्टरपंथी, केरल ले जाकर दी जिहाद की ट्रेनिंग; फिर ऐसे बची जान

‘हिन्दू ‘ह*मी’ होते हैं…तुम्हें जान से मारेंगे देखते हैं राम, बुद्ध या आम्बेडकर में से कौन बचाता है’: दलित युवक पर सद्दाम, इमरान, जीशान, इदरीश ने किया जानलेवा हमला

जयंती विशेष: कभी आपतकाल के समर्थक रहे जगजीवन राम को कैसे हुआ इंदिरा से बैर?

और लोड करें

रविश कुमार, दलित, गुजरात

गुजरात की इस घटना ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया और सोशल मीडिया ने इसपे कड़ी प्रतिक्रिया दी। अपेक्षित रूप से मीडिया समूहों ने इस ख़बर को दिन रात कवर किया। एनडीटीवी, द वायर, द क्विंट जैसे मीडिया समूहों ने भारतीय नागरिकों के दिमाग़ में ये छाप पैदा करना शुरू कर दिया कि भारत अपने देश के निचली जाति की आबादी के लिए असहिष्णु है और दलितों को छोटे छोटे मुद्दों पर मार दिया जाता है। दलित कार्यकर्ताओं ने एक दलित किशोर पर “मूँछ को लेकर” हुए हमले के जवाब में सोशल मीडिया में एक क्रांति की शुरआत की।

इसके बाद सोशल मीडिया में विरोधी लोगो और फ़ोटो संदेश की बाढ़ आ गई जिसमें एक मूँछ के नीचे ताज था, जिसमें लिखा हुआ था “मिस्टर दलित”। लोग विरोध के रूप में अपनी मूँछ घुमाती हुई तस्वीर डालने लगे।

रविश कुमार, दलित, गुजरात

ख़बर के मुताबिक़ यह घटना 25 सितंबर 2017 को शुरू हुई थी। 24 वर्षीय पीयूष परमार जो कि गुजरात के गाँधीनगर जिले के लिंबोदरा गाँव का रहने वाला है। ऊपरी जाति के दरबार समुदाय के कुछ लोगों ने पीयूष और उसके चचेरे भाई दिगंत महेरिया गरबा से वापस गाँव लौटने के दौरान कथित तौर पर जातिगत टिप्पणी की थी। लड़कों ने समूह से परहेज़ किया और अपने घर लौट गए। पीयूष के अनुसार उस समूह के कुछ लोग बाद में उसके घर आकर “निचली जाति होने के बाद भी मूँछों पे ताव देने” के कारण मारपीट की।

रविश कुमार, दलित, गुजरात

“जैसा कि उस जगह पर अँधेरा था जिस वजह से हम उनको देख नहीं पाए। जब हम जहाँ से आवाज़ आ रही थी उस ओर गए तो वहाँ दरबार समुदाय के तीन लोग थे। किसी भी तरह के झगड़े से बचने के लिए हमने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया। जैसे ही हम घर पहुँचे वो लोग हमारे घर आए और हमें गाली देना शुरू कर दिया। उन्होंने सबसे पहले मेरे चचेरे भाई दिगंत पर हमला किया फिर उन्होंने मुझे मारना शुरू कर दिया, वह बार-बार मुझसे कह रहा था कि निचली जाति से आने के बाद भी तुम मूँछों पे कैसे ताव दे सकते हो?” यह पीयूष परमार ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा।

पीयूष के चचेरे भाई दिगंत महेरीया को भी कथित रूप से पीटा गया। 26 सितंबर को कलोल पुलिस ने एक ही गांव के 3 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जिनकी मयूरसिंह वाघेला, राहुल विक्रमसिंह सेरथिया और अजीत सिंह वाघेला के रूप में पहचान की गई। एफआईआर आईपीसी की धारा 323(चोट लगाना) 504(शांति का उल्लंघन करने के लिए जानबूझ कर अपमान करना) और 114 (उत्पीड़न) के तहत अपराध दर्ज किया गया।

29 सितंबर को एक और इसी तरह की घटना गुजरात के उसी गांव के 30 वर्षीय दलित युवक कुणाल महेरिया के साथ घटी। रिपोर्ट के अनुसार राजपूत समुदाय के कुछ लोगों ने दलित समुदाय से होने के बाद भी मूँछों के साथ खेलने की वजह से कुणाल के साथ मारपीट की।

“जब मैं अपने दोस्तों से शुक्रवार की रात मिल रहा था तब भरतसिंह वाघेला और कुछ अन्य लोगों ने मुझे रोक लिया और मेरे साथ मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया। वाघेला ने मुझसे कहा कि सिर्फ मूँछों से खेलकर मैं राजपूत नहीं बन सकता। जब मैंने उसे नजरअंदाज किया तो वाघेला ने मुझे एक लकड़ी से मारा,” कुणाल महेरिया ने रविवार को यह कहा। आईपीसी की धारा 323 के तहत वाघेला के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई। वाघेला को जल्दी गिरफ्तार भी कर लिया गया। पहली घटना के साथ ही इस घटना को भी मीडिया द्वारा अच्छी तरह से कवर किया गया।

तीसरी घटना भी गुजरात के उसी गाँव में 3 अक्टूबर 2017 को लगभग शाम 5:30 बजे के आसपास हुई। पीयूष परमार का चचेरा भाई 17 वर्षीय दिगंत महेरिया जब स्कूल से लौट रहा था तब दो अज्ञात लोगों ने कथित तौर पर उसकी पीठ पर ब्लेड से हमला किया। डेक्कन क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार :-

“जब पीयूष को पीटा गया तब दिगंत उपस्थित था। मंगलवार को जब दिगंत परीक्षा दे कर घर वापस आ रहा था तब दो नकाबधारी पुरुषों ने उसे पकड़ लिया। बाइक में बैठे उन लोगों ने दिगंत से कहा कि एफआईआर करने वालों पर हमला करने के लिए उन्हें डेढ़ लाख रुपए मिले हैं”, उसके चाचा किरीट महेरिया ने यह आरोप लगाया।

हाल ही के समय तक करीब 1 हफ्ते से अधिक समय तक मीडिया समूहों ने अपने टीवी शो में गुजरात की इस घटना को बड़ा कवरेज दिया। लेकिन अचानक उन सभी का उत्साह ग़ायब हो गया। गुजरात पुलिस इन तीनों केस की खोजबीन कर रही थी और उन्हें एक अजीब चीज मिली।

इंडियन एक्सप्रेस में 4 अक्टूबर को प्रकाशित खबर के मुताबिक गांधीनगर के एसपी वीरेंद्र सिंह यादव ने आश्चर्य व्यक्त किया कि “लड़के को एक बाइक में सवार तो नकाब धारी लोगों ने ब्लेड से हमला किया। जब हमने गांव में इसकी खोज बीन की तो हम आश्चर्यचकित थे कि घटना के स्थल पर किसी ने भी चीख की आवाज नहीं सुनी।” यह वास्तव में आश्चर्य की बात थी। दो लोगों ने पीठ पर कई बार बार किया और लड़के ने मदद के लिए किसी को आवाज ही नहीं दी। पुलिस ने जांच के लिए तीन टीम बनाई थी। जांच से इन निष्कर्षों का पता चला है :-

1. फॉरेंसिक टीम को अपराध के स्थल पर कोई भी ब्लेड प्राप्त नहीं हुआ है।
2. अपराध के स्थल पर फॉरेंसिक टीम को कोई रक्त भी नहीं मिला।
3. पीड़ित द्वारा पहने हुए कपड़े हमले के विवरण के अनुरूप नहीं थे।
4. कथित तौर पर किया गया अपराध सीसीटीवी फुटेज से भी स्थापित नहीं हो पाया।
5. जब इलाके के आसपास के लोगों से पूछताछ की गई तो लोगो ने बताया कि उन्होंने कोई अपराध नहीं देखा है और कोई भी चीख नहीं सुनी है।
6. आसपास के इलाके में एक स्थानीय पान की दुकान के मालिक ने पूछताछ के दौरान ऐसी किसी भी घटना के घटित होने को खारिज कर दिया।
7. पूछताछ के दौरान दिगंत महेरिया ज्यादा देर तक नहीं टिक पाया और उस ने कबूल किया कि अपने दो नाबालिक मित्रों की सहायता से खुद पर हमला किया था। उन्होंने एक तेज ब्लड खरीदा और दोस्तों की मदद से उसे पीठ पर वार कर चोट लगाया।
8. दिगंत ने यह बात कबूल किया कि उसने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई और इस मुद्दे को पढ़ा जानबूझकर बनाया क्योंकि उसे मीडिया कवरेज और पब्लिसिटी चाहिए थी।
9. दिगंत के दोस्तों ने यह कबूल किया कि उन्होंने दिगंत के दबाव डालने के कारण उसके पीठ पर वार किया।
10. दिगंत ने यह स्वीकार किया कि कुछ एनजीओ ने उससे मुलाकात और बातचीत की, जिसने उसे प्रसिद्धि के लिए ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। तथाकथित पीड़ित दलित किशोर ने यह स्वीकार किया कि उसने इन सभी चीजो को एनजीओ के प्रभाव में आकर पब्लिसिटी और सहानुभूति हासिल करने के लिए किया है।

रविश कुमार, दलित, गुजरात

गांधीनगर के एसपी वीरेंद्र सिंह यादव ने कहा “हमने उसके दोनों दोस्तों जिन्होंने कहा कि उन्होंने अपने दोस्त की पीठ पर वार किया उनसे और उनके माता-पिता से भी सवाल किया।” पुलिस दल ने इस खुलासे को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सार्वजनिक किया जिसमें दलित षड्यंत्रकर्ता और तथाकथित शिकार व्यक्ति के पिता मौजूद थे। पिता ने भी अपने बेटे की गलती को स्वीकार किया। एस पी यादव ने कहा कि चूँकि तीनों किशोर नाबालिक है इसलिए वह मामले को नहीं बढ़ा रहे हैं क्योंकि इससे उनका कैरियर खराब हो सकता है। मुझे यह जरूर कहना चाहिए कि गुजरात प्रशासन दयालु है, जहाँ किशोर है जिसने झूठे आरोप लगाए थे जिसने इस क्षेत्र में दंगों को उकसाने की क्षमता रखी थी, उसे किशोर सुधार गृह नहीं भेजा गया। इसके विपरीत बंगाल पुलिस एक किशोर लड़के को किशोर गृह के बदले जेल भेजने की कोशिश में थी, क्योंकि उसके एक फेसबुक पोस्ट से पश्चिम बंगाल के बशीरहाट में दंगे भड़क गए थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार दिगंत ने कहा “मैं किसी के भी दबाव में नहीं हूं। मैंने यह अपने दोस्तों की मदद से किया है। मुझे नहीं पता क्यों।” अपने बेटे के कारनामे से चकित और लज्जित होकर दिगंत के पिता ने कहा “मुझे नहीं पता कि क्या कहना है।मेरा सर बहुत भरा हुआ है। मैं उस वक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद था और मैंने यह स्वीकारा कि मेरे बेटे ने गलती की है। मैं बस यही कहना चाहूंगा। उसने यह अपनी उम्र की मूर्खता में किया है ऐसा मुझे लगता है। हमारे घर के सामने रहने वाले लड़कों ने उसकी मदद की।”

सच्चाई के बाहर आने के बाद यह स्पष्ट है कि देश में अराजकता का माहौल पैदा करने के लिए पर्दे के पीछे एक बड़ी साजिश रची जा रही है। क्या समय है कि हम सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

● क्यों एक ही महीने की अवधि के भीतर गुजरात के एक ही गांव में तीन ऐसे ही मामले सामने आए जहां मूँछें मोड़ने जैसे मूर्खतापूर्ण मामले के कारण हिंसा हुई?

● जब यह साबित हो चुका है कि दिगंत ने खुद पर हमला किया है तो क्या अन्य मामले प्रमाणिक है क्या वह भी झूठे हैं ?

● क्या यह सिर्फ संयोग है कि सभी पीड़ित सीधे या परोक्ष रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं ? क्रुणाल महेरिया भी दिगंत महेरिया का चचेरा भाई है।

● 29 सितंबर को पियूष परमार के साथ कथित मारपीट का कोई साक्षी क्यों नहीं है ?

● क्या यह घटना एक साजिश थी जो दिसंबर 2016 में हुए एक और मामले से प्रेरित थी ? दिसंबर 2016 में नरेश परमार और महेश परमार नाम के दो भाइयों को मूँछो के लिए पीटा गया था। उस मामले में भी आरोपी दरबार समुदाय से ही थे। क्या यह केवल एक संयोग है कि हर बार दरबार समुदाय के लोग ही हिंसा में शामिल होते हैं?

● आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महेश परमार दलित नेता जिग्नेश मेवानी के राजनीतिक टीम का हिस्सा है। कौशिक परमार सुबोध परमार सुरेश अग्जा आदि लोग इस टीम के अन्य सदस्य हैं। नरेश और महेश परमार के केस में विरोध अभियान को आगे बढ़ाने के लिए कौशिक पर मारने प्रमुख भूमिका निभाई थी।

● जिग्नेश मेवानी आम आदमी की गुजरात इकाई का आधिकारिक प्रवक्ता है।

● एनजीओ ने दिगंत को प्रेरित करने के लिए किस तरह की भूमिका निभाई? कौन से एनजीओ ने उसे प्रेरित किया? क्या मोदी सरकार द्वारा 20,000 एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने फैसले के बदला लेने के लिए किसी एनजीओ की साजिश है?

● दलित समुदाय किस पार्टी को वोट देना चाहता है उसको वोट देने से डराने के लिए क्या एनजीओ असुरक्षा का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं ?

● इस मामले में पुलिस क्या कार्यवाही करेगी ?

सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि “मीडिया चैनल और दलित कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया इस साजिश पर कैसी होगी ?”

क्या दलित कार्यकर्ता अब उस लड़के के कारनामे के लिए उसकी आलोचना करेंगे या चुप्पी साधे रहेंगे ?

क्या एनडीटीवी जैसे मीडिया घराने और रविश कुमार जैसे पत्रकार इस घटना को उतनी तरजीह देंगे जितनी उन्होंने पहले दिया था ?

क्या रविश कुमार एक जिम्मेदार पत्रकारिता की जिम्मेदारी लेते हुए अपने दर्शकों को बताएंगे कि गुजरात में चल रहे तीन दलित युवको को मारने के केस में एक ने पब्लिसिटी के लिए यह किया था ? और बाकि की जांच हो रही है।

◆ नहीं, 17 वर्षीय दलित किशोर पर हमले को कवर करने के लिए रविश कुमार को देश से माफ़ी मांगने की जरुरत नहीं है। वह तो लोगो को बताकर अपना काम कर रहे थे। आखिर वो कैसे जान सकते हैं कि हमला प्रमाणिक था ?

◆ नहीं, इस मामले में साजिश को नहीं समझ पाने के लिए रविश कुमार को माफ़ी मांगने की जरुरत नहीं है। वह एक टीवी एंकर हैं, जांच अधिकारी नहीं।

◆ नहीं, रविश कुमार को सरकार से न्याय की मांग करने के लिए माफ़ी मांगने की जरुरत नहीं है।

तो रविश कुमार को क्या करना चाहिए ? रविश कुमार को असल में उपलब्ध तथ्यों को प्रस्तुत करने के बजाय अपनी राय पर जोर देने के अपने दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता है। रविश को तत्काल प्रतिक्रियाशील पत्रकारिता को रोक किसी निष्कर्ष में निकलने से पहले तथ्यों की प्रतीक्षा करनी चाहिए। यदि रविश कुमार ने ‘दलित किशोर पर हमला’ को कवर किया तो उन्हें ‘दलित किशोर ने खुद पर हमला किया’ को भी कवर करना चाहिए। रविश कुमार को लोगो को सच्चाई बताना चाहिए, जैसे इस मामले में लड़के ने खुद पर पब्लिसिटी के लिए हमला किया। रविश कुमार को अपने कर्तव्य को निभाने की जरुरत है, और उन्हें अपने दर्शकों को बताना चाहिए कि यदि दलितों को आतंकित करना जुर्म है तो ऊपरी जाति के लोगो पर झूठा केस लगाना भी अपराध है।

चर्चा को ख़त्म करते हुए मैं एक प्रश्न रविश कुमार से करता हूँ। “प्रिय सर, एक बार आपने जेएनयू प्रकरण के दौरान स्क्रीन काला किया था। अब जब यह मामला साजिश किया हुआ साबित होता है तो क्या आप स्क्रीन काली करेंगे ?”

Tags: गुजरात में दलित पर हमलादलितमूँछों के लिए हमलारविश कुमार
शेयर1278ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

सौ मीटर ऊँचे भगवान श्री राम की प्रतिमा देखने में कैसा लगेगा? सपना साकार होने वाला है

अगली पोस्ट

आइये मिलिए उन नामचीन हस्तियों से जो रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से बाहर नहीं जाने देना चाहते

संबंधित पोस्ट

ऑपरेशन सिंदूर 2:0
मत

दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

21 November 2025

पाकिस्तान एक आतंकी मुल्क है और इसमें शायद ही किसी को कोई संशय हो, ख़ुद पाकिस्तान के मित्र भी न सिर्फ इसे अच्छी तरह जानते...

शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं
चर्चित

कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

21 November 2025

कांग्रेस के नेता देश ही नहीं विदेशों में भी जाकर लोकतंत्र बचाने की दुहाई देते रहते हैं। लेकिन जब बारी आंतरिक लोकतंत्र की आती है...

आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश
चर्चित

दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

17 November 2025

NIA ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली में लाल किले के पास हुआ धमाका, सामान्य हमला नहीं बल्कि फिदायीन हमला था। यानी आई-20 कार...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

00:08:04

How Javelin Missiles Will Enhance India’s Anti-Tank Dominance?

00:06:47

This is How China Spread Disinformation After Operation Sindoor

00:06:27

How DRDO’s New Laser System Can Destroy Drones at 5 KM Range?

00:04:31
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited