मोदीजी ख़त्म कर रहे हैं इस पुरानी तुष्टिकरण प्रथा को, विपक्ष और उदारवादी अब कुछ नहीं कर सकते

प्रधानमंत्री मोदी, पत्रकार हज सब्सिडी

वैसे तो धर्म-आधारित सब्सिडियों को हमेशा से ही असंवैधानिक कहा गया है परन्तु इसे समझने में कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला और पांच दशक लगे।

नेहरू और गांधी परिवार के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने, कई दशकों से अल्पसंख्यक मुस्लिम तुष्टीकरण को अपने मूलभूत सोच का एक प्रमुख केंद्रबिंदु बना रखा है, उनके लिए ख़ास बनाई गई नीतियों और नियमों को सम्पूर्ण राष्ट्र में लागू किया गया, जिससे वर्तमान में, यह हिंदुओं और अन्य बाकी धर्मो के लिए भारी नुकसान, शिकायतों और अन्याय का कारण बन गया हैं। उदाहरण के तौर पर उन कुख्यात पंक्तियों को याद किया जा सकता है, जिसमें पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने कुछ वर्षो पहले यह कहा था कि- ” भारतीय संसाधनों पर सबसे पहला हक मुसलमानों का होगा”।

भारतीय मुस्लिम हज तीर्थयात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी के रूप में, हज विमान किराया सब्सिडी, एक विशेष सब्सिडी है। इसके अलावा घरेलू यात्रा के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए हज प्रस्थान हवाई अड्डों के टर्मिनलों तक आने की,  भोजन, चिकित्सा सम्बन्धी देख-रेख और आवास आदि के लिए, भारत के अन्य टैक्स दाताओं के खर्च के पर भी मुस्लिम तीर्थयात्रियों को सहायता प्रदान की जाती है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि भारत में प्रति मुस्लिम तीर्थयात्री विमान किराया सब्सिडी २०००० रुपये से लेकर २५००० रुपये के बीच है, जेद्दाह हवाई अड्डे से भारत वापसी विमान किराया ४२००० रुपये से लेकर ४६००० रुपये है।

भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कुछ संख्याओं का हवाला देते हुए, यह  कहा कि १९९४ में, हज करने वाले यात्रियों की संख्या २१०३५ थी, प्रति व्यक्ति की लागत केवल १७००० रुपये थी और इसलिए कुल सब्सिडी लगभग १०.५१ करोड़ रुपये आती थी, लेकिन वर्ष २०११ तक तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़कर १२०००० तक पहुंच गई और जिसमें तीर्थयात्रा की प्रति व्यक्ति लागत ५४८०० रुपये तक पहुंच गई, जिसके परिणामस्वरूप ७०० करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी पड़ी, जो कि ७०० प्रतिशत तक बढ़ गई है और साथ ही इसमें ऊपर से कोई सीपीईपी सीमा तय नहीं की गई है, जिसे अगर जल्द से जल्द नियमित या फिर पूरी तरह से समाप्त नहीं किया गया, तो यह संख्या अत्यधिक गति के साथ बढ़ोत्तरी कर सकती है, जो भारत की आर्थिक व्यवस्था के लिए हानिकारक साबित होगा।

यदि यह फैसला, भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिया गया न होता, तो विपक्ष पार्टियाँ, अति-उदारवादी समूह, पंचसितारा पत्रकार, आधुनिक वाम-पंथी विचारक और प्रख्यात बुद्धिजीवियों द्वारा मोदी सरकार को मुस्लिम विरोधी सरकार, फासीवादी या एक सांप्रदायिक सरकार के रूप में कलंकित किया जाता।

भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सऊदी अरब के अपने दौरे के दौरान, भारतीय मुस्लिमों पर आने वाले हज का कोटे में ३४००० की अतिरिक्त वृद्धि की सफलता हासिल की। इसी के साथ-साथ प्रधानमंत्री महोदय, अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं को शैक्षिक रुप से सहायता प्रदान करने के लिए, सब्सिडी धन का उपयोग करना चाहते हैं। अगर इसके बाद भी कोई प्रधानमंत्री मोदी को मुस्लिम विरोधी के रूप में कलंकित करे तो वो उसकी मूर्खता का प्रमाण होगा।

अल्पसंख्यक मामलों से सम्बन्धित मंत्रालय ने, अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व सचिव अफजल अमानुल्लाह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने २०१८ तक, हज सब्सिडी को कम करने के बारे में सुझावों देने के साथ-साथ एक नई हज नीति तैयार की गई है, जिसमें बिना किसी पुरुष रिश्तेदार के महिलाओं को, अनुरक्षण और मेहरम बिना हज करने की अनुमति दी गई और बाईस में से नौ हवाई अड्डे, जहाँ से सऊदी अरब के लिए सीधी उड़ानें भरी जाती हैं, उन्हें पहले से कम कर दिया जाएगा।

हज सब्सिडी को हटाना, कभी भी सरकार का एकतरफा निर्णय नहीं रहा है, यहां तक कि ज्यादातर मुस्लिम समुदाय सब्सिडी को हटाने के पक्ष में हैं क्योंकि उन्हें सब्सिडी से कोई बड़ा लाभ हासिल नहीं हो रहा था।

कई लोग यह राय रखते हैं कि अगर टिकट अग्रिम में बुक करवा लिया जाए, तो सस्ते में हवाई टिकट खरीदना संभव है, जिससे सब्सिडी की आवश्यकता को नकारा जा सकता है।

विडंबना यह है कि भारत में हजियों को सब्सिडी प्रदान की जाती है, लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तान जैसे इस्लामिक देश भी हैं, जो हज के लिए सब्सिडी नहीं देते, वास्तव में अगर देखा जाए तो अधिकांश देश ऐसे हैं जो तीर्थयात्रियों पर कर लगाते हैं। हज सब्सिडी को लेकर इसी तरह की एक मांग पाकिस्तान में भी हुई थी, लेकिन कुरान का हवाला देकर, इस मांग को इनकार कर दिया गया,  हालांकि हर मुसलमान को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार हज जाना अनिवार्य माना जाता है लेकिन यह यात्रा केवल अपनी मेहनत के पैसे का उपयोग करके ही कि जानी चाहिए न कि दूसरों का सहारा लेकर और वास्तव में भारत में रहने वाले कई मुसलमान भी इस अवधारणा से सहमति रखते हैं।

कांग्रेस पार्टी ने, आज़ादी के पहले दिन से मुसलमानों को खुश करने के लिए और भारत में केवल अपने वोट बढाने के लिए, हमेशा दूसरों को अनदेखा किया और कभी भी वास्तविकता को समझने का प्रयास नहीं किया। वहीं इस देश को उदार वादियों के दर्दनाक हालात के बारे में अब क्या बोले, प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व में उनकी आँखों के समक्ष इस पुरानी प्रथा को हमेशा के लिए खत्म किया जा रहा है और इस बारे में न वो कुछ कर सकते हैं ना ही कांग्रेस पार्टी। क्योंकि सभी तथ्य, तर्क, धार्मिक स्पष्टीकरण और साथ साथ अदालत भी प्रधान मंत्री मोदी के पक्ष में मजबूती से खड़े हैं।

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