सुरक्षा बलों का मुहतोड़ जवाब, दो सौ से ज्यादा आतंकियों को किया ढेर

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कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के लिए यह वर्ष बहुत महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि इस वर्ष भारत द्वारा आतंकवाद विरोधी अभियानों में मारे जाने वाले आतंकवादियों की संख्या २०० से अधिक हो गई है और यह गिनती अब भी निरन्तर जारी है। भारतीय सुरक्षा बलों ने २०१० के बाद से पहली बार, इतनी अधिक संख्या में  आतंकवादियों को मारा है। श्रीनगर के डीजीपी, शेश पाल वेद ने ३० नवंबर को, बड़गाम और बारामुला जिलों में भारतीय सेना द्वारा दो अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए पांच आतंकवादियों के बारे में ट्वीट करते हुए लिखा कि- “जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना, सीआरपीएफ और कश्मीर के लोगों के सामूहिक प्रयास से सिर्फ वर्ष २०१७ में आज तक २०० से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं। अत: यह कदम हमारे देश में और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए मील का पत्थर साबित होगा।”

हालांकि वर्ष २०१० में मारे जाने वाले आतंकवादियों की संख्या २७० से अधिक थी और अगले कुछ वर्षों के दौरान इस संख्या में निरन्तर गिरावट देखने को मिली, परन्तु २०१७ में फिर से इस आंकड़े ने २०० की संख्या को पार कर दिया। लेफ्टिनेंट जनरल जे एस संधू (श्रीनगर में स्थित चिनार कोर के कमान अधिकारी) के अनुसार, १९ नवंबर, २०१७ तक १९० आतंकवादियों को मारा जा चुका था। ३०  नवंबर, २०१७ तक यह आंकड़ा २०० की संख्या को पार कर गया, जिनमें से आधे से ज्यादा आतंकवादी विदेशी मूल के थे।

३० नवंबर, २०१७ को भारतीय सुरक्षा बलों ने उत्तर कश्मीर के बांदीपुरा जिले में लश्कर के छह पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया। इस मुठभेड़ में मारे गए  आतंकवादियों में इनामी अपराधी जकी-उर-रहमान लखवी का भतीजा भी था, जो कि २६/११ के मुंबई हमले के मास्टरमाइंडों में से एक था। इस मुठभेड़ के दौरान, सुरक्षा बलों ने लश्कर के दो अन्य कमांडरों को मार गिराने में भी सफलता प्राप्त की और इस प्रकार इस आतंकवादी संगठन के उच्च आतंकियों लगभग पूरी तरह ख़त्म कर दिया। यह ऑपरेशन बांदीपुरा के हाजीन इलाके में चलाया गया था जो कि एक आतंकवाद से पीड़ित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।

इस वर्ष कॉर्डन एंड सर्च आपरेशन (कासो) के पुन: लॉन्च के बाद इसके सफल होने के साथ साथ, सुरक्षा बलों द्वारा युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने का एक नया प्रयास किया जा रहा है। मजीद भट के बाद, एक युवा कश्मीरी फुटबॉल खिलाड़ी ने आतंकवाद में कदम रखा। उसकी व्याकुल माँ ने एक अपील की, जिसे व्यापक रूप से टेलीविजन पर प्रसारित किया गया, उस अपील में वह अपने बेटे से घर वापस आने की भीख मांग रहीं थी। यह उपाय काम कर गया, माजिद और कई अन्य स्थानीय आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण कार्यक्रमका फायदा उठाते हुए अपने परिवार में वापसी की है। आत्मसमर्पण कार्यक्रमजिसमें आतंकियों को घर वापसी के लिए पूरी सुरक्षा का वादा किया जाता है, इसमें आतंकियों को अपने समूह से वापस आने के बाद पुलिस उनपर कोई जवाबी कार्यवाही नहीं करती है। अगर जम्मू-कश्मीर सरकार इन युवाओं के लिए एक व्यापक पुनर्वास कार्यक्रम को जारी रखती है, तो यह कई अन्य युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने और सामान्य जीवन में वापस आने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

जैसा कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा है कि, “हमारे सुरक्षा बलों का मनोबल बहुत ऊंचा है। वे हर रोज दो, चार, पांच, छः या सात आतंकियों को खोजकर मार गिराते हैं।  दिसंबर माह अभी पूरा बाकी है, लेकिन हमने २०१७ में पहले ही २०० से ज्यादा आतंकी मार गिराए हैं।

इस साल, २०१६ के आंकड़ों के मुकाबले ५० अधिक आतंकियों को मार गिराया गया है। ४ दिसम्बर को काजीगुंड में आतंकियों ने सेना के काफिले पर हमला किया। अगली मुठभेड़ में हमारे सुरक्षा बल दो पाकिस्तानी आतंकवादियों को मारने में कामयाब रहे, पहला आतंकी फुरकान जिसने लश्कर-ए-तैयबा के डिविजनल कमांडर का पद हाल ही में प्राप्त किया था और दूसरे आतंकी का नाम अबू माविया था।

स्पष्ट रूप से, सुरक्षा बलों ने लगातार एक के बाद एक हमले कर के आतंकवादियों को परेशान कर दिया है और इन खतरनाक संगठनों के हर कमांडर को चुन चुन के मार गिराया है जो क्षेत्रीय युवाओं को उकसाकर आतंकवाद के लिए प्रेरित करते हैं। बुरहान वानी की मौत के बाद ऑपरेशन क्लीन अप में कोई परेशानी नहीं हुई।

वर्ष २०१७, भारतीय सेना द्वारा हिज्बुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के खतरनाक कमांडरों को मुठभेड़ में मार गिराने के कारण महत्वपूर्ण रहा। इस साल कुछ प्रमुख आतंकवादियों को मार गिराया गया, जिनमें अबु दुजाना, जुनैद मट्टू, सब्जर भट, बशीर लश्करी और सजाद अहमद गिल्कर शामिल थे।

हालांकि पाकिस्तान सरकार द्वारा, विश्व स्तर पर नामित आतंकवादी हाफिज सईद की हालिया रिहाई, घाटी में सामान्य स्थिति के लिए खतरा बन गई है। हाफिज सईद के शैतानी जीवन का जम्मू और कश्मीर में आतंक फैलाना ही एकमात्र मकसद है तथा उसका पाकिस्तान की राजनीति में शामिल होने का प्रयास भारत के लिए चिंता का विषय बनेगा। इसी बीच अल-कायदा ने कश्मीर में एक नई चेतावनी भी दी है।

इन सर्दियों में हम सब शांति की आशा करते हैं और अपने सैनिकों को धन्यवाद देते हुए ये उम्मीद भी करते हैं कि आने वाली गर्मियों में भी घाटी में शांति बनी रहेगी।

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