राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी देश में एक अलग ही प्रतिष्ठा का आनंद उठा रही है, जी हां, घोटालों में तल्लीन होने की प्रतिष्ठा का आनंद, चाहे कम पैसों का मामूली घोटाला हो या बड़े पैमाने पर हुआ कोई महाघोटाला, कांग्रेस का काम बस अपनी घोतालेबाज़ी वाली छवि को बरक़रार रखने का है।16 अरब के राष्ट्रीय हेराल्ड घोटाले से लेकर सोनिया गांधी की पूर्व अध्यक्षता वाली कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में हुए 2जी घोटाले तक, इन घोटालों को देखकर तो यही लगता है कि घोटाला करना कांग्रेस के आदर्श में शुमार हो गया है। तभी तो जब भी बड़े घोटाले सामने आते हैं कांग्रेस का हाथ जरुर नजर आता है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दिखाए मार्ग के अनुरूप बाकि नेता भी इसी कड़ी में जुड़ते जा रहे हैं। देश के हित के लिए कड़ी मेहनत नहीं बल्कि जनता के पैसों का दुरूपयोग कैसे करना है इसके लिए वो कड़ी मेहनत जरुर करते हैं। महाराष्ट्र के बाबा सिद्दीकी का नाम भी अब घोटालों में शामिल कांग्रेस सदस्यों की सूची में जुड़ गया है।
बाबा सिद्दीकी उर्फ बाबा जियारूद्दीन सिद्दीकी महाराष्ट्र के कांग्रेस पार्टी के नेता हैं। बाबा सिद्दीकी ने 1999, 2004 और 200 9 में वांद्रे पश्चिम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार तीन बार विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया है। सिद्दकी को ईद के दौरान भव्य इफ्तार पार्टी आयोजित करने के लिए भी जाना जाता है, बाबा सिद्दीकी को सुर्ख़ियों में बने रहना बखूबी आता है। सिद्दकी 2000 से 2004 तक महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) के अध्यक्ष भी रहे हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत कांग्रेस नेता बाबा सिद्दीकी और पिरामिड डेवलपर्स की मुंबई के पश्चिम बांद्र में स्थित करीब 462 करोड़ रुपये मूल्य के 33 फ्लैट सीज किए। ये मामला पिरामिड डेवलपर्स द्वारा मुम्बई के बांद्रा स्तिथ जमात-ए-जम्हूरियत मलिन बस्ती के पुनर्वास परियोजना में कथित गड़बड़ियों से जुड़ा है। पिरामिड डेवलपर्स 90 करोड़ की परियोजना पर काम कर रहे थे लेकिन, इस प्लाट को सट्रा ग्रुप बेच दिया और इसके बाद पिरामिड डेवलपर्स ने संयुक्त विकास समझौता किया जिससे उन्हें फ्लैट्स का बराबर हिस्सा भी मिल गया। अधिकारियों के मुताबिक इससे उत्पन्न राजस्व की कुल कीमत 1800-2000 करोड़ के बीच है।
2000 और 2004 के बीच म्हाडा के अध्यक्ष बाबा सिद्दीकी पर ED ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) के पद का दुरूपयोग किया है। FSI की वृद्धि का मतलब है कि परियोजना के लिए आवंटित भूमि के क्षेत्र पर अधिक फ्लैट बनाए जा सकते हैं जोकि पार्टियां अक्सर अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करती हैं। ED ने इस मामले में बाबा सिद्दीकी की सहभागिता की बारीकी से जांच की क्योंकि जब ये घोटाला हुआ था तब बाबा सिद्दीकी महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष थे। पिरामिड डेवलपर्स और सिद्दकी ने इस घोटाले से जितना मुनाफा कमाया है उसपर अधिकारियों की नजर है और इसकी गहनता से जांच भी की जा रही है।
आने वाले दिनों में बाबा सिद्दकी की परेशानी और भी बढ़ सकती है क्योंकि आगे की जांच में ED उनसे पूछताछ करेगी। पिरामिड डेवलपर्स और बाबा सिद्दीकी के बीच का जुड़ाव सामने आने के बाद कांग्रेस के एक और नेता को कानून की कठिन प्रणाली का सामना करना होगा। और ये कांग्रेस की एक और उपलब्धि होगी जो जनता के हितों की कीमत पर अपने नेताओं का आर्थिक विकास करने में प्रवीण हैं।