और वही हुआ जिसकी पूरी पूरी उम्मीद थी। कांग्रेस वालो ने मोदी जी को फुलटॉस डाली और मोदी जी ने उनके सर के ऊपर से उठा कर छक्का मारा। युवा कांग्रेस का “मोदी को चायवाला बोलना” बस एक ट्वीट नहीं गुजरात इलेक्शन के लिए वो ब्रह्मास्त्र था जिसकी भाजपा को जरुरत थी, अब अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल कि जातिगत राजनीति या राहुल बाबा का मंदिर प्रेम मुख्य विषय नहीं, मुख्य विषय है चाय।
अब गुजरात का पूरा चुनाव चाय कि चुस्कियों के ही इर्द गिर्द घूम रहा है। मोदी जी ने कहा कि उन्होंने चाय बेचीं है कांग्रेस की तरह देश को नहीं बेचा। बीजेपी ने भी कांग्रेस को मुँहतोड़ जवाब देने के लिए पूरे गुजरात में चाय के स्टाल लगा दिए है, वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पुत्री इवांका ट्रंप ने भी चाय का हवाला देते हुए मोदी जी कि उपलब्धियां गिनवाई।
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कांग्रेस पहले भी गरम चाय से अपना मुह जलवा चुकी है, अब ज़रा ये देखें:
“मैं आपसे वादा करता हूँ कि 21वीं सदी में नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे, लेकिन यदि वो यहाँ आकर “चाय” बेचना चाहते हैं, तो हम उन्हें जगह दिला सकते हैं।” लोकसभा चुनाव से पहले 2014 में दिल्ली में कांग्रेस का सम्मेलन था। वहाँ कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य मणिशंकर अय्यर ने यह बयान दिया था, इस बयान के बाद कांग्रेस के खिलाफ भाजपा ने ना सिर्फ कड़ा प्रहार किया बल्कि अपना पूरा चुनावी कैंपन चाय के इर्द-गिर्द ही रखा। इसके फलस्वरूप “चाय पर चर्चा” जैसा कैम्पेन अप्रत्याशित रूप से सफल हुआ और भाजपा को सत्ता में लाने में इसका अहम योगदान रहा।
अब लगभग साढ़े 3 साल बाद गुजरात चुनाव से पहले एक बार फिर कांग्रेस ने राजनीति की “चाय” गर्म कर दी है, और इस गर्म चाय से कांग्रेस के ही जलने के आसार हैं। दरअसल कुछ दिनों पूर्व भारतीय युवा कांग्रेस की आधिकारिक पत्रिका “युवा देश” के ब्लू टिक (आधिकारिक) वाले ट्वीटर हैंडल से एक तस्वीर ट्वीट की गई। इस तस्वीर में भारत के प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे है। इस पोस्ट में भारत के प्रधानमंत्री को अपमानजनक तरीके से चाय बेचने को कहा जा रहा है। इस विवादित ट्वीट के द्वारा गुजरात चुनाव के कैम्पेन के लिए कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को चाय बेचनेवाले की तरह दिखाने की कोशिश की गई है। इसके बाद केंद्रीय मंत्री से लेकर, भाजपा नेताओं और आम जनता ने देश के प्रधानमंत्री पर ऐसे आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर कड़ा विरोध किया। पोस्ट के बाद हुए भारी विरोध के चलते कुछ ही समय में यह तस्वीर डिलीट कर दी गई, लेकिन इन सब के बीच कुछ बात स्पष्ट होते दिख रही है, आइए उस पर कुछ विश्लेषण करते हैं।
गठन के समय की मानसिकता आज भी कांग्रेस के साथ :
जब कांग्रेस का गठन 1885 में ए. ओ. ह्यूम (एक ब्रिटिश) ने किया था तब से लेकर 1915 तक लगभग 30 वर्षों तक कांग्रेस केवल अभिजात्य वर्ग की पार्टी तक ही सीमित थी। इसके बाद भी कांग्रेस से किसान-मजदूर वर्ग तो जुड़े लेकिन सत्ता केवल “बड़े” लोगो के ही पास रही। परिवारवाद और अभिजात्य वर्ग की मानसिकता रखने वाले कांग्रेसियों ने कभी गरीबी और गरीब की इज्जत नहीं की। इसी वजह से आज भी उसकी मानसिकता में एक जमीन से जुड़े व्यक्ति का प्रधानमंत्री बनना स्वीकार्य नहीं है। कांग्रेस ना तब गरीबों का सम्मान कर सकी ना ही आज करती है। कांग्रेस यकीनन देश की सबसे पुरानी पार्टी है लेकिन उसके बाद भी पार्टी ने कभी मजदूर-निम्न वर्ग का सम्मान करना नहीं सीखा।
लोकतंत्र में राजघराने सा अहम कांग्रेस का :
यह बात पूरी तरह सही है कि 70 में से लगभग 60 वर्ष कांग्रेस ने शासन किया है। इन 60 वर्षों में भी अधिकांश समय सत्ता एक ही परिवार के हाथ में रही है। सत्ता रखने वाले गांधी परिवार के ताजातरीन युवराज राहुल गांधी भी अब प्रधानमंत्री बनने के लिए लालयित हैं। खैर राहुल गांधी की बुद्धि और काबिलियत से तो हम सभी वाकिफ हैं और हम यह भी जानते है कि वो अपने कार्य के प्रति कितने गंभीर हैं, लेकिन इन सब के बाद भी उनके अंदर से वर्षों तक सत्ता में रहने वाले खानदान से आने “गुरुर” साफ़ झलकता है। राहुल गांधी और उनकी टीम (सोशल मीडिया) लगातार प्रधानमंत्री मोदी के भूतकाल से बार-बार चाय बेचने की बात को निकाल कर उनका अपमान करने की कोशिश करते हैं। इसी कड़ी में हाल ही में संभावित तौर से उनकी सोशल मीडिया टीम ने फिर से चाय के मुद्दे को छेड़ कर इसे पेश किया है। विचारणीय है कि यदि ऐसा नहीं होता तो “चायवाला” शब्द को एक तिरस्कार के नजरिए से क्यों सामने लाया जाता ?
“विनाश काले विपरीत बुद्धि” की ओर जाती कांग्रेस पार्टी :
2013 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद 2014 के आम चुनाव से लेकर 2017 तक के अधिकतर बड़े-छोटे चुनावों में कांग्रेस लगातार हारती गयी है। इनमें वो राज्य भी शामिल है जिनमें पहले कांग्रेस का कब्ज़ा था लेकिन अब भाजपा की सत्ता है। यही मुख्य वजह है कि पुरे कांग्रेसी खेमे में बड़े स्तर पर छटपटाहट है। कांग्रेस पार्टी के लगातार हारने के पीछे देश के प्रधानमंत्री और भाजपा का मुख्य चेहरा नरेंद्र मोदी है। पुरे देश में नरेंद्र मोदी की विश्वसनीयता और स्वीकार्यता बेजोड़ है जिसकी वजह से कांग्रेस अपने गढ़ में भी हारती जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी को बार बार तंज कसने या उन पर प्रहार करने के लिए कांग्रेस पार्टी “चायवाला” शब्द का उसी छटपटाहट में कर बैठी जिसमें कभी मणिशंकर अय्यर ने किया था, क्योंकि दिखावा लाख किया जा सकता है लेकिन मन के अंदर का विचार नहीं बदला जा सकता। कांग्रेस अब अपने पतन की ओर अग्रसर है। चाय के रूप में कांग्रेस द्वारा किया गया यह हमला उसको ही ले डूबेगा, क्योंकि जनता अब राजा नहीं सेवक ही चाहती है। यह चायवाला बयान गुजरात चुनाव से पहले ही कांग्रेस के ताबूत में एक और कील ठोक चुका है, जल्द ही कांग्रेस पार्टी अपनी शून्यता पर आने वाली है।