अन्ना हजारे से मुंह मोड़ लेने वाले अरविंद केजरीवाल आंदोलन के बाद जब उभर कर सामने आये थे और अपनी एक अलग पार्टी बनाई थी तब कुछ लोगों ने उन्हें मौके का फायदा उठाने वाला तो कुछ ने क्रांतिकारी का लेबल लगाया था। 2011 में लोकपाल बिल की मांग को लेकर चलाए गये आंदोलन के बाद आम आदमी पार्टी का उदय हुआ था जिसका लक्ष्य था देश को भ्रष्टाचार की राजनीति से मुक्त करना। आज ये पार्टी खुद ही भ्रष्टाचार में लिप्त है और पूरे देश में हंसी का पात्र बनकर रह गयी है। अभी हाल ही में पीडब्ल्यूडी घोटाले के सिलसिले में अरविंद केजरीवाल के रिश्तेदार की गिरफ्तारी ने उनके भ्रष्टाचार मुक्त के मुखौटे को उजागर किया है।
विनय बंसल अरविंद केजरीवाल के साढ़ू के बेटे हैं जिन्हें 2015-16 पीडब्ल्यूडी घोटाले में जाली बिलों को मंजूरी देने के आरोप में एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार किया है। केजरीवाल पर शनि मंदिर से लेकर बकोली गांव के नाले का सुधार कार्य करने के लिए बंसल के कथित जाली बिलों को मंजूरी देने का आरोप है।
इसके अलावा ये भी आरोप लगे हैं कि साढू की कंपनी को रोड और सीवर के दिए गये ठेकों में अनियमितता की गयी है। इसी के संबंध में एसीबी ने सुरेन्द्र बंसल के परिसर में छापेमारी की और उन्हें इस मामले में थोड़ी सफलता भी मिली है। एसीबी की छापेमारी के बाद जो दस्तावेज और सबूत हाथ लगे हैं उसे बंसल के खिलाफ तीन रिपोर्ट दर्ज किये गये। हालांकि, किसी भी FIR में अरविन्द केजरीवाल का नाम नहीं है लेकिन ये असंभव सा लगता है कि इतना बड़ा घोटाला हो गया और भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा को इसकी भनक भी नहीं लगी।
एनजीओ रोड एंटी-करप्शन आर्गनाइजेशन (RACO) के संयोजक राहुल शर्मा के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी घोटाले में वित्तीय अनियमितताओं के कारण राज्य सरकार को 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की हानि हुई है। वो एक ऐसे मामले में शामिल थे जिसने एसीबी को घोटाले की जांच के लिए मजबूर किया और आम आदमी पार्टी के दोहरे मानकों को उजागर किया। जब राहुल शर्मा गाजियाबाद जा रहे थे उसी दौरान कुछ अज्ञात हमलावरों ने उनकी कार पर गोली चलाकर हमला किया था। हालांकि, इस हमले से राहुल खुद की जान बचाकर भागने में कामयाब रहे थे। उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को दी और उनसे पीडब्ल्यूडी घोटाले मामले में एंटी-करप्शन ब्यूरो को शामिल करने का आग्रह किया। विडंबना ये है कि, केजरीवाल जो खुद को भ्रष्टचार के खिलाफ लड़ने वाला योद्धा कहा था और पूरी पारदर्शिता के साथ राजनीति करने और भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात कही थी वही पार्टी भ्रष्टाचार में लिप्त है।
ये विडंबनापूर्ण है कि केजरीवाल जो अपने रिश्तेदारों को भ्रष्टचार और गंदी राजनीति करने से नहीं रोक पाए वो दावा करते हैं कि वो देश में भ्रष्टचार को खत्म करने में सक्षम हैं। शुंगलू की रिपोर्ट में उनकी पार्टी के ही स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का प्रायोजित भ्रष्टाचार और खुल्लेआम वंशवाद का मामला उजागर हुआ था। ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी भ्रष्टचार विरोधी विचारधारा के उलट असली पहचान को जनता के सामने रखा है। एक ऐसा अवसरवादी, योजनाबद्ध राजनेता जो अपने समर्थकों को झूठे वादों से गुमराह करता है।