कांग्रेस को 5forty3 की रिपोर्ट से एक और बड़ा झटका लगा होगा, इस रिपोर्ट के मुताबिक, सीएम सिद्धारमैया के गृह जिला मैसूर में कांग्रेस पीछे है। पिछली बार यहां सिद्धारमैया 11 सीटों में से 8 को सुरक्षित करने में कामयाब रहे थे लेकिन इस साल ऐसा लगता है कर्नाटक के सीएम को अपने निर्वाचन क्षेत्र सहित सभी सीटों के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी। सीएम अपने निर्वाचन क्षेत्र में 3% से पीछे नजर आ रहे हैं।
Latest tracker data from Mysore district clearly indicates that CM @siddaramaiah is currently trailing by 3 percentage points (there are 9% swing voters); if BJP plays its cards well, JDS can actually defeat the CM in Chamundeshwari!
— Dr Praveen Patil (@5Forty3) April 19, 2018
कर्नाटक के सट्टेबाजों के मुताबिक बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी, हालांकि, कुछ लोगों की राय इसके विपरीत भी है। OneIndia ने इसकी पुष्टि की है और ऐसा लगता है कि पहले ही कर्नाटक चुनावों पर 800 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। ये संकेत कांग्रेस पार्टी के लिए अच्छे नहीं है क्योंकि नरेंद्र मोदी ने अभी प्रचार की शुरुआत भी नहीं की है।
पीएम मोदी ने ‘भारत की बात सबके साथ’ कार्यक्रम के दौरान लोगों से बातचीत में भगवान बसवेश्वर के योगदान का जिक्र किया था, भगवान बसवेश्वर लिंगायत समाज के दार्शनिक और समाज सुधारक थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने यूके दौरे के दौरान 12 वीं शताब्दी के लिंगायत दार्शनिक की मूर्ति पर माला भी चढ़ाई थी। इसे लिंगायत समुदाय तक पीएम मोदी की पहुंच के रूप में देखा जा सकता है जोकि आंतरिक रूप से गंदी राजनीति का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस बीजेपी को हराने और अपने वोट बैंकिंग के लिए इस अल्पसंख्यक समुदाय को अलग करने की कोशिश में हैं।
सिद्धारमैया का लिंगायत समुदाय का वोट के आधार पर विभाजन की पहली कोशिश तब सामने आई थी जब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश को वीरशैव महासभा ने ख़ारिज कर दिया था तब इसे कांग्रेस ने ‘हाइट ऑफ इनजस्टिस’ कहा था। बाद में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस पूरे खेल को ‘राजनीतिक स्टंट कहा था और कहा कि ये कदम चुनाव के लिए सफल साबित नहीं होगा। ऐसी परिस्थिति में बीजेपी के सीएम पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा, जिन्हें लिंगायत समुदाय का सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में जाना जाता है, वो कर्नाटक के चुनाव में बीजेपी की किस्मत के फैसले में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
इस प्रकार कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए पहले ही इस ओपिनियन पोल ने भविष्यवाणी कर दी है। हालांकि, पीएम मोदी ने अधिकारिक तौर पर इस चुनाव का प्रचार शुरू कर दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी बीजेपी के सबसे ज्यादा चर्चित चेहरा हैं और अब लगता है कि राज्य के आगामी चुनाव के लिए पार्टी एक बार फिर से मोदी लहर पर भरोसा कर रही है। वैसे देखा जाए तो बाजी अभी भी बीजेपी के पक्ष में है और कांग्रेस अपने लिए गड्ढा खोदने में व्यस्त हैं जो उनके लिए फिर से मंहगी साबित होगी।
सीएम सिद्धारमैया ने विभाजन की राजनीति की है और राज्य में अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए विभिन्न समुदायों के बीच की दरार को बढ़ाते रहे हैं। वो बीजेपी को ‘हिंदी पार्टी’ और राज्य में ‘बाहरी’ के रूप में चित्रित करते हैं। उन्होंने राज्य में लिंगायत वोट बैंकिंग के लिए उन्हें अलग अल्पसंख्यक टैग देने की भी कोशिश की। सिद्धारमैया बीजेपी को हराने के लिए जुबानी लड़ाई में भी हद्द से आगे बढ़ गये हैं। हालांकि, सिद्धारमैया की चाल बीजेपी की जगह उन्हीं पर भारी पड़ते हुए नजर आ रही है।
इन सभी के बीच बीजेपी के लिए संभावनाएं अच्छी नजर आ रही हैं लेकिन उन्हें अपने स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी की भी इस चुनाव में जरूरत पड़ेगी। पीएम मोदी ने पहले ही अपने यूके दौरे से लिंगायत समुदाय पर अपनी बढ़त बना ली है और अब अपने प्रचार से लगता है कि बीजेपी अंततः देश में अपना 22वां राज्य प्राप्त करेगी।