बाप रे! केजरीवाल का ये यु-टर्न देखकर स्वयं यु-टर्न भी शर्मा जाए

चिदंबरम-केजरीवाल

वर्ष २०१२ में जब भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के अगुआकार अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री श्री पी चिदंबरम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। तब से, किसी ना किसी प्रकार से अरविंद केजरीवाल, पी चितंबरम पर हमला कर रहे है जो एक वकील, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री है। हमें आकस्मिक रूप से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि वह सर्वोच्च न्यायालय में लेफ्टिनेंट गवर्नर के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार की चल रही लड़ाई का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। यह सभी राजनीतज्ञों के लिए एक बड़े झटके के रूप में आया और इस मुद्दे ने विरोधियों को कटाक्ष करने का एक अवसर दिया। परन्तु इस खबर ने सबसे ज्यादा ‘आप’ के कट्टर अनुयायियों को चौकाया, जो केजरीवाल के इस नए राजनीतिक रवैये से हैरान थे।

जनवरी २०१४ में जब अरविंद केजरीवाल ने सबसे भ्रष्ट राजनेताओं की सूची तैयार की थी, तब पी चिदंबरम उस सूची के शीर्ष भ्रष्ट नेताओं में शामिल थे। इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा,

“हम गंदी राजनीति करने के लिए यहाँ नहीं आए हैं, हम यहाँ भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए आए हैं। हमारा लक्ष्य है कि एक भी भ्रष्ट व्यक्ति संसद में नहीं रहना चाहिए”,

आगे उन्होने कहा कि, “हमें यह सब बदलने की जरूरत है, हम राजनीति में चुनाव लड़ने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि देश के लोग इस चुनाव को लड़ेंगे”।

केजरीवाल ने यह भी कहा कि, “हम देश के लोगों के सामने एक विकल्प प्रदान कर रहे हैं और देश को यह सुनिश्चित करने के लिए वोट करना चाहिए कि संसद में कोई भी भ्रष्ट व्यक्ति चयनित होकर नहीं पहुंचना चाहिए।”

आम आदमी पार्टी की सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में उस व्यक्ति द्वारा अपना प्रतिनिधित्व करवा रही है जो भारत के सबसे भ्रष्ट राजनेताओं की सूची में शीर्ष पर रहे हैं। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि मंगलवार अर्थात् ०७.१२.२०१७ को श्री चिदंबरम केजरीवाल बनाम दिल्ली एलजी केस की सुनवाई के लिए पेश होंगे

दूसरी ओर पी चिदंबरम के खिलाफ गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। सितंबर २०१७ में, एयरसेल-मैक्सिस केस के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके बेटे कार्ती की कुछ संपत्तियां, बैंक खाते और लगभग ९० लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट जब्त की हैं। यूपीए सरकार के शासन काल में हुए ‘२जी’ घोटाले में शामिल एयरसेल-मैक्सिस सौदे से दूरसंचार के क्षेत्र में रिश्वत के कई आरोप सामने आए। केवल एयरसेल मैक्सिस घोटाला ही नहीं बल्कि भाजपा ने इशरत जहां की मुठभेड़ में हुई मौत के सिलसिले में दायर एक हलफनामे को बदलने का भी आरोप लगाया था। भाजपा ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि, चिदंबरम ने खुफिया जानकारी को हटा दिया, जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि इशरत के आतंकवादियों से संबंध हैं। यह एक वास्तविकता भी है कि पिछली सरकार अपने कार्यकाल के दौरान कई गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों में फंस गई थी और तब श्री चिदंबरम यूपीए कैबिनेट में प्रमुख मंत्री (गृह और वित्त मंत्री) थे।

भ्रष्टाचार को खत्म करने के आधार पर आम आदमी पार्टी का गठन किया गया था। यह भ्रष्टाचार के लिए सभी राजनीतिक दलों की आलोचना करके शुरू किया गया था। कांग्रेस शुरूआत में, केजरीवाल और पूरी आम आदमी पार्टी के एक खास लक्ष्य थी, लेकिन जल्द ही, आम आदमी पार्टी के चुनाव जीतने के तुरंत बाद, केजरीवाल सहित पूरी आम आदमी पार्टी कांग्रेस की ओर रुख करना शुरू दिया। दिल्ली में अपनी पहली गठबंधन सरकार बनाने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने जल्द ही गठबंधन कर लिया। २०१४ के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी से बुरी तरह पराजित होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पूरी तरह से अपने शुरूआती मुद्दों से हटकर संयुक्त विपक्ष का हिस्सा बन गए। हालांकि केजरीवाल ने कांग्रेस और उसके नेताओं से उचित दूरी बनाए रखी, जबकि उनके बारे में कांग्रेस पर नरम होने के आरोप नियमित रूप से लगते रहे।

अपने प्रतिउत्तर में, आम आदमी पार्टी ने कहा कि चिदंबरम सरकारी वकील है, पार्टी के नहीं”। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “यदि चिदंबरम को केस लड़ने के लिए वकील के रूप में चुना गया था, तो वह सिर्फ एक अनुभवी वकील के तौर पर तथा यहाँ पर उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था।”

जहाँ कांग्रेस के उच्च नेताओं ने इस बारे में चुप्पी साधी लेकिन दिल्ली कांग्रेस ने आप के पाखंड के लिए उनपर करारा प्रहार किया। दिल्ली कांग्रेस प्रमुख अजय माकन ने आम आदमी पार्टी द्वारा वकील के रूप में चिदंबरम का चयन किए जाने के लिए मजाक उड़ाया, जिन्हे अरविंद केजरीवाल ने २०१४ में भ्रष्ट कहा था। माकन ने ट्विटर पर, पूर्व वित्त मंत्री के उपर किए गए केजरीवाल के पुराने ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट साझते हुए कहा, “बधाई हो, चिदंबरम, आपके एक पुराने आलोचक ने आपको दोषमुक्त किया है”। “क्या आम आदमी पार्टी को अब माफी मांगनी चाहिए?” माकन ने कहा, “केजरीवाल अंततः चिदंबरम के पैरों पर गिर पड़े हैं”। माकन ही नहीं बल्कि, पूर्व दिल्ली के सांसद और कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने आप की नैतिकता पर सवाल उठाया क्योंकि पार्टी ने चिदंबरम को वकील के रूप में नियुक्त करके परेशानी में डाल दिया।

“केजरीवाल ने अपनी महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप चिदंबरम को भ्रष्ट मान लिया, फिर उनका ‘महान वकील’ के रूप में इस्तेमाल किया। इसके अलावा, भाजपा ने आरोप लगाते हुए कांग्रेस की ‘बी’ पार्टी के रूप में ‘आप’ को परिभाषित किया।

दिल्ली पर शासन कौन करेगा इस बात पर आम आदमी पार्टी, केन्द्र से लड़ती रहती है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की एक पीठ पिछले साल के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जो यह है कि एलजी राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासनिक प्रमुख हैं और उन्होंने पाया कि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर या एलजी संविधान के तहत राष्ट्रीय राजधानी में सर्वोच्च है, लेकिन उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि शीर्ष अधिकारी उचित समय से ज़्यादा किसी भी फाइल के निर्णय में विलम्भ नहीं कर सकते हैं और उन्हें राष्ट्रपति से ऐसे मामलों का उल्लेख करना चाहिए, जिस पर उनके तथा दिल्ली सरकार के बीच मतभेद हो।”

पी चिदंबरम को सर्वोच्च न्यायालय में केजरीवाल की सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए देखना बहुत ही दिलचस्प होगा। संभावित रूप से पहली बार सबसे भ्रष्ट धोषित व्यक्ति एक ईमानदार व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करेगा और मजेदार बात यह है कि यह भ्रष्ट व्यक्ति उसी स्वघोषित ईमानदार द्वारा बनायीं गयी सबसे भ्रष्ट लोगों की सूची में शामिल था।

राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं बल्कि केवल स्थायी हित है।

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