जापान की न्यूज़ एजेंसी निक्की की रिपोर्ट: मालदीव के पास भारतीय नौसेना ने चीनी नौसेना का किया था अपमान

चीन मालदीव

डोकलाम में पिछले साल अपनी हार के बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया है, चीन ने मालदीव में बढ़ते राजनीतिक संकट पर अपना प्रभाव डालने के लिए आगे बढ़कर भारतीय महासागर में जहाजों का जाल बिछा दिया। लेकिन संभावित समुद्री संघर्ष से पहले ही भारत सरकार के दबाव औr भारतीय नौसेना की दिलेरी ने चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।

चीन ने 7 फरवरी को मालदीव के राजदूत की बीजिंग यात्रा के बाद मालदीव के समीप मिसाइल विध्वंसक के अलावा कई जहाजों को भेजा था। चीन की तरफ राजनीतिक झुकाव और विभिन्न क्षेत्रों में अपने समर्थन के कारण मालदीव चीन को अपना अच्छा मित्र बताता रहा है।

जापान की न्यूज़ एजेंसी निक्की की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब 22 फ़रवरी को चीन के जहाज भारतीय जहाजों से 30 समुद्री मील की दूरी पर थे तब भारतीय नौसेना ने चीन को कार्रवाई की धमकी दी- एक वार्निंग शॉट और ‘वार ड्रिल’ अगर वो 20 समुद्री मील के भीतर आते हैं। इसके बाद चीन का बेड़ा मालदीव के दक्षिण पूर्व में पीछे हट गया, और मालदीव की राजधानी से  278 समुद्री मील की दूरी पर अपने जहाजों को रोक दिया।

चीन का हश्र भारतीय महासागर में ठीक वैसा ही था जैसा सिक्किम के समीप डोकलाम क्षेत्र में हुआ था, यहां चीन ने सड़क निर्माण करना शुरू किया था और भारत के साथ लड़ाई के लिए तैयार था। आख़िरकार, चीन को एहसास हुआ कि भारत पीछे नहीं हटेगा तो चीन को मजबूरन अपने निर्माण कार्य को रोकना पड़ा था।

चीन की मीडिया ने यह दावा किया था कि चीन के कम से कम एक जंगी जहाज, 30,000 टन एम्फिबीएस ट्रांसपोर्ट डॉक (उभयचर) और तीन सहायक टैंकरों ने भारतीय हिंद महासागर में प्रवेश किया है। यह दावे मालदीव में तैनात सेना और चल रहे राजनीतिक संकट को इंगित किये बिना किये गये था।

मालदीव के राष्ट्रपति (मुख्य रूप से 400,000 लोगों का एक मुस्लिम देश) अब्दुल्ला यामीन ने 45 दिनों के बाद 22 मार्च को इमरजेंसी हटाई। माना जाता है कि भारत ने अमेरिका के साथ मिलकर इमरजेंसी की परिस्थितियों को जल्द खत्म करने के लिए साथ कार्य किया। चीन और भारत के संघर्ष के बीच ब्रिटिश-नियंत्रित द्वीप डिएगो गार्सिया पर अमेरिकी जहाज अपने भारतीय सहयोगियों के साथ मिलकर लड़ने को तैयार भी थे।

राष्ट्रपति यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत 9 विधायकों की तत्काल रिहाई के आदेश को मानने से इनकार कर 5 फ़रवरी को 15 दिनों के लिए इमरजेंसी का ऐलान किया था। उन्होंने इमरजेंसी को संसद की मंजूरी से 30 दिनों तक के लिए आगे बढ़ा दिया था। विपक्ष और भारत, अमेरिका समेत दूसरे देशों ने उनके इस कदम की कड़ी आलोचना की।

यामीन के इमरजेंसी शासन के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ममून अब्दुल गयूम, मुख्य न्यायाधीश, एक अन्य सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और एक सुप्रीम कोर्ट के प्रशासक को उनके ऊपर आरोप लगाने के जुर्म में गिरफ्तार किया था। इसके तुरंत बाद बाकि न्यायाधीशों ने 12 विधायकों को बहाल करने के अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया, जो पहले विपक्ष में शामिल होने की वजह से बंधक बना लिए गए थे। उन्होंने इन आरोपों से इंकार किया था। राष्ट्रपति यामिन ने महाभियोग के खतरे को टालने के लिए संसद को बंद किया था।

मीडिया को भी सरकार के विरुद्ध समाचार न दिखाने की धमकी दी गयी थी। “कार्टेलिंग ऑफ द राइट टू फ्री मीडिया” के तहत स्वतंत्र समाचार प्रसारक राज्जे टीवी 8 फ़रवरी ऑफ एयर हो गया था जिसके बाद तीन पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया था।

पिछले साल 12 सांसद के विपक्ष में शामिल हो जाने से यामीन के सामने ससंद में बहुमत बनाये रखने की बाधा थी.

बीजिंग, मालदीव के साथ व्यापार और राजनयिक संबंध बनाने की कोशिश में था,  मालदीव एक द्वीप है जो भारतीय मुख्य भूमि (केवल 400 किमी दूर) के समीप है। एशिया में व्यापार और परिवहन के विस्तार के लिए राष्ट्रपति यामीन ने बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह भी कहा जा सकता है कि चीन की सैन्य सहायता की संभावना के अभाव में यामीन को इमरजेंसी को वापस लेने के लिए मजबूर किया हो।

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