पीएम मोदी के नेतृत्व में मोदी-जिनपिंग की ऐतिहासिक बैठक

शी जिनपिंग पीएम मोदी चीन

मोदी सरकार के साथ भारत के बढ़ते वैश्विक महत्व की कड़ी में अब पीएम मोदी की चीन के वुहान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई मुलाकात भी जुड़ गयी है। दोनों ही पक्षों ने इस दौरान बेहतर तालमेल साझा किया। दोनों नेता जिस तरह से मिले और बातचीत की उसे देखकर लगता है जैसे कि दोनों ही सामरिक रूप से मित्र राष्ट्रों के करीबी नेता हैं। ये राजनयिक उद्देश्यों के साथ आधिकारिक यात्रा के विपरीत एक अनौपचारिक यात्रा थी। दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक ने नए आयाम दिए हैं।

पीएम मोदी के कार्यकाल के चौथे वर्ष में उनकी इस यात्रा के दौरान जिस गर्मजोशी से चीन ने उनका स्वागत किया उससे चीन का पीएम मोदी में विश्वास और उसकी इस बात पर निश्चितता कि अगले साल 2019 के आम चुनावों के बाद मोदी हीं प्रधानमन्त्री बने रहेंगे साफ़ नजर आता है।

चीन ने पूरे गर्मजोशी से पीएम मोदी का स्वागत किया यही नहीं जिनपिंग पहली बार प्रोटोकॉल तोड़कर किसी देश के नेता से मिले, इससे ये स्पष्ट होता है कि चीन को ये बात समझ आ गयी है कि वर्तमान परिदृश्य में उनके पास भारत और उसके प्रधानमंत्री को उच्च सम्मान देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। राजनयिक शब्दों में कहें तो किसी भी देश का सम्मान इस पर भी निर्भर करता है कि दूसरे देश का नेता यात्रा के दौरान कैसे बर्ताव करता है। ऐसे में पीएम मोदी की ये यात्रा मिल का पत्थर साबित होगी। वास्तव में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का मोदी के स्वागत के लिए बीजिंग से बाहर जाना ही इस यात्रा के महत्व के बारे में बताता है। पूरे दो दिन वो पीएम मोदी के साथ रहे और उनके साथ कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। ये पहली बार है जब चीनी राष्ट्रपति ने विदेशी नेता की ‘अनौपचारिक यात्रा’ की मेजबानी की। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मेजबानी से एक संकेत भी दिया। भारतीय पक्ष ने इस दुर्लभ संकेत के प्रति उत्साहजनक प्रतिक्रिया दी है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोगों को गर्व है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग उनके स्वागत के लिए प्रोटोकॉल तोड़ दिया।

सिर्फ चीनी राष्ट्रपति ने ही पीएम मोदी का स्वागत गर्मजोशी से नहीं किया बल्कि चीनी मीडिया ने भी इस पर नर्म प्रतिक्रिया दी। चीन की Xinhua न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के वर्षों में भारत और चीन के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हुए हैं। एक अधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, करीबी आर्थिक संबंध द्विपक्षीय बातचीत में सबसे बड़ा एजेंडा था और इस दौरान दोनों देशों ने पूरक अर्थव्यवस्थाओं को साझा किया जिससे सहयोग के लिए संभावनाएं बढेंगी। हैरानी की बात है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) भी इस यात्रा के महत्व को समझ चुकी है। इसके प्रवक्ता ने ये स्पष्ट किया कि पीएलए दोनों नेताओं के बीच सर्वसम्मति के आधार पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है।

दोनों देशों के लिए पिछला वर्ष तनाव भरा रहा था अब लगता है चीन उस तनाव से आगे बढ़ चुका है। भारत ने पहले डोकलाम विवाद पर चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था और इसके बाद मालदीव में राजनीतिक संकट को लेकर दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ा था। जापान की एक न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, मालदीव में राजनीतिक संकट के बीच चीन ने हिंद महासागर में अपने जहाजों को तैनात किया था। इन जहाजों को तैनात करने के पीछे चीन का मकसद इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने का था। हालांकि, चीनी जहाजों को भारतीय सरकार द्वारा दी गयी चेतावनी और समुद्री संघर्ष ने चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था।

हालांकि, ऐसी राजनीतिक परिस्थितियों ने चीन को भारत के साथ बातचीत करने के लिए मजबूर कर दिया। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत हुई है और यही वजह है कि चीन भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है। वैश्विक संबंधों में मजबूती के साथ भारत अब चीन के साथ बातचीत कर रहा है। चीन ने देखा कि भारत किस तरह से पूरी मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है, इस तरह चीन की विस्तारवादी नीति पर दबाव भी बना है। यहां तक कि वैश्विक स्तर पर चीन का अपना ख़ास मित्र भी डोकलाम विवाद पर उसकी मदद के लिए साथ नहीं आया था जिस वजह से चीन को भारत की वजह से पीछे हटना पड़ा था। इसके बाद चीन को ये सन्देश जरुर मिल गया था कि भारत को दबाया नहीं जा सकता। इसके अलावा, उत्तरी कोरिया और कोरिया के बीच बढ़ते संघर्ष ने चीन के लिए नयी मुश्किलें खड़ी कर दी थी जिसके बाद ट्रंप प्रशासन ने अपनी मजबूत नीति के तहत चीन को इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए कहा था। शायद यही वजह है कि चीन के रवैये में सीमा विवाद से आर्थिक सहयोग के लिए अचानक बदलाव आया है। जहां तक पीएम मोदी की बात है तो चीन न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में उनकी लोकप्रियता से अज्ञात नहीं होगा। चीनी कूटनीति दीर्घकालिक दृष्टिकोण और स्थिरता के लिए प्रसिद्ध है और अब तो शी के  शीर्ष पद पर जीवन भर आसीन रहने का रास्ता भी साफ़ हो चुका है, ऐसे में चीन पीएम मोदी पर भरोसा कर रहा है जो भारत में बदलाव को लेकर चर्चा में रहते हैं। पीएम मोदी पर चीन के दृण विश्वास से भारतीय सरकार दो देशों की प्राचीन सभ्यता सांस्कृतिक, व्यापार और राजनयिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए लंबा सफर तय करेगी।

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