उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत ने ‘द वायर’ की खोली पोल

सीएम रावत वायर

वामपंथी समाचार वेबसाइट ‘द वायर’ अक्सर अपने आधे अधूरे सच की रिपोर्टिंग शैली की वजह से मुश्किलों में फंस जाती है। केंद्र में बीजेपी और उसके सहयोगियों पर अक्सर निशाना साधने वाला समाचार वेबसाइट ‘द वायर’ अक्सर ही पक्षपात और फेक न्यूज़ के बीच के अंतर की रेखा को पार कर जाता है। वायर बड़े ही शर्मनाक तरीके से केंद्र और राज्य स्तरों पर बीजेपी सरकार के नेताओं से संबंधित फेक न्यूज़ बेचता है। न जाने कितनी बार ऐसा हुआ कि वायर के आर्टिकल्स का स्तर निम्न  रहा है और इस  गलत रिपोर्टिंग के लिए वायर माफ़ी भी नहीं मांगता। या यूं कहें कि वायर को फर्क ही नहीं पड़ता कि न्यूज़ फेक है या सही बस वो अगर बीजेपी के खिलाफ है तो वो खबर उनके लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है। वाम को समर्थन देने वाली वेबसाइट को तथाकथित ‘स्वतंत्र’ और ‘उदार’ वामपंथी नेताओं का चेहरा बनने से परहेज नहीं है, जोकि विकास विरोधी हैं और भारत विरोधी भी हैं। द वायर गलत तरीके से व्यक्तियों को लक्षित करता है और अब उसकी इस सूची में एक और नया नाम जुड़ गया है और वो है उत्तराखंड के सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत का।

राज्य में बीजेपी की अभूतपूर्व जीत के बाद बीजेपी के नेता सीएम रावत 18 मार्च 2017 को उत्तराखंड के मुखिया बने थे। बीजेपी ने 70 में से 50 सीटों पर जीत दर्ज की थी जोकि उत्तराखंड में हुए पिछले राज्य चुनावों की तुलना में 26 अधिक सीटें थीं। जनता का बड़े पैमाने पर किये गए भरोसे के साथ राज्य प्रबंधन की जिम्मेदारी बीजेपी के कंधों पर आ गयी। उत्तराखंड को “देव भूमि” या “देवताओं की भूमि” के रूप में भी जाना जाता है,  इसे कई मंदिरों, गुफाओं और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है जो इसे भारत और विदेशी पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय आकर्षण का केंद्र बनाता है। सीएम रावत की सरकार में उत्तराखंड राज्य भारत में दूसरा सबसे तेजी से विकास करने वाला राज्य बन गया है और इसका श्रेय कृषि की उपज, उत्पादन के क्षेत्र और सर्विस सेक्टर में हुए विकास को जाता है।

राज्य में किसानों को कम ब्याज में ऋण देने से लेकर चिकित्सा से संबंधित सुविधाओं के विकास को महत्व देकर मुख्यमंत्री रावत ने उत्तराखंड को बेहतर स्थान बनाने के लिए कई निर्णय लिए जिससे राज्य के लोग सभी सुविधाओं से वंचित न रह सकें। अभी हाल ही में उनकी आवश्यक पहल तब देखी गयी जब उन्होंने उत्तराखंड के उप मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया कि वे पूरे राज्य में एनसीईआरटी की किताबों की उपलब्धता को सुनिश्चित करें ताकि माता-पिता का बोझ कम हो सके जो किताबों के काला बाजारी में मूल्य से अधिक पैसों का भुगतान करते हैं। सीएम के इस कदम को राज्य के लोगों ने सराहा और राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते वित्त दबाव को कम करने के लिए शुक्रिया अदा किया, लेकिन ये कभी वाम-उदारवादी समाचार वेबसाइटों जैसे कि द वायर तक नहीं पहुंचता है या यूं कहें वो इन ख़बरों को कभी दिखाने की जहमत नहीं उठाते हैं।

वायर ने हाल ही में अपनी आधिकारिक हिंदी वेबसाइट पर एक आर्टिकल शेयर किया है। ये आर्टिकल बहुत ही आकर्षक शीर्षक के साथ शेयर किया गया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य में बीजेपी शराब की बिक्री को बढ़ावा दे रही है। आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार शराब की बिक्री को बढ़ावा इसलिए दे रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा कर कमा सकें। अपने तर्कों को सही साबित करने के लिए इस आर्टिकल में कुछ तथ्य भी पेश किये गए हैं।

जब सीएम रावत ने मीडिया द्वारा प्रसारित झूठी खबरें दिखाए जाने पर अपने ट्विटर अकाउंट से इनका खंडन किया तो द वायर की खबरों का सच सामने आ गया।  सीएम के ट्वीट में वायर के हिंदी पृष्ठ के लिंक भी शामिल हैं और आर्टिकल में दिए गए तथ्यों का उन्होंने खंडन करते हुए सच्च को उजागर किया है। उन्होंने ये स्पष्ट किया कि वायर सच न दिखाते हुए तथ्यों को तोड़-मोड़ कर पेश कर रहा। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान सालाना टर्नोवर जीरो था जोकि अब वर्तमान सरकार ने बढाकर 50 लाख कर दिया है। 1 वर्ष की अवधि के लिए लाइसेंस शुल्क जो पहले 2 लाख था अब 3 साल की अवधि के लिए बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है।

सीएम रावत के अधिकारिक ट्विटर से जो ट्वीट किये गये हैं उनमें ये भी बताया गया है  कि 2014  में तब की कांग्रिस सरकार FL-5 M/DS के नाम से एक पॉलिसी लाई थी जिसके अंतर्गत मॉल/डीपार्ट्मेंटल स्टोर में 2 लाख रुपए का शुल्क दे कर लाइसेंस धारियों को विदेशी शराब बेचने का अधिकार दिया गया था, हमारी सरकार ने इस पॉलिसी का दुरुपयोग को रोकने हेतु नए क़दम उठाए हैं।

एक अन्य ट्वीट में ये भी बताया गया है कि इन नए प्रावधानों के अंतर्गत लाइसेंस शुल्क 2 लाख से 5 लाख कर दिया गया है, साथ ही ये प्रावधान भी किया गया है कि यह लाइसेंस केवल तब दिया जाए जब उस डिपार्टमेंटल स्टोर का सालाना टर्नोवर 50 लाख और उस से अधिक हो, इससे वास्तविक डिपार्टमेंटल स्टोर ही उक्त अनुज्ञापन प्राप्त कर सकेंगे

वाम के समर्थक वायर ने इन सभी तथ्यों की अनदेखी करते हुए उत्तराखंड की सरकार पर गलत आरोप मढ़ दिए, उस सरकार पर जो अपने राज्य के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रही है। वायर द्वारा लगाये गए ये आधारहीन आरोपों का खंडन करके सीएम रावत ने इस समाचार वेबसाइट के वाम की ओर झुकाव और बुद्धिजीवियों के छिपे हुए एजेंडे को सार्वजानिक तौर पर उजागर किया है।

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