कर्नाटक चुनाव: क्या अमित शाह कांग्रेस की आखिरी उम्मीद पर भी फेर देंगे पानी?

अमित शाह

जब चुनाव अभियान के लिए रणनीति बनाने की बात आती है तब बीजेपी अध्यक्ष और रणनीति बनाने में मास्टर अमित शाह से बेहतर कोई नहीं है। उनके नेतृत्व में पार्टी ने 2016 में महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और असम में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। 2017 में उनकी रणनीति की वजह से ही पार्टी को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भारी जीत मिली थी और मणिपुर में भी पार्टी की पकड़ मजबूत हुई। बीजेपी ने गोवा में 13 सीटों पर जीत हासिल की थी जिसके बाद मनोहर पर्रिकर वहां मुख्यमंत्री के रूप में लगातार चौथी सरकार की कमान संभाल रहे हैं। आज 2018 में भी बीजेपी ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। अपनी रणनीति से बीजेपी कर्नाटक राज्य में भी अपनी पकड़ बनाने में कामयाब हुई है, जहां कभी बीजेपी की उपस्थिति न्यूनतम हुआ करती थी। 2014 के आम चुनावों में पीएम मोदी के अभियान के दौरान अमित शाह उत्तर प्रदेश की इकाई का नेतृत्व कर रहे थे जहां बीजेपी ने 80 सीटों में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राज्य के इतिहास में पार्टी द्वारा हासिल किया गया ये सबसे अच्छा परिणाम था। 9 जुलाई 2014 में उनके संगठनात्मक कौशल और प्रबंधन शैली की वजह से उन्हें बीजेपी पार्टी अध्यक्ष और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और जब से उन्होंने पार्टी की कमान संभाली है तब से पार्टी हर चुनाव के बाद कामयाबी की नयी कहानी लिख रही है।

पार्टी में अमित शाह को कड़ी मेहनत और बेहतरीन प्रबंधन के लिए जाना जाता है। अमित शाह के पार्टी पर नियंत्रण से पहले बीजेपी की पूर्वोत्तर राज्य में उपस्थिति न्यूनतम थी, जबकि आज एनडीए का मिजोरम को छोड़कर सभी पूर्वोत्तर राज्यों पर शासन है। अमित शाह की कौशल रणनीति ही है कि कांग्रेस का शासन पंजाब, पुडुचेरी और मिजोरम तक ही सीमित रह गया है, जबकि बीजेपी 21 राज्यों पर शासन कर रही है। वो पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में बीजेपी की उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम रहे हैं वो राज्य जहां स्वतंत्रता के बाद से पार्टी अपनी उपस्थिति दर्ज करने में असफल रही थी।

चुनावी रणनीतियों का माइक्रो मैनेजमेंट और चुनाव अभियानों का कुशल प्रबंधन अमित शाह की शैली की विशेषता है। वो हर बूथ स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं को बीजेपी के लिए कम से कम 50 मतदाताओं को लाने की सलाह देने के लिए जाने जाते हैं। मोदी-शाह की जोड़ी ने अपने व्यावहारिकता और कुशल तरीकों के माध्यम से भारत को भगवा रंग में रंगने में कामयाब रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जातिवाद की राजनीति के बावजूद वहां उन्होंने अपनी रणनीति से पार्टी की जीत सुनिश्चित की थी। अमित शाह पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं, और उनके नेतृत्व में बीजेपी 10 करोड़ से अधिक सदस्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है, यहां तक ​​कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन से भी बड़ी पार्टी बन गयी है।

कर्नाटक के हाल के चुनाव में उनके नेतृत्व में बीजेपी कांग्रेस के सिद्धारमैया के साथ-साथ जेडी(एस) के देवेगौड़ा को हराने में सफल हुई है। बीजेपी राज्य में सबसे अधिक सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। शायद अभी भी कर्नाटक में कांग्रेस की रणनीति को एक और झटका लगना बाकी था, दरअसल, अगर रिपोर्टों पर विश्वास करें तो कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार कांग्रेस पार्टी से खफा नजर आ रहे हैं और वो सरकार बनाने के लिए बीजेपी से बातचीत कर रहे हैं। कांग्रेस के कम से कम 4 और जेडी (एस) से कई ऐसे विधायक हैं जो बीजेपी के संपर्क में हैं।

अमित शाह का कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए रेड्डी भाइयों को वापस लाने का कदम बीजेपी के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ है। रेड्डी भाइयों ने कर्नाटक में बेलारी और रायचुरा और चित्रदुर्ग के आसपास के जिलों में कठिन संघर्ष के बाद जीत का आनंद उठा रहे हैं। रेड्डी भाइयों की मदद से बीजेपी इस क्षेत्र में कम से कम 8 सीटें जीतने में कामयाब हुई है।

व्यावहारिक और सामरिक दृष्टिकोण के साथ अमित शाह अपनी चतुर रणनीति से बीजेपी को आगे बढ़ाने में कामयाब हुए हैं तभी तो आज ये पार्टी देश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

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