कर्नाटक के चुनाव के बाद ममता बानर्जी ने नए सीएम एचडी कुमारस्वामी के लिए एक गुप्त बधाई ट्वीट किया था जिसमें 2019 के लिए उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षा की घोषणा की थी, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी नयी रणनीति को सामने रखा है। एक बयान में, कानपुर के सचेंडी इलाके में नकली शराब से होने वाली मौतों के लिए उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को 2019 में होने वाले आम चुनावों में बीजेपी के खिलाफ तीसरे मोर्चे का मुख्य चेहरे के रूप में चित्रित किया।
Democracy wins. Congratulations Karnataka. Congratulations DeveGowda Ji, Kumaraswamy Ji, Congress and others. Victory of the 'regional' front
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) May 19, 2018
मुख्यमंत्री योगी पर हमला करने के साथ अखिलेश यादव ने कहा कि योगी सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है। अखिलेश ने कहा कि, “जबसे योगी सीएम बने हैं तबसे कुत्ते बच्चों पर हमला करने लगे हैं और किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।” इसके अलावा अखिलेश ने कानपूर में नकली शराब से हुई मौत के मामले में योगी सरकार को दोषी ठहराया जबकि योगी सरकार ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए इसकी जांच के आदेश दिए हैं।
कोई भी उनके द्वारा मढ़े गये दोषों को नजरअंदाज कर सकता था अगर उन्होंने अपने बयान में आने वाले लोकसभा चुनाव का जिक्र न किया होता। उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी पूरे विपक्ष के साथ बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ेगी। नेतृत्व के लिए सर्वसम्मति से राष्ट्रीय मोर्चे के लिए एक नेता चुना जाएगा, और ये नेता हमारे ‘नेताजी’ भी हो सकते हैं। ”
और ये ‘नेताजी’ और कोई नहीं बल्कि अखिलेश यादव के पिता हैं। मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के अनुभवी नेता हैं। इंदिरा गांधी के शासन में लगे इमरजेंसी के दौरान अन्य विरोधी नेताओं के साथ उन्हें भी जेल भेजा गया था।
गुंडावाद को सहयोग देने और अपराधियों को संरक्षण देने के लिए जाने जातें है मुलायम जी लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए मुलायम ने काफी संघर्ष भी किया है। यही नहीं संयुक्त मोर्चे की गठबंधन सरकार जब बनी थी तब देवगौड़ा व इन्द्र कुमार गुजराल मंत्रालयों में 1996 से 1998 तक वो देश के रक्षा मंत्री भी रहे थे।
अखिलेश यादव ने ये घोषणा ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षाओं के सामने आने के बाद की है जिसने वर्तमान की राजनीति को दिलचस्प मोड़ दे दिया है। कर्नाटक चुनावों में बीजेपी की हार के साथ फुलपुर और गोरखपुर उपचुनावों की जीत से उत्साहित, पूर्व सीएम अखिलेश यादव अब इस निर्णय के साथ नया खेल खेल रहे हैं।
उनकी ये रणनीति सफल होगी या नहीं ये आगामी कैराना लोकसभा उपचुनाव और मध्य प्रदेश के चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। विडंबना ये है कि, क्या किसी ने इस पूरे बयान में बसपा का जिक्र न किये जाने पर गौर किया? वो पार्टी जिसके साथ समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव में बीजेपी को हराने के लिए हाथ मिलाया था। अब अखिलेश यादव ने 2019 में प्रधानमंत्री पद की दौड़ के लिए इस बसपा पार्टी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया और यदि ममता 2019 में मिलने वाले मौके को लेकर गंभीर हैं तो शायद वो इस मौके को अपने हाथ से नहीं जाने देंगी।
अखिलेश यादव के बयान के बाद से 2019 के चुनावों की राह ने एक नया मोड़ ले लिया है। पीएम मोदी ने अभी 2019 के लिए अधिकारिक तौर पर कई बड़ा कदम नहीं उठाया है ऐसे में शुरुआत में ही इस तरह की झड़पों ने गठबंधन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। वैसे अगर संयुक्त विपक्ष बीजेपी को चुनावों में जीत दर्ज करने से रोक पाने में असफल हो जाता है तो इसमें कोई आश्चर्य करने वाली बात नहीं होगी क्योंकि जनता के जनादेश के सहारे बीजेपी एक नए रूप में सत्ता में वापसी करेगी।