वैसे तो लगभग सभी भाजपा शासित राज्यों का कोई न कोई प्रकरण मीडिया के कैमरे द्वारा आपके सामने लाया जाता रहता है परन्तु इस समय सबसे ज्यादा केन्द्रित राज्य अगर कोई है तो वह ‘उत्तर प्रदेश’ है और इस केन्द्रीकरण की वजह है मुख्यमंत्री ‘योगी आदित्यनाथ’| जिनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतियां और प्रशासनिक स्तर पर व्याप्त शिथिलता को समाप्त करने के लिए किये जा रहे अथक प्रयास एवं परिश्रम को मीडिया और विपक्ष पचा नहीं पा रहा है इसलिए ज्यादातर ऐसे विकासशील कार्यों को सांप्रदायिक एवं हिन्दुत्ववादी रूप देने की भरपूर कोशिश की जाती रहती है|
ताजा विषय है योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश के लगभग 2682 मदरसों की मान्यता रद्द करने का, पूरे घटनाक्रम को क्रमवार रूप में जानने की कोशिश करते है|
– मदरसों में होने वाली अनियमितताओं को रोकने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए 18 अगस्त, 2017 को प्रदेश की योगी सरकार ने एक वेब पोर्टल जारी करते हुए सभी मदरसों से अपनी प्रबन्ध समिति के सदस्यों, मदरसे में पढ़ाने वाले शिक्षकों, विद्यार्थियों इत्यादि की जानकारी 15 सितम्बर तक पोर्टल पर उपलब्ध कराने के आदेश दिये थे। ज्ञात हो कि प्रदेश में मान्यता प्राप्त 19 हजार, आंशिक अनुदान वाले लगभग 4,600 और 100 प्रतिशत अनुदान पाने वाले 560 मदरसे हैं।
– पोर्टल में व्याप्त खामियों के मद्देनजर अंतिम तिथि को 15 दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया|
– सरकार द्वारा पोर्टल पर सूचनाएँ डालने के लिए जारी शासकीय आदेश वाली अंतिम तिथि को 15 दिन और बढाकर 15 अक्टूबर कर दिया गया|
साभार: http://www.prabhasakshi.com/…/up-govt-extends-de…/32765.html
अतिम तिथि के समाप्त होने के पश्चात पोर्टल में अपलोड किये गए विवरण के अनुसार 19143 मदरसों में से 16461 मदरसों ने अपना विवरण अपलोड कर दिया था परन्तु 2682 मदरसों ने अपना विवरण नहीं भरा|
प्रदेश में लोगों को अक्सर सरकारी आदेशों को तोड़-मरोड़ या जुगाड़ लगाकर धता बताने की आदत सी पड़ गयी थी| अपना काम बनाने के लिए सरकारी तंत्र में व्याप्त रिश्वतखोरी एक बीमारी बन चुकी थी जिसकी वजह से अक्सर लोगों के यह जुगाड़ सरकारी आदेशों की अंतिम तिथियों के बाद भी चल जाते थे| परन्तु इस बार सरकार का इरादा लोगों को समय का पाबंद बनाने का और फर्जीवाड़े रोक लगाने का था|
योगी आदित्यनाथ सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए अंतिम तिथि के अगले ही दिनों में मीडिया को बताया कि उन सभी मदरसों का जिन्होंने अपना विवरण पोर्टल पर नहीं दिया है, को दिए जा रहे अनुदान पर रोक लगाने के साथ साथ उनकी मान्यता भी रद्द की जाएगी| मानो प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया| विपक्ष के अनुसार उत्तर प्रदेश में यह चेहरा देखकर की जाने वाली राजनीति है| विपक्ष के आक्रामक होने के बाद योगी आदित्यनाथ भी पीछे नहीं हटे और गोरखनाथ मंदिर में मीडियाकर्मियों से कहा कि ‘उनकी कार्यवाही का आधार सामान है और सभी लोगों पर बराबर लागू की गयी है| अगर किसी को भी सरकारी धन चाहिए तो उस सरकारी धन के उपयोग से जुडी सारी जानकारियां देनी पड़ेंगी| यह पैसा मेरा नहीं प्रदेश की जनता का है जिसे यह जानने का अधिकार है कि उसके धन को कैसे और कहाँ खर्च किया जा रहा है|’
साभार: http://www.livehindustan.com/…/story-madarsa-operators-will…
वास्तविकता यह भी है कि पिछली सरकारों को अवश्यम्भावी रूप से इस प्रकार के फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए थे परन्तु वोट बैंक की राजनीति की वजह से ऐसे फर्जी मदरसों को बड़े अनुपात में अनुदान राशि प्राप्त होती रही| ऐसे गंभीर मामलों में पिछली सरकारों की जवाबदेही क्या है? कितनी अनुदानिक राशि अभी तक ऐसे संस्थानों पर खर्च की जा चुकी है? किन लोगों की विशेष कृपा से जनता की गाढ़ी कमाई को उड़ाया जाता रहा?
भ्रष्टाचारी तंत्र को तोड़ने के लिए अगर कोई सरकार पारदर्शिता लाने को संकल्पित है तो क्या वह सांप्रदायिक सरकार है जो सिर्फ हिन्दू हितों के बारे में सोच रही है? यह सवाल बहुत पीछे छूट जाते है जब लोगों की नजर इसी योगी सरकार द्वारा बनाये गए बिजली चोरी और अवैध खनन जैसे कुछ सख्त पूर्ववर्ती शासकीय आदेशों पर जाती है जिनमे भी समान प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है| फिलहाल तो ऐसे सख्त निर्णयों की वजह से प्रधानमंत्री ‘नरेन्द्र मोदी’ के नेतृत्व में भारत ‘स्वदेश’ बनने की ओर विमुख है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक उत्तम प्रदेश बनने की ओर अग्रसर है|