कर्नाटक में बहुमत के लिए अमित शाह के पास है तीन विकल्प

अमित शाह कर्नाटक

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी राज्य में 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा गुरुवार की सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। हालांकि, बीजेपी बहुमत के आंकड़े से 8 कदम दूर है ऐसे में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन कर सरकार बनाने के लिए जद्दोजहद शुरू कर चुकी है। बुधवार को येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मुलाकात की थी जिसके बाद उन्होंने कर्नाटक में सीएम की शपथ लेने की घोषणा कर दी थी। अपनी घोषणा के अनुरूप वो मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। इससे पहले कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा की थी और कहा था कि वो जेडीएस के मुख्यमंत्री उम्मीदवार एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार हैं। जेडीएस ने कांग्रेस के इस ऑफर को बिना देरी किये स्वीकार भी कर लिया। बीजेपी और कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन, दोनों ही दलों के सदस्यों ने राज्यपाल से मुलाकात की और कर्नाटक में अपनी सरकार बनाने के लिए अपने दावे किये। येदियुरप्पा की घोषणा के बाद भी, कांग्रेस और जेडीएस विधायक एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चला रहे थे।

कर्नाटक में सरकार किसकी बनेगी इसे लेकर कर्नाटक में बुधवार को हाई वोल्टेज ड्रामा जारी रहा। हालांकि, बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार ने गुरुवार को सीएम पद की शपथ ले ली है, लेकिन सच तो ये है कि बीजेपी के पास बहुमत का जादुई आंकड़ा नहीं है, बहुमत के लिए बीजेपी को 8 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में बीजेपी के पास बहुमत पाने के लिए तीन विकल्प हैं।

पहला, कांग्रेस के विधायक डीके शिवकुमार जोकि कांग्रेस के मजबूत नेता हैं। नतीजे आने के बाद उन्होंने कहा था कि उनके समर्थन में 10 विधायक हैं और वो कर्नाटक में सेक्युलर सरकार चाहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार उनके साथ एक निर्दलीय विधायक भी है। वो कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री बनना चाहते हैं लेकिन जेडीएस ने पहले ही ये घोषणा कर दी है कि वो अपने उम्मीदवार परमेश्वर को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनायेंगे। सोशल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वो अमित शाह के साथ समपर्क में हैं। चुनाव के नतीजे आने के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि चुनावी भविष्य के मद्देनजर अभी कांग्रेस के पास कुछ नहीं बचा है। ऐसे में डीके शिवकुमार ने कांग्रेस के साथ डूबने की बजाय दूसरा विकल्प चुना। अमित शाह जरुर ही इस मौके का फायदा उठाएंगे।

दूसरा, कई लिंगायत विधायक कांग्रेस के फैसले से खुश नहीं है और कुमारस्वामी जोकि वोक्कालिगा समुदाय से हैं, ऐसे में हो सकता है ये विधायक बीजेपी को अपना समर्थन दें। कांग्रेस के फैसले से गुस्साए विधायकों ने कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन पर कहा कि इस फैसले से लिंगायत मतदाता कांग्रेस से अलग हो जायेंगे। हद तो तब हो गयी जब कांग्रेस के तीन विधायक, राजशेखर पाटिल, नागेंद्र और आनंद सिंह भी कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन से खुश नजर नहीं आये। उनकी नाराजगी के प्रमुख कारणों में से एक लिंगायत समुदाय के वोट है। उन्हें लगता है कि इसका असर 2019 में होने वाले आम चुनावों पर पड़ेगा। दरअसल, लिंगायत कर्नाटक की आबादी का 17 प्रतिशत है ऐसे में उनतक ये सन्देश पहुंचेगा कि कांग्रेस-जेडीएस अपने गठबंधन से लिंगायत के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लिंगायत विधायक एचडी कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री बनाए जाने से नाखुश हैं और वो सभी बीजेपी के संपर्क में हैं। बहुमत के लिए ये बीजेपी के लिए संभावित परिदृश्यों में से एक हो सकता है।

आखिर में बीजेपी जेडीएस के कुछ विधायकों से भी संपर्क कर रही है। बीजेपी और जेडीएस दोनों ही कांग्रेस के विपक्ष में थे। जनता ने जेडीएस को वोट दिया क्योंकि वो पूरी तरह से कांग्रेस को हटाना चाहते थे, जेडीएस ने कांग्रेस के खिलाफ जहां भी चुनाव लड़ा है उन जगहों पर जीत दर्ज की है। कर्नाटक के मतदाताओं का जनादेश कांग्रेस के खिलाफ था, यही कारण है कि कांग्रेस को इसबार सिर्फ 78 सीटें ही मिल पायी है और पिछली बार से उसे 43 सीटों का नुकसान हुआ है। यदि जेडीएस कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है तो इससे उसके मतदाताओं में नाराजगी व्यापत हो जाएगी जिससे वो सभी 2019 के संसदीय चुनावों में जेडीएस के खिलाफ अपना वोट डाल सकते हैं। जो भी जनादेश जेडीएस को मिला है वो कांग्रेस के खिलाफ है। कांग्रेस-जेडीएस के बीच गठबंधन स्पष्ट रूप से कांग्रेस के खिलाफ लोगों के जनादेश की उपेक्षा करता है।

जहां तक धन शक्ति की बात है तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के पास बहुत है। ऐसे में विधायकों का रुख तो उसी दिशा में होगा जिस दिशा में उन्हें अपना भविष्य ज्यादा बेहतर होने की संभावना प्रदान करता हो। हाल के वर्षों में अगर देखें तो पोस्ट-पोल के अंकगणित अनुसार, अमित शाह और बीजेपी को इस संबंध में ज्यादा लाभ मिल सकता है।

सभी उपरोक्त संभावनाओं के दरवाजे खुले हैं। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि कर्नाटक की राजनीति क्या नया मोड़ लेने वाली है। सभी की निगाहें अमित शाह पर टिकी हैं।

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