मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) और जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (जीएडी) पार्टी के 9 सदस्यों की नियुक्ति रद्द कर दी गयी। पार्टी के ये सदस्य शिक्षा, वित्त और मीडिया जैसे क्षेत्रों में दिल्ली कैबिनेट के सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे। बर्खास्त होने वाले 9 सलाहकारों में सबसे प्रमुख नाम आतिशी मार्लेना का है। आतिशी मार्लेना दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के शिक्षा सलाहकार के रूप में काम कर रही थीं।
आम आदमी पार्टी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ऐसा पहली बार नहीं किया है। केंद्र सरकार में गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक पत्र के बाद ही आम आदमी पार्टी के 9 सलाहकारों को बर्खास्त किया गया। गृह मंत्रालय ने इन नियुक्तियों को रद्द करने के लिए जारी किये पत्र में लिखा है कि, “सलाहकार के पदों पर नियुक्ति के लिए केंद्र से कोई स्वीकृति नहीं ली गयी थी, जिन पदों पर नियुक्ति हुई है वो को-टर्मिनस आधार पर की गयी है।”
आम आदमी पार्टी और उसके नेता ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है। उन्होंने आतिशी मार्लेना और अन्य सलाहकारों के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि, सलाहकारों को एक रूपये प्रति महीने की सैलरी पर नियुक्त किया गया था। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाते हुए कहा कि ये बीजेपी की साजिश है, उनके सलाहकारों द्वारा किये गये अच्छे कामों को रोकने के लिए बीजेपी ने ये कदम उठाया है। लेकिन सोचने वाली बात है कि क्या जो तर्क अआप ने दिया है वो मूर्खतापूर्ण नहीं है ? अआप नेता और अरविन्द केजरीवाल को ये क्यों नहीं समझ आता कि उन्होंने किया क्या है? बस एक पोस्ट बनाया और शेयर कर दिया जो सही नहीं लगती। यहां मुद्दा नियुक्ति का है सैलरी का नहीं लेकिन अआप ने जो बनावटी पोस्ट किये है उसमें सैलरी की बात कही है लेकिन नियुक्ति सही तरीके से हुई है ये भी सिद्ध कर देते।
केंद्र सरकार दिल्ली सरकार और उनके सलाहकारों के द्वारा किये गये कार्यों की बात नहीं कर रही है। अआप के नेता अभी भी जिस व्यक्ति से चाहे सलाह ले सकते हैं। उन्हें ऐसे मामले को लेकर पोस्ट नहीं करनी चाहिए जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हो। दिल्ली में पद, को-टर्मिनस और अन्य संबंधित निर्माण केंद्र के अंतर्गत आता है। पत्र में ये भी उल्लेख किया गया है, “इसलिए दिल्ली सरकार की इन नियुक्तियों को रद्द किया जा रहा है क्योंकि इस नियुक्ति से पहले कानून से इजाज़त नहीं ली गयी।” ये पत्र उन सभी लोगों के सवालों के जवाब हैं जो आतिशी मार्लेना और अन्य सलाहकारों की नियुक्ति रद्द किये जाने पर सवाल कर रहे थे।
जब की गयी नियुक्ति गैरकानूनी है और असंवैधानिक तो अआप और अरविंद केजरीवाल किस चीज को पाने की चाहत अपने दिमाग में रखते हैं ? वो लगातार आवाज उठा रहे हैं और केंद्र सरकार पर आरोप मढ़ रहे हैं और बाकी लोग भी आतिशी मार्लेना, रजत तिवारी और दिनकर अदीब जैसे सलाहकारों की अवैध नियुक्ति को रद्द करने पर सवाल कर रहे हैं। इन 9 सलाहकारों में से तो कुछ ऐसे हैं जो पहले ही सलाहकार पद्द छोड़ चुके हैं और कई ऐसे हैं जिन्होंने 2 महीने से भी कम अवधि के लिए काम किया है। वैसे पिछले कुछ रिकार्ड्स को देखें तो पायेंगे कि कैसे अआप सरकार और केजरीवाल के लिए बहुत आसान है कि अपनी इच्छाओं और अपने प्रशंसकों के अनुसार पदों पर लोगों की नियुक्ति करना और पसंद न आये तो उन्हें हटा देना।