ऐसा लगता है कि सुनंदा पुष्कर की रहस्यमयी मौत का मामला कांग्रेस नेता शशि थरूर की मुश्किलों को फिर से बढ़ाने आ गया है। दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ केस चलाने का फैसला लिया है जो कुछ नामी लोगों द्वारा बचते आयें हैं। हाल ही में आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस शशि थरूर पर सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 के तहत आत्महत्या करने के लिए उकसाने और धारा 201 के तहत सबूत मिटाने का मुकदमा चलाएगी। फाइव स्टार होटल में सुनंदा पुष्कर रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाई गई थीं, इससे एक दिन पहले शशि थरूर के साथ अफेयर को लेकर ट्वीटर पर उनकी अनबन एक पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से हुई थी। ये मामला दिल्ली पुलिस के एसआईटी जांच के अंतर्गत आता है। यहां तक कि सुनंदा के शरीर में कथित तौर पर पाए गये “जहर” की जांच में अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (एफबीआई) फॉरेंसिक लैब को भी शामिल किया गया था। यूएस की जांच एजेंसी एफबीआइ (फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) ने भी सुनंदा पुष्कर के शरीर में पाए गये ‘जहर’ का पता लगाने के लिए जांच की थीं।
ये पहली बार नहीं है जब सुनंदा की मौत को एक साजिश बताया गया है, इससे पहले जनवरी 2016 में दिल्ली के तत्कालीन दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने संकेत दिया था कि सुनंदा की मौत स्वभाविक नहीं है बल्कि उनकी मौत जहर की वजह से हुई है। उन्होंने आगे कहा था कि, एफबीआई की जांच से कुछ सुराग मिलें हैं जिससे दिल्ली पुलिस को आगे की जांच में मदद मिलेगी। दिल्ली पुलिस ने हत्या की आशंका पर मुकदमा दर्ज किया था इसके बाद ही एम्स मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ कि सुनंदा की मौत जहर की वजह से हुई थी। सूत्रों के मुताबिक उनके बायें हाथ पर दांत काटने का निशान पाया गया था, इसके अलावा उनके हाथ पर नीले रंग के निशान भी थे। तत्कालीन दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने ये भी कहा था कि हम पाकिस्तान की पत्रकार मेहर तरार और शशि थरूर के बीच के संबंधों की भी जांच करेंगे जिस वजह से सुनंदा पुष्कर और थरूर के बीच दरार पैदा हुई थी।
यहां तक कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी और एक वरिष्ट पत्रकार अरनब गोस्वामी ने पहले ही कहा था कि सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में सबकुछ ठीक नहीं है। इसके अलावा सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की भी मांग की थी। वो इस मामले में एक स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर काफी सक्रिय थे और इस मामले में सीबीआई की निगरानी में एसआईटी की जांच के लिए उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी।
अरनब गोस्वामी ने अपने विशेष प्रोग्राम में सुनंदा पुष्कर हत्याकांड को लेकर नया खुलासा किया था जिसपर अन्य मीडिया और कांग्रेस के मंत्रियों ने आपति जताते हुए कहा था कि मीडिया को इस तरह की खबरें दिखाने का कोई हक नहीं है। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने गोस्वामी को राहत देते हुए कहा था कि अरनब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के पास ये अधिकार है कि वो इस हत्याकांड मामले में तथ्यों पर आधारित खबरें दिखा सकतें हैं लेकिन वो थरूर का नाम नहीं ले सकते।
उदारवादी और लुटियंस के बुद्धिजीवियों ने हमेशा ही सुनंदा पुष्कर हत्याकांड मामले की जांच में शशि थरूर का बचाव किया है। उनकी हमेशा कोशिश रही है कि थरूर इस मामले की जांच से बचते रहें, भले ही ये मामला कितना भी संदिग्ध क्यों न हो ये उनका निजी मामला ही बना रहे। हालांकि, दिल्ली पुलिस द्वारा थरूर के खिलाफ चार्ज शीट दायर करने के निर्णय से गोस्वामी और सुब्रमण्यम स्वामी जरुर खुश होंगे। ऐसा लगता है कि सभी इस मामले में जो दावे कर रहे हैं वो वास्तविक है क्योंकि हो सकता है कि इस संदिग्ध मौत के पीछे कई ऐसे राज दफन हो लेकिन इस मौत की गुत्थी के सुलझने के बाद ही ये राज सामने आ पायेगा ।