पंजाब सरकार के हिंदू विरोधी कदम से जल रही है ‘गौशाला’

पंजाब गौशाला

पंजाब की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के सीएम कैप्टन अमरेन्द्र सिंह गौशाला प्रमुखों पर अपना गुस्सा जाहिर करने या यूं कहें कि पिछली सरकार के अच्छे कार्यों को खत्म करने के प्रयास में जुट चुकी है। एक असंवेदनशील फैसले में, कांग्रेस सरकार ने पंजाब के गौशालाओं को मुफ्त में दी जाने वाली बिजली पर रोक लगा दी है जोकि पूर्व प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व की अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा लागू किया गया था। अनाथ गायों की देख-रेख के लिए ये राज्य सरकार द्वारा गौशाला को दी जाने वाली एकमात्र सेवा थी।

पंजाब को देश में उच्चतम दूध उत्पादक राज्य होने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। राज्य में मवेशियों द्वारा उन गायों को सड़कों पर खुल्लेआम छोड़ दिया जाता है जो बूढी हो जाती है और दूध देने में असमर्थ होती हैं यही वजह है कि अनाथ गायों की समस्या बढ़ती गयी। पंजाब में सड़कों के अलावा गायों के रहने के लिए 512 निजी गौशाला ही एकमात्र जगह रह गयी है। इन गौशालाओं में कुल गायों की अनुमानित संख्या 3.8 है। इन गौशालाओं की क्षमता के अनुसार ही गायों को रखा जाता है लेकिन इसके बावजूद सड़कों पर घुमने वाली गायों की संख्या गौशालाओं में रहने वाली गायों की संख्या से चार गुना है। पंजाब गौशाला महासंघ पंजाब राज्य का एक संगठन है जो पंजाब की 512 में से 472 गौशालाओं का संचालन करता है। पंजाब गौशाला महासंघ से जुड़े ट्रस्ट लगातार अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, यही वजह है कि उन्हें 3.5 लाख गायों को फिर से सडकों पर छोड़े जाने की धमकी दी जाती है। ऐसे में अनाथ गायों की सुरक्षा खतरे में तो है ही बल्कि सडकों पर चलने वाले वाहन व पैदल यात्रियों के लिए भी ये अनाथ पशु समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। पंजाब गौशाला महासंघ और ट्रस्ट के गुस्से की वजह है क्या है? दरअसल, नई सरकार ने पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा निवासियों पर लगाए गए ‘गाय टैक्स’ (काउ सेस) को एकत्रित नहीं किया।

चार पहिया, दोपहिया, शराब, सीमेंट बैग और एयर-कंडिशन्ड हॉल और नॉन-कंडिशन्ड हॉल की बुकिंग पर यह अनूठा ‘गाय टैक्स’ (काउ सेस) लगाया जाता है। एक फ्लैट दर पर 2 पैसे प्रति यूनिट की उर्जा खपत भी पंजाब सरकार द्वारा लगाई जाती है। इन सभी से एक साल में 70 करोड़ से ज्यादा की राशि जुटती है जबकि गौशालाओं के लिए प्रस्तुत कुल विधेयक लगभग 7.2 करोड़ है। यही वजह है कि गौशाला ट्रस्टों में क्रोध भरा है जो ये जानना चाहते हैं कि काउ सेस द्वारा अर्जित धन का इस्तेमाल कहां किया जा रहा है? अभी तक मात्र एक बिजली ही थी जो मुफ्त में उपलब्ध करायी जा रही थी लेकिन उसपर भी कांग्रेस सरकार ने रोक लगा दी साथ ही पिछले साल के बिजली के बिल को भी जोड़ दिया है।

पूर्व सरकार द्वारा गौ-सेवा के प्रति उठाये गया उचित कदम शायद कांग्रेस को रास नहीं आया जिस वजह से कांग्रेस सरकार ने इस कदम से  पिछली सरकार द्वारा किए गए अच्छे काम को खत्म करने में जुट गयी है। इसके जरिये कांग्रेस को अब लोगों के धार्मिक भावनाओं के साथ खेलने का अवसर भी मिल गया है ऐसे में ये मौका कांग्रेस हाथ से कैसे जाने देती।

लुधियाना में विनय सिंह एक व्यापारी हैं जो कृष्ण बलराम गोशाला ट्रस्ट के प्रमुख हैं। ये ट्रस्ट दुल्लों खुर्द में गायों के आश्रय का संचालन करती है जिसमें लगभग 500 गायें रहती हैं। पंजाब सरकार के इस फैसले पर जब विनय सिंह से बात की गयी तो उन्होंने कहा, “हम गौ-सेवा करते हैं जो हमारे धर्म का हिस्सा है। हम ज्यादा से ज्यादा अनाथ गायों को यहां लाने की कोशिश करते हैं जिससे वो गरिमा के साथ जी सकें। जैसे वृद्ध लोगों के लिए वृद्धाश्रम है वैसे ही हम बूढी हो चुकीं गायों के लिए गौशाला चलाते हैं। लेकिन तब क्या होगा जब हम ऐसा नहीं करेंगे? अनाथ गाय हर जगह सडकों व गलियों में घूमेंगी जिससे यातायात तो बाधित होगा ही साथ ही आम जनता को भी परेशानी होगी। तब उस स्थिति को सम्भाल पाना मुश्किल हो जायेगा।”

पंजाब की कांग्रेस सरकार को इस बात का एहसास नहीं है कि इस नृशंस फैसले से भारत की जनता के पास कैसा सन्देश जायेगा लेकिन हम यही उम्मीद करते हैं कि पंजाब सरकार को अपने गलत फैसले का जल्द ही एहसास हो जाये। पंजाब सरकार को उन सभी लोगों की भावनाओं का सम्मान करने की जरूरत है जो गायों और सडकों दोनों को ही सुरक्षित रखने के लिए अथक प्रयास करते हैं।

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