रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ठुकराया मुफ्ती का रमजान के दौरान कश्मीर में सीजफायर का सुझाव

केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आतंकवादियों और पत्थरबाजों के लिए कड़ी चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा है कि रमजान उपवास और अमरनाथ यात्रा के दौरान भी भारत विरोधी ताकतों को कोई राहत नहीं मिलेगी।  दरअसल, जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सरकार से रमजान और अमरनाथ यात्रा को देखते हुए कश्मीर में सीजफायर की मांग की थी लेकिन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनकी मांग को ख़ारिज कर दिया। दरअसल, अगर उनकी मांगों को स्वीकार किया गया तो ये भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के आतंक और राज्य में विरोधी तत्वों के खिलाफ सक्रिय अभियान बाधित होगा। एक पल के लिए इस अपील ने आतंकवाद के प्रति सहानुभूति व्यक्त किया है जो अमानवीय आतंकवादियों के मानवाधिकारों का समर्थन करता है।

हालांकि, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सीजफायर की मांग को ख़ारिज करके आतंकवादी सहानुभूतिकारियों और उनके प्रति माफ़ी का भाव रखने वालों की उम्मीदों को झटका दिया है। वर्तमान समय की तरह ही रमजान महीने के दौरान भी भारतीय सेना आतंकवादियों का खात्मा करेगी। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया है कि आतंक के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जायेगी। भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ अपनी पूरी ताकत के साथ लड़ेगी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है और भारतीय सेना को इस क्षेत्र में आतंक के खात्मे का कार्य सौंपा गया है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सेना को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को जारी रखना होगा जो जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ देश के बाकी हिस्सों में शांति और सद्भाव को भंग करने की कोशिश करता है।

रिपोर्ट्स की मानें तो बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती की गैर जिम्मेदार मांग की निंदा की है। साथ ही इस मांग को स्पष्ट रूप से ख़ारिज कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा आतंक के मामले में राजनीतिकरण से जनरल बीपिन रावत भी चकित थे।

इस बयान के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये स्पष्ट कर दिया है कि घाटी में शांति को बनाए रखना और आतंक के खिलाफ लड़ाई जारी रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। रमजान के दौरान आतंकवाद को बढ़ावा देने की मांग आधारहीन है। धर्म की आड़ में आतंकवाद और अतिवाद को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। वास्तव में, जो दावा करते हैं कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता उन्हें धर्म की आड़ में आतंकवादियों का बचाव करने का कोई अधिकार नहीं है। जो लोग ये दावा करते हैं कि एकतरफा सीजफायर की मांग से घाटी में शांति और सौहार्द की स्थिति बनेगी तो उन्हें इस गलतफहमी और भ्रम से बाहर निकलने की जरुरत है। घाटी में सेना नहीं बल्कि आतंकवाद शांति को भंग करता है। सेना की कार्रवाई ही इस तरह के विघटनकारी तत्वों से निपटने का एकमात्र तरीका है। महबूबा मुफ्ती के सुझाव के विपरीत भारतीय सेना को रमजान महीने के दौरान ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि उस दौरान कोई अप्रिय घटना न हो सके। रमजान का समय काफी संवेदनशील होता है जब आतंकवादी राज्य में जनता की राय जीतने के लिए शांत और कानून पालन करने वाले नागरिकों से उनका समर्थन पाने के लिए भावनात्मक प्रयास कर सकते हैं। ऐसे में वो समय हमारे पुरुषों की परीक्षा की घड़ी होगी जिन्हें रमजान के दौरान आतंकवाद और धार्मिक उग्रवाद से निपटने के लिए पूरी आजादी दी जानी चाहिए क्योंकि एकतरफा सीजफायर की घोषणा उन्हें कमजोर और असहाय बना देगा।

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