अपने निर्वाचन क्षेत्र के बारे में राहुल की अज्ञानता से खतरे में छात्रों का भविष्य

राहुल गांधी केन्द्रीय विद्यालय

राहुल गांधी 2004 से अमेठी के संसद सदस्य हैं। विधानसभा या संसद के एक सदस्य होने के नाते उन्हें  अपने चुनावी निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ी हर बारीकी से अवगत होना चाहिए। एक सांसद अपने कर्तव्य का निर्वाह करने के लिए हमेशा तत्पर रहता है और माना जाता है कि वो अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़े सभी आवश्यक मामलों पर बातचीत के लिए हमेशा तैयार रहता है। खासकर तब जब संसद सदस्य लगातार अपने तीसरे कार्यकाल में हो और जिसने अपने पूरे कार्यालय का चौदह वर्ष पूरा कर लिया हो ऐसे में उससे ये उम्मीद तो की ही जा सकती है कि वो अपने क्षेत्र के प्रमुख अस्पतालों, शैक्षिक संस्थानों और राज्य संचालित स्कूलों आदि के बारे में जागरूक होगा।

हालांकि, राहुल गांधी ने एक बार फिर से अपनी विफल राजनेता की छवि को उजागर किया है जो आने वाले आम चुनावों को जीतकर प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखता है। उनके लापरवाही रवैया से 8 छात्रों के करियर को खासा नुकसान पहुंचा है। संसद सदस्य अपने निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय विद्यालय में वितरण प्रवेश योजना से अनजान तो नहीं होंगे, संसद के प्रत्येक सदस्य केन्द्रीय विद्यालय में प्रवेश के लिए 10 एडमिशन की सिफारिश कर सकते हैं, इस उद्देश्य के लिए एक कूपन नंबर हर सदस्य को आवंटित किया जाता है ताकि योजना के तहत सिफारिशों पर सुचारू रूप से अमल किया जा सके।

राहुल गांधी ने इस विवेकपूर्ण शक्ति का प्रयोग करते हुए इस योजना के तहत 10 छात्रों की सिफारिश की थी। जिनमें से 2 छात्रों को केन्द्रीय विद्यालय भेल जगदीशपुर में प्रवेश मिल गया था। लगता है राहुल गांधी अपने स्वयं के निर्वाचन क्षेत्र से अनजान हैं तभी तो अपने चुनावी निर्वाचन क्षेत्र की क्षेत्रीय सीमाओं से बाहर जाकर आठ अन्य छात्रों को केन्द्रीय विद्यालय में एडमिशन के लिए सिफारिश की। यही वजह है कि इन आठ छात्रों को केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) की आधिकारिक वेबसाइट और देश भर में केन्द्रीय विद्यालयों के प्रबंधन को देखने वाली प्रशासनिक विंग द्वारा अस्वीकार्य कर दिया गया था।

शायद शर्मिंदगी और उपहास से बचने के लिए बाद में राहुल गांधी ने आठ अन्य छात्रों का केन्द्रीय विद्यालय भेल जगदीशपुर में प्रवेश करवाया। इस तरह उन्होंने अपनी गलती पर पर्दा डाला और बाद में अन्य आठ को केवीएस वेबसाइट पर इस महीने के 27 वें अधिसूचना द्वारा अपडेट किया गया।

राहुल गांधी भाग्यशाली थे जो सार्वजानिक उपहास और मुख्यधारा की मीडिया द्वारा उजागर होने से बच गये। आश्चर्य की बात है कि मुख्यधारा की मीडिया के आउटलेट्स में इस खबर को नहीं दिखाया गया। किसी ने भी राहुल गांधी द्वारा की गयी गलती की ओर ध्यान नहीं दिया। हालांकि, इस मामले से जुड़ा कोई अपडेट तो नहीं है कि उन आठ छत्रों का क्या हुआ जो एक संसद सदस्य की गलती की वजह से अस्वीकार्य कर दिए गये थे जबकि उन छात्रों की इसमें कोई गलती नहीं थी। संसद सदस्य की गलती की वजह से छात्रों का करियर और शैक्षिक अवसर जोखिम में पड़ गया।

अपने इस कदम से राहुल गांधी ने एक बार फिर से देश का नेतृत्व करने की अपनी अक्षमता को सामने रखा है। वो पहले ही ये साबित कर चुके हैं कि वो हारे हुए नेता है जो ​​संगठनात्मक कौशल, राजनीतिक रणनीति और चुनाव अभियान के स्तर पर विफल रहा है। इस तरह की गलती के बाद उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि वो संसद सदस्य के रूप में भी विफल साबित हुए हैं । उन्हें अमेठी के बारे में कुछ नहीं पता जबकि वो संसद सदस्य के रूप में यहां अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि केवीएस एक प्रतिष्ठित सरकारी संगठन है। केन्द्रीय विद्यालय को पूरे भारत में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने वाले केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों के रूप में सम्मानित किया जाता है। इसलिए उम्मीद तो यही है कि एक ऐसा सदस्य जो आधे दशक से भी ज्यादा कार्यालय में रहा हो उसे अपने निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले केन्द्रीय विद्यालय के बारे में जानकारी होनी चाहिए। चुनावी निर्वाचन क्षेत्र को समझने के साथ साथ इस  हाल की स्थिति में नैतिक दायित्व भी लागु होती हैंजहां संसद सदस्य को विद्यालय में प्रवेश के लिए सिफारिश कर सकने की शक्तियां सौंपी गयी। हालांकि राहुल गांधी संसद सदस्य के रूप में इस मूल कर्तव्य का निर्वाह करने में असफल रहे हैं और इस बड़ी चूक के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए जिससे छात्रों का भविष्य प्रभावित हो सकता था।

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