आकर्षक जीवन, पैसे और नए देश के सपने: ऐसे मजबूत कर रहा है खालिस्तान आन्दोलन को पाकिस्तान

खालिस्तान

आइए, इन चार सफल सिखों मीमपाल सिंह, मनिंदर सिंह, महिंदर पाल सिंह और हरचरण सिंह से भेंट करें।खालिस्तान

२००८ में, मीमपाल सिंह पहले ऐसे सिख थे, जो पाकिस्तान में एमबीबीएस डॉक्टर बने, मनिंदर सिंह  पहले ऐसे सिख थे, जिन्होंने पहली बार पाकिस्तान में बैंक प्रबंधक के तौर पर कार्य किया। महेंद्र पाल सिंह, पाकिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में स्थान पाने वाले पहले सिख क्रिकेटर के रुप में जाने जाते हैं। २००५ में, हरचरण सिंह पाकिस्तानी सेना में शामिल होने वाले पहले सिख सैनिक थे। पाकिस्तान के ६० वर्ष पूरे होने के बाद, ये सभी सिख, पाकिस्तान से जुड़े हुए विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित पहले सफल सिखों के रुप में सामने आए। दूसरी ओर, भारत में सिख डॉक्टरों, सिख क्रिकेटरों, सिख बैंक प्रबंधकों और सिख सैनिकों, कर्नल, ब्रिगेडियर और जनरलों की एक विशाल संख्या, इस तथ्य की गवाही देती है कि पाकिस्तानी में रहने वाले सिख, वहाँ एक दुखद जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जबकि भारत में रहने वाले सिख धर्म के लोग हर तरह से एक अच्छा और सफल जीवन जी रहे हैं।

अप्रैल २०१५ में, भारत के प्रधान मंत्री मोदी के कनाडा दौरा करने के एक महीने के अन्दर ही, १,५०,००० से अधिक कनाडा में रहने वाले सिखों ने सर्वसम्मति से टोरंटो में पंजाब जनमत संकल्प पारित किया। इन सिखों ने २०२० के जनमत संग्रह के लिए वैश्विक समर्थन की मांग करने के साथ-साथ सिख धर्म के लोगों  के लिए  खालिस्तान के रुप में एक अलग देश की मांग भी की है, जो मात्र सिखों द्वारा शासित हो। स्वर्ण मंदिर में हुई सैन्य कार्रवाई की  ३०वीं वर्षगांठ पर, सिख अलगाववादियों ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष एकत्रित होकर वर्ष २०२० में, २० देशों में रहने वाले सिख प्रवासियों के लिए एक जनमत संग्रह करने की घोषणा की है।

जनमत संग्रह २०२० नामक एक वेबसाइट से यह पता चलता है कि – ” कुछ सिखों ने, पंजाब को भारतीय कब्जे से मुक्त कराने और आत्मनिर्णय लेने के अधिकार के लिए, जनमत संग्रह कराने  का निर्णय लिया, जिसमें उन्होंने एसएफजे द्वारा की गई मांग का सक्रिय और शांतिपूर्ण ढंग से समर्थन किया”। “भारतीय कब्जे वाले पंजाब” शब्द से आशय यह है कि जनमत संग्रह २०२० का एक मात्र और मुख्य मुद्दा, पंजाब को और सिखों को भारतीय कब्जे से मुक्त कराना  है, जबकि यह जनमत संग्रह, पाकिस्तानी पंजाब या पाकिस्तान में रहने वाले  सिखों के बारे में कोई चिंता व्यक्त नहीं करता हैं, जो स्पष्ट रूप से भारत की  तुलना में, पाकिस्तान में अत्यधिक दुखद जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

‘ खालिस्तान समर्थक आंदोलन  के समर्थक पाकिस्तानी सिखों पर होने वाले अत्याचारो पर हमेशा चुप्पी साधे रहा हैं। इसका एकमात्र कारण यह हो सकता है कि पाकिस्तान सक्रिय रूप से ‘ खालिस्तान समर्थक आंदोलन में मदद कर रहा है। हाल ही के घटनाक्रमों से  इस बात की पुष्टि होती है।

पिछले दो सालों के दौरान पंजाब में कम से कम ५  हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई: –

5 Hindu outfit leaders killed in Punjab in 2 years Image Courtesy: india.com

२३ अप्रैल २०१६ – पंजाब के खन्ना में शिवसेना के नेता दुर्गा प्रसाद गुप्ता (२८ वर्षीय) की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

६ अगस्त २०१६ – आरएसएस नेता और सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा (७० वर्षीय) की जालंधर में गोली मार कर हत्या कर दी गई।

१४ जनवरी, २०१७ – पंजाब के लुधियाना में श्री हिंदू तख्त जिलाध्यक्ष अमित शर्मा (३५ वर्षीय) की हत्या कर दी गई।

१७ अक्टूबर, २०१७ – लुधियाना में आरएसएस नेता रविंदर गोसाई (५८ वर्षीय) की गोली मार कर हत्या कर दी गई।

३० अक्टूबर २०१७ – हिंदू संघर्ष सेना के विपन शर्मा (४५ वर्षीय) की पंजाब के अमृतसर में गोली मार कर हत्या कर दी गई।

इन हत्याओं ने राज्य प्रशासन को पूरी तरह से आश्चर्यचकित कर दिया है। रवीन्द्र गोसाई की हाल ही में हुई हत्या से पंजाब सहित लगभग भारत के सभी राज्यों में विरोध प्रदर्शन शूरु हुए। जन-आक्रोश निरंतर बढ़ता जा रहा था, जिसके चलते पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने रवींद्र गोसाई की हत्याकांड की जांच सीधे एनआईए को सौंप दी है।

७ नवंबर, २०१७ को, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने यह सूचना दी, कि पंजाब पुलिस ने हिंदू नेताओं की हत्याओं के मामलों को सुलझा लिया है।

आईएसआई के एक आतंकवादी संगठन ने चार हिंदू नेताओं अर्थात दुर्गा प्रसाद गुप्ता (शिवसेना), अमित शर्मा (श्री हिंदू तख्त), जगदीश गगनेजा और आर.एस.एस. नेता रवीन्द्र गोसाई (दोनों) की हत्या कर दी थी। पुलिस ने इन हत्याओं के संबंध में निम्नलिखित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है: –

जिमी सिंह, जो कि एक जम्मू निवासी था, जो हाल ही में ब्रिटेन से भारत लौटा था। उसे पुलिस द्वारा दिल्ली हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया गया।

जगतार सिंह जौहल (जग्गी), जो कि ब्रिटेन के एक राष्ट्रीय नागरिक है, जिसने इसी वर्ष अक्टूबर में पंजाब में विवाह किया था। जिसे पंजाब के जालंधर से गिरफ्तार कर लिया गया था।

धर्मेन्दर (जुगनी), जो कि लुधियाना के मेहरबान का रहने वाला है और एक जाना माना बदमाश है, जो वर्तमान समय में नाभा की उच्च सुरक्षा जेल में है। पुलिस का मानना है कि उसने इन हत्याओं के लिए हथियारों की आपूर्ति की थी।

रमनदीप सिंह (कनाडा का रहने वाला), जो लुधियाना का मूल निवासी है और इन हत्याओं में मुख्य हत्यारा भी है।

रमनदीप सिंह से की गई पूछताछ से यह पता चलता है कि रमनदीप ने शिकारों का चुनाव स्वंय किया और आईएसआई के आदेश पर उनकी हत्या कर दी गई  और यह भी माना जाता है कि, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के कुछ नेताओं ने पाकिस्तान में शरण ले ली है। इन हत्याओं का मुख्य उद्देश्य पंजाब राज्य को अस्थिर करना और विभिन्न समुदायों के मध्य सांप्रदायिक नफरत और अविश्वास फैलाना था। २०१६ में, जिम्मी और जगतार भी पंजीकृत बाघापुराना के अवैध हथियारों के मामले में वांछित सूची में शामिल थे। इसी मामले में रमनदीप भी शामिल थे।

पिछले साल, २७ नवंबर २०१६ को  खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के प्रमुख, हरमिंदर सिंह  मिंटू को जब उनके अन्य चार सहयोगियों के साथ नाभा जेल से रिहा किया गया, तब उन्होंने एक मीडियाकर्ता प्रदीप पर हमला बोल दिया। अगले दिन, दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन  रेलवे स्टेशन से मिंटू को गिरफ्तार कर लिया गया ।

पूछताछ के दौरान जिमी, जगतार और रमनदीप ने यह बताया कि मिंटू भी बाघापुराना अवैध हथियारों के मामले में उनके साथ शामिल था।

अपने बयान में, मुख्यमंत्री अमरिंदर ने कहा कि आईएसआई हिंसक गतिविधियों को पूरा करने के लिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में शामिल है और पाकिस्तान एवं अन्य देशों में स्थित पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी के मजबूत संकेत भी हैं।

२०१४ में जब हरमिंदर सिंह मिंटू से गिरफ्तारी के बाद पूछताछ की गई थी, तो यह बयान सही साबित हुआ । हरमिंदर सिंह मिंटू और उनके कार्यकर्ता गुरप्रीत सिंह ने कहा कि आईएसआई ने भोले पंजाबी युवाओं को थाईलैंड, मलेशिया जैसे विदेशी राष्ट्रों में आकर्षक जीवन का वादा करके आतंकवाद में फंसाया है। मिंटू स्वयं  नवंबर २०१७ में थाईलैंड से निर्वासित हुए थे । मिंटू ने कहा कि आईएसआई ने थाईलैंड में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया था जहां खालिस्तान जिंदाबाद बल के प्रमुख रंजीत सिंह नीता ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।

४ जून को पंजाब पुलिस की प्रतिपक्ष इकाई ने पंजाब और दिल्ली में एक व्यापक हत्या योजना का हिस्सा होने का संदेह जताते हुए प्रमुख खालिस्तानी हत्यारों, गुरदयाल सिंह, जगरूप सिंह और सतविंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया। अप्रैल २०१७ से, ६ खालिस्तान आतंकवाद मॉड्यूल का पर्दाफाश हो गया है और २३ खालिस्तान आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया । गुरदयाल  के खालिस्तानी  आतंकवादियों और अंतर्राष्ट्रीय सिख युवा संघ (आईएसवाईएफ) दोनों के साथ संबंध थे। जगरूप और सतविंदर नये सदस्य  थे, जो उग्रवादी प्रचार के माध्यम से कट्टरपंथी बने थे। यह फिर से मिंटू के दावे का सत्यापन करता है कि आईएसआई पंजाब के युवाओं को आतंकवाद में फंसा रहा है। जगरूप को लाहौर छावनी में स्थित आईएसआई सुरक्षित-घर में विस्फोटकों  के बारे में चार दिन का प्रशिक्षण मिला।

अंतर्राष्ट्रीय सिख युवा संघ (आईएसवाईएफ), खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ), खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ), खालिस्तान लिबरेशन आर्मी (केएलए), खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ), दशमेश रेजिमेंट, शहीद खालसा फोर्स (एसकेएफ) जैसे विभिन्न समर्थक खालिस्तान संगठन हैं, जिनमें से कई आईएसआई द्वारा समर्थित हैं। हालांकि, इनमें से कोई भी खालिस्तान समर्थक कभी पाकिस्तान में सिखों की दयनीय स्थिति के प्रति  चिंतक नहीं दिखा है । यह सोचना भोलापन है कि खालिस्तान के समर्थकों को सिखों की भलाई के उद्देश्य से बनाया गया है, यह भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए केवल एक आतंकवादी मॉड्यूल है।

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