केन्या में एक टूरिस्ट गाइड ने मुझसे पीएम मोदी के बारे में जो कहा, वो आपको गर्व से भर देगा

केन्या मोदी

केन्या के “मसाई मारा “जाना मेरा सपना था। यहाँ तक कि बचपन से ही मैं मारा की जंगल सफारी पर जाना चाहता था। नेशनल ज्योग्राफी और डिस्कवरी ने मुझे यह यात्रा करने के लिए प्रेरित किया। तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद, आखिरकार मैंने अपने सपने की यात्रा को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन बचा लिया था।

अब मुझे मेरे साथ जाने वाले कुछ दोस्त चाहिए थे। मैंने अपने दोस्तों से साथ में चलने के लिए कहना शुरू किया। इसके बारे में मुझे निम्नलिखित प्रतिक्रियाएँ मिलीं।

** भाई क्या तुम पागल हो गए हो? **

** क्या वहाँ पर कोई मित्र है? **

** वहाँ पर तुम्हें जानवर खा जाएंगे।**

** आओ, थाइलैंड़ चलते हैं।**

** वहाँ पर बोको हराम वाले तुम्हारा अपहरण कर लेंगे।**

** ध्यान रखना कि तुम्हारा ट्वीटर अकाउंट वहाँ पर चलता रहे, ताकि किसी प्रकार की आवश्यकता पड़ने पर तुम विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से ट्वीट करके सहायता प्राप्त कर सको।**

मैंने सोचा कि कहीं  मैंने अपने मित्रों के परामर्श के बिना केन्या यात्रा का  गलत निर्णय तो नहीं कर लिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे करना क्या चाहिए। मैं जानता था कि किसी भी परेशानी या आपातकाल कि स्थिति में मैं सुषमा जी पर भरोसा कर सकता हूं।

किसी अंजाम की चिंता किए बिना मैं नायरोबी के लिए निकल रहा था। मैंने मुंबई से अपनी उड़ान भर दी और छह घंटे बाद मैं केन्याई राजधानी पहुँच गया। निकलते वक़्त प्लेन परिचारिकाओं ने जम्बो (केन्याई तरीके से हाय या हैलो कहना) कहकर केन्या में मेरा स्वागत किया गया। इसके जवाब में मैंने उनका स्वागत नमस्कार के साथ किया।

मैं अपना वीजा प्राप्त करने के लिए, कतार में खड़ा होकर इंतजार कर रहा था, यह एक लंबी प्रक्रिया थी। एक व्यक्ति काउंटर पर प्रत्येक दस्तावेजों की जाँच  कर रहा था। आखिरकार, जब मेरी बारी आई, तो मैं उसके पास गया उसने मेरा स्वागत नमस्ते करके किया। मैंने अचम्भित होकर, उससे नमस्ते कहा।

उसने कहा“ पासपोर्ट प्लीज?

मैंने अपना पासपोर्ट उसके हाथ में दे दिया। उसने सरसरी निगाह से उस पासपोर्ट को देखा और मुस्कराते हुए मुझसे पूछा “कि केन्या में क्या आपका यह पहली बार है।

मैंने कहा “जी, हाँ।

उन्होंने कहा, “हमारे देश में पधारने के लिए आपका स्वागत , वास्तव में हम केन्या आने वाले भारतीयों को बहुत पसंद करते हैं और इसके बाद उसने मेरे पासपोर्ट पर वीजा की मुहर लगा दी।

मैं अपना सामान उठाकर, हवाई अड्डे से बाहर निकल गया। पहला बिल बोर्ड जो मैंने देखा था, वह अफ्रीका का सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी एयरटेल नेटवर्क था। मैंने एयरटेल का एक सिम खरीदा और अपने ड्राइवर को फोन करके बुलाया। मैं उसके पहुँचने की प्रतीक्षा कर रहा था, तभी मेरा ड्राइवर पीटर, मारूती स्विफ्ट कार के साथ मेरे पास पहुँचा। स्विफ्ट कार को नायरोबी में देखकर, मैं आश्चर्यचकित हो गया। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं भारत में ही खड़ा हुआ हूँ।

मैं कार के अन्दर बैठकर, होटल के लिए निकल लिया, रास्ते में मैंने पीटर के साथ बातचीत करना शुरू कर दिया।

उसने कहा “नमस्ते।

मैंने जवाब दिया “जम्बो।

मैंने टिप्पणी की “कि क्या यह एक अच्छी कार है?”

उसने कहा “कि यह केन्या की सबसे अच्छी और बेहतरीन माईलेज वाली कार है।

उसने मुझसे कहा “कि आप भारत के कौन से हिस्से में रहते हैं।

मैंने उत्तर दिया “कि मैं हैदराबाद का रहने वाला हूँ।

उसने कहा “अरे, दक्षिण भारत के रहने वाले हो आप।

मैं आश्चर्यचकित हो गया। सच कहूँ तो, मुझे यह भी नहीं पता था कि नायरोबी, केन्या के कौन से हिस्से में था।

मैंने कहा “कि आप भारत के बारे में और क्या-क्या जानते हो?”

उसने कहा “कि भारतीय बहुत अच्छे होते हैं, उनका केन्या में छोटे व्यवसाय है, वे हम केन्याइयों को रोजगार देते हैं”।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। जैसे ही मैंने बाहर की सड़कों की तरफ देखा, तो ज्यादातर टैक्सियां और ट्रकें महिन्द्रा या टाटा कम्पनी की चल रहीं थीं।

मैंने कहा “कि इतने भारतीय वाहन केन्या में कैसे?

उसने जवाब दिया “कि यह सब केन्यात्ता और मोदी की मेहरबानी से है।

मैंने सोचा कि अब यह केन्यात्ता कौन है। मैंने गूगल किया तब मुझे पता चला कि केन्यात्ता केन्या के राष्ट्रपति हैं।

मैंने पूछा “कि केन्यात्ता कैसे राष्ट्रपति हैं।

उसने उत्तर दिया “कि केन्यात्ता अच्छे हैं, लेकिन इतने अच्छे नहीं जितने की मोदी।

मैंने पूछा “ऐसा क्यों? क्या वे भ्रष्ट हैं?

उसने एक ही सांस में कहा कि “जी नहीं, केन्यात्ता अच्छे हैं, वह उन सब में सबसे अच्छे हैं जिन्हें केन्या के लिए चुना गया है, लेकिन मोदी जितने अच्छे नहीं है, मैंने सुना है कि मोदी बहुत कड़ी मेहनत करते हैं, बहुत कम सोते है, मुझे बताओ कि कौन सा नेता उनके देशवासियों के लिए इतनी मेहनत करता है? मोदी कैसे हैं?”

मुझे गर्व महसूस हुआ।

“मोदी जी अच्छे हैं, मैंने उनसे पूछा कि आप हमारे प्रधानमंत्री मोदी के बारे में इतना कैसे जानते हैं?”

उसने जवाब दिया कि “उन्होंने हाल ही में यहाँ का दौरा किया और तंजानिया में ड्रम बजाया, ऐसे विनम्र सज्जन इन्सान को कौन भूल सकता है। ऐसी उम्मीद आप पुतिन या ट्रम्प से भी नहीं कर सकते हैं।

‘मारा’ जाते समय दोपहर के भोजन के लिए, हम एक ढाबे (या जो भी उन्हें केन्या में कहते हैं) पर रुक गए और दोपहर के भोजन के लिए चावल, रोटी, दाल और हरी मटर के सब्जी को देखकर मुझे सुखद आश्चर्य हुआ।

मैंने पीटर से कहा, कि मैंने यहाँ पर भारतीय व्यंजन मिलने की अपेक्षा भी नहीं की थी।

उसने कहा, “भारतीय, हमारी स्वतंत्रता के लिए हमारे साथ लड़े थे, वे हमारे साथ हैं और उनका भोजन केन्या का हिस्सा है”। मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि मुझे केन्या के इतिहास के बारे में कुछ भी नहीं पता था।

‘मारा’ तक कार के द्वारा पहुंचने के लिए चार घंटे का रास्ता बाकी था, इसलिए मैं कार के अन्दर ही सो गया। जब मारा से केवल आधे घण्टे का रास्ता शेष रह गया तो पीटर ने मुझे जगा दिया। वहाँ पर मैंने देखा कि जेब्रा का झुण्ड सड़क पार कर रहा था। चारों ओर बहुत हरियाली ही हरियाली छायी हुई थी। मारा के एक दूरस्थ गाँव के पास ड्राईवर ने कार में डीज़ल डलवाने के लिए कार रोकी। कार से नीचे उतरकर, मैं एक  दुकान पर गया और जब मैंने दुकान पर टंगी एक पत्रिका को देखा तो आँखें गड़ाये हुए उसे देखता ही रह गया, मुझे उस पत्रिका को देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ, कि अफ्रीकन बिजनेस के नाम की उस पत्रिका के मुख्य प्रष्ठ पर शिंजो अबे और मोदी की तस्वीरें छपी हुईं थी। मैंने बहुत ही उत्साहित होकर अफ्रीकन बिजनेस के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए, मैगजीन की एक प्रति खरीद ली क्योंकि वास्तव में अफ्रीकन बिजनेस के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी।

मैंने जो मैगजीन खरीदी थी, उसे पीटर को दिखाया। उसने कहा “जैसा कि मैंने आपसे कहा था कि हम सभी लोग मोदी को बहुत प्यार करते हैं, लेकिन यह चाईनीज आदमी मोदी के साथ क्यों खड़े हैं?

“मैंने उससे कहा, कि यह चाईनीज व्यक्ति नहीं बल्कि जापान के प्रधानमंत्री हैं, जिस पर पीटर ने उत्तर दिया “अच्छा, आशा करता हूँ कि मोदी चाइना के सहयोगी कभी नहीं बने, क्योंकि वे लोग बुरे हैं। वे अफ्रीकन उपनिवेश स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

“मैं अपने होटल में पहुँचा और एक रात ठहरने के लिए एक कमरा लिया। सुबह 6 बजे मुझे सफारी के लिए निकलना था। फिर  मैंने पत्रिका पढ़ना शुरू कर दिया। इसमें यह बताया गया था कि चीन कैसे गरीब अर्थव्यवस्था वाले अफ्रीका का शोषण करता रहा है, यहाँ तक कि जिबूती, चाड़, जाम्बिया जैसे देशों पर राजनीतिक नियंत्रण बनाए रखता है। चीन उनके बुनियादी ढाँचे, जैसे सड़क, रेल मार्ग, बाँध, बंदरगाह और हवाई अड्डों के निर्माण के लिए धन उपलब्ध कराता है। चीन अफ्रीका में सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, अफ्रीका में उपनिवेशवाद का खतरा बढ़ रहा है, और ऐसे समय पर जापान और भारत सुरक्षित, सस्ते और बेहतर विकल्पों के साथ, अफ्रीका में चीनी एकाधिकार को रोकने के प्रयास में लगे हैं।

अगले दो दिनों में, मैंने अपना ज्यादातर समय जंगलों में ही बिताया, वहाँ पर मैंने सैकडों जेब्राओं, जंगली जानवरों और हिरनों को देखा, मैंने वहाँ पर कई हाथी, चीतों, दरियाई घोड़ों और मगरमच्छों को भी देखा। शेर शर्मीला था और पहले दिन मैंने किसी भी शेर को वहाँ पर नहीं देखा। दूसरे दिन जंगल में ज्यादा तलाशने पर अंततः शेरों का एक झुण्ड मिला। शेर एक पेड़ के नीचे अकेला सो रहा था, जबकि शेरनी अपने बच्चे के साथ ही बैठी हुई थी। जैसे ही मेरी कार शेर के पास से निकली मुझे ऐसा लगा, कि शेर की गुर्राहट मुझसे कह रही है “मेरे झुण्ड के साथ गड़बड़ न करने की हिम्मत न करना”। मैंने उस शेर की एक तस्वीर ली और इसके साथ ही मेरी यह सफारी यात्रा एक शाही अंदाज में समाप्त हो गई।

अगले दिन मैं हवाई अड्डे को जाने के लिए निकला और हवाई अड्डे पर पहुँचते ही मैंने पीटर को गुड बॉय कहा।

उसने मुझसे मुस्कराते हुए कहा “क्या आप दोबारा आएंगे।“

मैंने उत्तर दिया, कि मैं यहाँ के शेरों को देखने के लिए अवश्य आऊँगा।

उसने मुझसे कहा, अरे, इसके लिए आपको इतनी दूर आने की आवश्यकता नहीं है।

मैंने कहा “ऐसा क्यों?

मोदी जी शेर हैं, आप खुशकिस्मत हैं कि आप मोदी जी को प्रतिदिन देखते हैं, यह कहते हुए उसने मुझसे आज्ञा ली।

मुझे आश्चर्य हो रहा था, कि जब केन्या जैसे छोटे छोटे देशों के लोग प्रधानमंत्री मोदी को इतना सम्मान करते हैं, तो हमारे देश के कुछ लोग इनसे इतनी नफरत क्यों करते हैं। तब मुझे पीटर के द्वारा ही कही गई एक बात याद आ गई – जंगली कुत्ते, लकड़बघ्घे और गिद्ध, शेर से नफरत ही करते हैं। यह बात एकदम सही है।

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