पीएम मोदी की हत्या की साजिश करने वाला ISIS का संदिग्ध गिरफ्तार

पीएम मोदी साजिश

गुजरात एटीएस और मोदी सरकार को आतंकवाद के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है। गुजरात एटीएस ने अंकलेश्‍वर की एक अदालत में आरोप पात्र दायर करते हुए बताया है कि पीएम मोदी की हत्या की साजिश की गयी थी।  रिपोर्ट के अनुसार संदिग्ध आतंकी उबैद मिर्जा को पीएम मोदी की हत्या की साजिश के लिए निर्देश दिए गये थे। आईएस के संपर्क वाले सोशल मीडिया ऑपरेटर ने खुद को ‘फरारी’ के रूप में संदर्भित किया था, उसने उबैद मिर्जा को एक संदेश भेजा था, “हाँ, चलो मोदी को स्नाइपर राइफल से मारते हैं।” बयान के सबूत को उबैद मिर्जा के पेन ड्राइव और मैसेजिंग ऐप द्वारा फिर से प्राप्त कर लिया गया है।

उबैद मिर्जा पेशे से वकील रह चुका है जिसे लेब तकनीशियन मोहम्मद कासिम स्टिम्बरवाला के साथ मिलकर पीएम मोदी की हत्या की साजिश के सिलसिले में गुजरात एटीएस ने 25 अक्टूबर 2017 को गिरफ्तार किया था। पिछले महीने की रिपोर्ट में बताया गया था कि दोनों अहमदाबाद के खडिया क्षेत्र में एक यहूदी सिनेगॉग पर बड़े हमले की योजना बनाई थी। 26/11 हमलों की तरह ही  दोनों ने पूरे मुंबई पर आतंकवादी हमला करने की भी योजना बनाई थी क्योंकि यहूदी की संख्या अहमदाबाद की तुलना में मुंबई में ज्यादा है। 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों में कई यहूदी मारे गए थे, सेमिटिक विरोधी जिहादियों ने नरीमन प्वाइंट क्षेत्र पर हमला कर फिर से यहूदीयों को मारने की योजना बनाई थी।

अब इस बात का खुलासा हुआ है कि ये दोनों एक और बड़े आतंकवादी हमले की योजना बना रहे थे। ये दोनों पीएम मोदी जोकि इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं उनकी हत्या की साजिश कर रहे थे। हालांकि, ऐसा लगता है कि सुरक्षा एजेंसियां ​​लगातार सुरक्षा की दृष्टि से काफी सतर्क हैं तभी तो सुरक्षा एजेंसियों ने बड़े आतंकवादी हमले की साजिश को विफल कर दिया है। तथ्य ये है कि पीएम मोदी दोनों आतंकियों की हिट सूची में थे, ऐसे में गुजरात एटीएस द्वारा ये गिरफ्तारी और महत्वपूर्ण हो जाती है। पीएम मोदी ने 2014 के आम चुनावों से पहले आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने और आतंक को हराने की बात कही थी। अपने शब्दों के मुताबिक, उन्होंने पिछले चार वर्षों में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को तेज कर उसकी कमर तोड़ने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं। जबकि वो संवेदनशील क्षेत्र जहां आंतकवादी परंपरागत रूप से सक्रिय थे वहां से उनके संपर्क को तोड़ दिया गया साथ ही उन्हें देश में अलग थलग कर उनकी गतिविधियों पर नकेल कसी गयी। इसी का नतीजा है कि किसी भी बड़े शहर में कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ है। यहां तक ​​कि उनके गढ़ क्षेत्रों में भी सुरक्षा बलों ने अपनी पकड़ मजबूत कर उनके वित्त पोषण को भी रोक दिया है। यूपीए के दिनों में देश को हिलाकर रख देने वाले बड़े आतंकवादी हमलों के विपरीत पीएम मोदी की सरकार में आतंक पर नकेल कसी गयी है। पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद से भारत में सक्रीय आतंक की नीव को हिलाकर रख दिया है, ऐसे में लाजमी है कि आतंकी उन्हें लक्षित करने की कोशिश करेंगे। पीएम मोदी के प्रोटोकॉल तोड़ने और आम जनता से जुड़ाव की उनकी शैली को देखते हुए किसी भी आंतकी गतिविधियों को सफल होने से रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को सार्वजनिक क्षेत्र में और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है और पीएम मोदी की सुरक्षा को और मजबूत  करने की जरुरत है।

पीएम मोदी की हत्या की साजिश कोई आश्चर्य की बात नहीं है। देश के अंदर और बाहर दोनों ही जगह उनके दुश्मन मौजूद हैं। पीएम मोदी जबसे राजनीतिक क्षेत्र में बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं तबसे वो से ऐसे दुश्मनों और कट्टरपंथियों के लक्ष्य पर रहे हैं। जिन नेताओं को पीएम मोदी से एक बार नहीं बल्कि बार-बार हार का मुंह देखना पड़ा है वो भी पीएम मोदी की हत्या की साजिश को सफल होने की दुआ करते हैं।

राजनीतिक विरोधी जैसे सुनेत्रा चौधरी चाहती थीं कि पीएम मोदी को स्वाइन फ्लू हो जाए। अन्य आलोचक जैसे संजीव भट्ट भारत में उच्चतम न्यायालय के चक्कर काटने के बाद भी पीएम मोदी के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश करते रहे हैं। वहीं, 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान सहारनपुर में एक कांग्रेसी नेता ने धमकी देते हुए कहा था कि, ‘नरेन्द्र मोदी को बोटी-बोटी काट देंगे’।

इसके अलावा, पाकिस्तान के सहानुभूतिकारियों जोकि नियमित रूप से पीएम मोदी के खिलाफ रहे हैं वो कई बार आतंकवादी राष्ट्र का पक्ष लेते हुए नजर आते हैं। उनमें से कुछ तो ऐसे भी हैं जिन्होंने पाकिस्तान से पीएम मोदी को किसी भी कीमत पर रोकने के लिए आग्रह किया है। ये विशेष रूप से परेशान करने वाला और भयावह है कि राजनीतिक विरोधी प्रधानमंत्री के खिलाफ लड़ाई में आतंकवादियों का सहयोग करने के लिए भी तैयार हैं। जब इस बात का खुलासा हो गया था तब भी सहारनपुर कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने माफी माँगने से इंकार कर दिया था। इससे ये स्पष्ट हो जाता है कि कैसे राजनीतिक विरोधी प्रधानमंत्री को हराने के लिए किसी भी स्तर तक गिरने के लिए तैयार हैं, यहां तक कि उनकी हत्या करने की योजना का पूर्ण समर्थन करने के लिए भी तैयार हैं।

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