पिछले तीन सालों में सबसे धीमी तिमाही वृद्धि!
98.96% निर्दिष्ट बैंक नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गये
जीएसटी फाइलिंग में गड़बड़ी और निर्यात के संकट
क्या इस अर्थव्यवस्था में कुछ अच्छा भी है?
क्या आपने कभी सवाल किया है कि 3 वर्षों में सबसे धीमी त्रैमासिक वृद्धि के बावजूद हमारे शेयर बाजार अपने ऐतिहासिक उच्च स्तर पर क्यों हैं?
क्या आपने कभी सोचा है कि बड़े पैमाने पर योजनाओं और भारतीय अर्थव्यवस्था की ‘तथाकथित’ विफलता के बावजूद हमारे विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर के पार क्यों पहुँच गए हैं?
खैर, मैं देश की अर्थव्यवस्था में उन विरोधाभासों की शंका दूर करने की कोशिश करूंगा।
इस तथ्य के बावजूद कि कोई भाजपा / एनडीए का कट्टर समर्थक है या दृढ़ता से इसके खिलाफ है, हर किसी को यह तथ्य स्वीकार करना चाहिए कि एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) और डीआईआई (घरेलू संस्थागत निवेशकों) को बेहतर जानकारी है और वे इस लेख को पढ़ने वाले किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में बेहतर योग्यता रखते हैं। शेयर बाजार लगभग हमेशा ही एक बेहतर संकेतक है कि एक अर्थव्यवस्था, निकट भविष्य में कैसा प्रदर्शन करने वाली है, आखिरकार शेयर में निवेश करना कंपनी की बेहतर संभावनाओं के लिए सट्टेबाजी है। हाल ही में, विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत कारोबार की आसानी की सूची में 30 स्थानों के उछाल के साथ 130 से 100 वें स्थान पर पहुँच गया है और वह भी विमुद्रीकरण और जीएसटी, दोनों के प्रभावों पर विचार किए बिना। मैं यह कहने की कोशिश कर रहा हूँ कि, ‘हमारी अर्थव्यवस्था कितनी अच्छी तरह से कार्य कर रही है’ इस बात पर निर्णय बड़े निवेशक और विश्व बैंक हम सभी की तुलना में बेहतर कर सकते हैं। हाँ! सहमत हैं, शेयर बाजार की रैलियां एक अर्थव्यवस्था के बुनियादी सिद्धांतों के अलावा विभिन्न कारकों पर आधारित होती हैं, साथ ही साथ हम मूलभूत संरचना के परिवर्तनों को अनदेखा नहीं कर सकते। किसी भी अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक वृद्धि की चर्चा करने के बजाय, मैं इस बारे में चर्चा करूंगा कि उस उछाल को हासिल करने में किसने मदद की और इसे आगे बढ़ाने के लिए हमें क्या करना है।
कारोबार की आसानी में देशों को रैंकिंग प्रदान करने में विश्व बैंक ने दस अलग-अलग कारकों पर विचार किया, जिसमें व्यापार शुरू करने से लेकर दिवालिएपन का हल तक शामिल है। आगे की चर्चा में, मैं उन कारकों पर चर्चा करने जा रहा हूँ जिनसे हमें हमारी कारोबार की आसानी रैंकिंग में सुधार करने में मदद मिलीं और जिन कारकों ने हमें निराश किया। भारत ने 10 में से 6 मापदण्डों में रैंकिंग में सुधार किया है और वर्ष के शीर्ष 5 प्रदर्शनकारियों में से एक है।
मैं पहले सकारात्मक बात से शुरुआत करना चाहूँगा जिसने हमारी कारोबार की आसानी रैंक को बढाने में मदद की, और अंततः हम सुधार योग्य क्षेत्रों की चर्चा करेंगे। हमने ‘करों का भुगतान’ श्रेणी में सबसे बड़ी उछाल (53 स्थान) देखी है। विश्व बैंक ने कहा है, “भारत ने ईपीएफ का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से अनिवार्य करके और कॉर्पोरेट आय कर में आसान प्रशासनिक उपायों का उदाहरण प्रस्तुत करके करों का भुगतान आसान बना दिया है।” कर भुगतान करने की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद के लिए पैन के साथ आधार को जोड़ने से, रिटर्न दाखिल करने का इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन जैसे प्रशासनिक उपायों ने निश्चित रूप से मदद की है। कॉर्पोरेट कर में 25% से 30% तक कटौती ने निश्चित रूप से फार्म के परिणामों को सच साबित करने में कॉर्पोरेटों को मदद की है।
शोध-अक्षमता और दिवालियापन संहिता (Insolvency and bankruptcy code) (आईबीसी) निश्चित रूप से भारत के लिए सबसे अधिक मांग वाले प्रावधानों में से एक है और यह रैंकिंग (136 से 103) में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित है। इससे न केवल यह व्यक्त होता है कि हम कितनी तेजी से एक व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, बल्कि यह भी व्यक्त होता है कि प्रतिकूल परिस्थितियों के मामले में एक इकाई कितनी तेजी से अपने व्यवसाय को समाप्त कर सकती है। हम एक व्यावसायिक इकाई को पूर्णतः बंद करने में सक्षम नहीं थे जबकि वह बड़े स्तर पर नुकसान झेल रही थी। यह बैंकों के लिए नुकसान में चल रही संस्थाओं से निष्क्रिय ऋण वसूल करने का इकलौता सबसे ज्यादा परेशान करने वाला कारक था।
भारत ने ‘क्रेडिट श्रेणी प्राप्त करने’ में भी मजबूत वृद्धि दिखायी है, 44 से 29 तक 15 स्थान की निश्चित वृद्धि। क्रेडिट प्राप्त करना और क्रेडिट देना दोनों ही एक दूसरे से संबंधित हैं। वित्तीय संस्थाएं किसी भी नए ऋण को देने के लिए इच्छुक नहीं होंगी यदि वे मूल राशि की वापसी के बारे में अनिश्चित हैं। मुद्रा निधि और आईबीसी की शुरुआत होने के साथ, बैंक और वित्तीय संस्थान अपने ऋण के बारे में ज्यादा आश्वस्त हैं। हालांकि, वर्तमान में, व्यापक आर्थिक कारक वित्तीय संस्थानों के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन नई पूँजी के साथ बैंक, आने वाले समय के लिए अधिक सुविधाजनक हैं, और यह विशेष रैंकिंग आने वाले वर्षों में बढ़ेगी ही।
‘अल्पसंख्यक निवेशकों का संरक्षण’ हमेशा ही भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक रहा है, फिर भी, हमने पहले ही 13 से 4 प्रभावी रैंकिंग में सुधार करने में कामयाबी हासिल की है। हमने रैंकिंग में सुधार प्रतिकूल लेनदेन में दिलचस्पी वाली पार्टियों के बीच उपलब्ध उपायों को बढ़ाकर हासिल किया है।
आसान ऑनलाइन प्रणाली के कार्यान्वयन के कारण ‘कंस्ट्रक्शन परमिट में लेनदेन’ और ‘लागू अनुबंध’ से रैंकिंग में सुधार हुआ है, जिससे प्रक्रिया सुव्यवस्थित हो गई है और राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड को लागू किया जा रहा है जो स्थानीय अदालतों में मामलों के आकलन की रिपोर्ट बनाने में भी मदद करता है।
हालांकि, चिंता के कुछ क्षेत्र भी हैं। हमने ‘व्यवसाय शुरू करने’, ‘सीमाओं के पार व्यापार’, ‘संपत्ति दर्ज करने’ और ‘बिजली कनेक्शन प्राप्त करने’ जैसी श्रेणियों के अंतर्गत खराब प्रदर्शन किया है। यद्यपि हमने ‘निर्माण अनुमति से निपटने’ और ‘अनुबंधों को लागू करने’ में सुधार किया है, लेकिन अभी हमें एक लंबा रास्ता तय करना है। हमारा उद्देश्य 2020 तक कारोबार की आसानी – शीर्ष 30 लिस्ट में शामिल होना है और यह किसी भी तरह से आसान काम नहीं है।
हमें वहाँ तक पहुँचने के लिए इसी तरह की कम से कम 2 और उछाल दिखानी पड़ेंगी, लेकिन इसकी संभावना नहीं लग रही है क्योंकि हमें आम चुनावों में बंदी का सामना करना पड़ेगा और आमतौर पर आम चुनाव से पहले एक साल अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होता। यदि हम अत्यधिक महत्वाकांक्षी कारोबार की आसानी – शीर्ष -30 सूची में शामिल नहीं हो पाए, फिर भी हमारा भविष्य उज्ज्वल है। विश्व बैंक की 2017 की रिपोर्ट जीएसटी और रेरा के कार्यान्वयन पर विचार नहीं करती है जो आने वाले वर्षों में विशेष रूप से जीएसटी में हमारी रैंकिंग को और बढ़ा सकती है। यद्यपि तकनीकी कठिनाइयों के कारण जीएसटी का कार्यान्वयन बहुत अच्छा नहीं है, फिर भी यह एक संभावित गेम परिवर्तक है जो ‘व्यापार शुरू करने’ और ‘सीमाओं के पार व्यापार’ श्रेणियों को बढ़ावा देगा।
हमें व्यापार शुरू करने के लिए नियमों और लाइसेंस संरचना को सरल बनाना होगा। एक नया व्यापार शुरू करने की प्रक्रिया को सरल बनाने का उत्तरदायित्व न केवल केंद्र सरकार का है बल्कि राज्य सरकारों का भी है। ‘सीमा पार से व्यापार’ एक अन्य क्षेत्र है जहाँ हम खराब स्थिति का सामना कर रहे हैं। जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ, ‘जीएसटी अधिसूचित राज्यों’ में माल की आवाजाही बहुत आसान और तेज हो गई है। हालांकि, आयात और निर्यात में सुधार के लिए बहुत सारे क्षेत्र हैं, जोकि समय, लागत या दस्तावेजी अनुपालन हो सकते हैं। बिजली कनेक्शन पूरी तरह से राज्य का मुद्दा है, और केंद्र सरकार को बिजली कनेक्शन प्राप्त करने के लिए कुछ नियम और कड़ी समय सीमाएं लागू करनी चाहिए। बिजली कनेक्शन प्राप्त करना व्यवसाय की एक बुनियादी आवश्यकता है, और इसे बहुत तेजी से और आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। हमारी 26वीं रैंक अन्य क्षेत्रों की तुलना में वास्तव में अच्छी है, फिर भी, बहुत से क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।