मोदी सरकार के 4 साल बाद औसत भारतीय परिवार के खाद्य व्यय का विस्तृत अध्ययन, और ये आश्चर्यजनक रूप से कम हैं!

खाद्य मुद्रा स्फीति

नरेंद्र मोदी सरकार ने 26 मई 2018 को अपने कार्यकाल के चार साल पूरे कर लिए हैं। इन चार वर्षों में प्रधानमंत्री ने भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कई साहसिक निर्णय लिए हैं। व्यवसाय के लिए ये चार वर्ष सबसे फलदायी अवधि में से एक रहा है। एक सरल अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था शुरू की गई है, कुछ महत्वपूर्ण भूमि और श्रम सुधार लागू किए गए हैं, गैर-निष्पादन योग्य संपत्ति (एनपीए) को दिवालिया और शोधन अक्षमता संहिता (इन्‍सॉलवेंसी एंड बैंकरप्‍सी कोड) द्वारा हल किया जा रहा है, कॉरपोरेट कर की दरों को कम किया गया और नतीजतन व्यापार रैंकिंग के लिए ये अभी तक का उच्च समय है। पिछले वित्त वर्ष की तिमाही के बाद से इन सुधारों का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर 8 फीसदी के रूप में दिखाई दिया है। भारत को कल्याणकारी राज्य बनाने के लिए प्रयास जारी हैं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना, सब्सिडी के हस्तांतरण के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना (डीबीटीएस) आदि इसके कुछ उल्लेखनीय उदाहरण हैं। भ्रष्टाचार, कालेधन और आतंकवाद से लड़ने के लिए नोटबंदी का ऐतिहासिक कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी हद तक औपचारिक बनाने में सफल साबित हुआ है और इससे देश के करदाताओं के आधार में वृद्धि हुई है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह पहले की तुलना में अभी तक सबसे ज्यादा रहा है।

ये सभी मोदी सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं, लेकिन इन सभी विषयों में से ख़ास ये है कि मोदी सरकार देश में मुद्रा स्फीति दर को कम करने में कैसे सक्षम रही है।

कांग्रेस सरकार के आखिरी वर्षों में मुद्रा स्फीति दर 6-10 प्रतिशत के बीच रही थी और ये कांग्रेस सरकार की बुरी तरह से हार की मुख्य वजहों में से एक था।

मुद्रा स्फीति दर की तुलना में खाद्य मुद्रा स्फीति की दर कम रही है। वास्तव में शुरूआती महीनों में खाद्य मुद्रा स्फीति की दर के आंकड़े नकारात्मक रहे हैं और ये धीरे-धीरे बढ़ा भी लेकिन जीएसटी की वजह से इसकी दर में गिरावट आयी। इस ग्राफ से स्पष्ट है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से समग्र मुद्रा स्फीति में खाद्य मुद्रा स्फीति का योगदान घटा है।

अधिकतर दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं को 0-5 प्रतिशत के टैक्स स्लैब में रखा गया है जिससे खाद्य मुद्रास्फीति की दर घटी है।

चलिए ये सब छोड़िये। आइए मान लीजिए कि एक परिवार में चार सदस्य हैं – शर्मा जी, उनकी पत्नी, उनकी बेटी और उनके बेटे। शर्मा जी परिवार में एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति हैं और वे नई दिल्ली के लक्ष्मी नगर में रहते हैं।

हमने 2014 में शर्मा जी के परिवार के खर्चों का एक ब्यौरा तैयार किया है और अब इसकी तुलना 2018 के खर्चों से करते हैं। कृपया ध्यान दीजिये कि हमने यहां दैनिक जीवन में शामिल 15 किराने की वस्तुओं को सूचीबद्ध किया है जो लगभग हर मध्यम श्रेणी परिवार की खरीदारी की सूची का उल्लेख करता है।

अनुमान:

1). ये गणना एक परिवार का है जिसमें चार सदस्य हैं, इस परिवार के अनुमानित मासिक खपत पर ये गणना आधारित है।

2). इस गणना का अनुमानित समय अप्रैल 2014 और अप्रैल 2018 है।

3). इन कीमतों का स्त्रोत http://agmarknet।nic।in और farmer।gov।in है।

इसीलिए चार सदस्यों का मध्यम वर्ग परिवार खाद्य और किराना वस्तुओं पर 145 रुपये प्रति माह बचा रहा है, जबकि परिवारों की औसत आय देश के आर्थिक विकास के अनुपात में बढ़ी है जो प्रति वर्ष 7 से 8 प्रतिशत के बीच रहा है।

देश में खाद्य कीमतें नोटबंदी के बाद से उल्लेखनीय रूप से कम हुई हैं जबकि वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। नोटबंदी ने अवैध जमाखोरों की कमर तोड़ दी है क्योंकि जमाखोरों के पास पर्याप्त नकदी नहीं था जिससे वो लंबे समय तक वस्तुओं को जमा करके रख सकें।

इससे पहले ये जमाखोर जमा की हुई नकदी का इस्तेमाल थोक में उत्पादों को खरीदने के लिए करते थे। जब उत्पादों की कीमत कम हुआ करती थी तब ये जमाखोर जमा पैसों का इस्तेमाल कर थोक में उत्पादों को खरीदने के लिए करते थे और जब उत्पाद महंगे होते थे तब इन उत्पादों को बेच दिया करते थे। ऐसे जमाखोरों की गतिविधियों पर तब रोक लगी जब मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था में अधिक पारदर्शिता के लिए नोटबंदी का फैसला लिया था।

इसलिए, ये निष्कर्ष निकला कि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आयी है तब से आम परिवारों के घरेलु व्यय में कमी आयी है जबकि उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है और इसका श्रेय खाद्य मुद्रा स्फीति दर में कमी को जाता है। ये वाहनों (चार पहिया और दो पहिया) की बढ़ती खरीद, रीयल एस्टेट में बढ़े निवेश, आभूषण आदि से भी स्पष्ट हुआ है। ऐसे में ये कल्पना करना सही होगा कि शर्मा जी के परिवार के पास अब अपनी एक कार है जो उनके पास 2014 में नहीं थी। शर्मा जी की पत्नी ने पिछले धनतेरस पर एक नया हार लिया होगा और उनके बच्चे अब अक्सर ही वाटर पार्कों में जाते होंगे।

शर्मा जी और उनके जैसे अन्य मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए ये अच्छा रहा है। देश में जीवन की गुणवत्ता में निश्चित सुधार के लिए दूरदर्शी सरकार का धन्यवाद किया जाना चाहिए।

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