कर्नाटक के चुनावी मैदान में राहुल बनाम मोदी नहीं बल्कि नामदार बनाम कामदार है

राहुल गांधी पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कर्नाटक के चुनावी जंग के मैदान में कदम रख दिया है और अपनी पहली रैली के साथ ही उन्होंने चुनाव का कार्यभार अपने कंधों पर ले लिया है। कर्नाटक चुनाव इसलिए भी बहुत ख़ास हैं क्योंकि इसके नतीजे दक्षिण भारत में प्रवेश करने और पकड़ बनाने की बीजेपी की महत्वाकांक्षा को पूरा करने की चाभी है। वर्तमान समय में कर्नाटक एक बड़ा चुनावी जंग का मैदान बन चुका है जहां कांग्रेस ने एक बड़ी गलती करते हुए येदियुरप्पा से हटकर इस लड़ाई को पीएम मोदी बनाम सीएम सिद्धारमैया की लड़ाई बना दिया है। ऐसे में पीएम मोदी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए राजनीतिक लड़ाई के मैदान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को शामिल कर लिया है।

एक तरफ उन्होंने खुद को एक इमानदार, कामदार व्यक्ति के रूप में दर्शाया है जिसने अंधेरे में डूबे कई गांवों को बिजली की व्यवस्था कर उन्हें उजाला किया है। वहीं, दूसरी तरफ राहुल गांधी है जिन्हें वंशवाद की राजनीति का टैग मिला है जोकि 15 मिनट का भाषण भी बिना कागजी नोट के नहीं दे सकते। उन्होंने इस चुनावी जंग को नाम दिया है नामदार (वंशवाद) बनाम कामदार। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राहुल गांधी द्वारा लगाये गये आरोपों का तुरंत जवाब देते हुए कहा-

हाल ही में कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री ने बीजेपी पर खानदानी होने का आरोप लगाया था और कहा था कि कांग्रेस पार्टी पर बीजेपी खानदानी होने का आरोप लगाती है लेकिन बीजेपी कांग्रेस की तुलना में कहीं ज्यादा ‘खानदानी’ है। अब इस बयान से कांग्रेस के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री ने खुद ही बता दिया कि कांग्रेस ‘खानदानी’ है। वहीं, मंत्री से दूसरी गलती हुई अपने दावों को सिद्ध करने के लिए तथ्यों की कमी।

येदियुरप्पा के बेटे को चुनाव लड़ने के लिए टिकट से वंचित कर दिया गया तो ऐसे में क्या ये वंशवाद की राजनीति है ?

इसके विपरीत कांग्रेस ने सीएम सिद्धारमैया और उनके बेटे डॉ. यतींद्र को विधानसभा सीट के लिए टिकट दिया गया है। इसके अलावा पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के सगे संबंधियों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया है। यही नहीं गृह मंत्री रामालिंगा रेड्डी और उनकी बेटी सौम्य रेड्डी (जयनगर), कानून मंत्री टीबी जयचंद्र (सिरा, टुमकुर) और उनके बेटे संतोष (चिकन्याकानाहाल्ली) से, अनुभवी कांग्रेस नेता शमनूर शिवशंकरप्पा (धारवाड़ दक्षिण) और उनके बेटे  एसएस मल्लिकार्जुन (धारवाड़ उत्तर) और आवास मंत्री एम कृष्णप्पा (विजयनगर) और उनके बेटे प्रिया कृष्ण (गोविंदराजनगर) को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया है।

राहुल गांधी ने चुनौती देते हुए कहा था कि अगर मुझे संसद में 15 मिनट के लिए बोलने दिया जाए तो मोदी मेरे सामने खड़े नहीं हो पाएंगे। इस चुनौती के जवाब में पीएम मोदी ने कहा, “राहुल गांधी बिना पेपर नोट के 15 मिनट तक किसी भी भाषा में जिसे बोलने में वो सहज हो उसी भाषा में कर्नाटक सरकार की उपलब्धियों पर बोल कर दिखायें। इसके अलावा अपने भाषण में विश्वेश्वरैया का नाम 5 बार लें और कर्नाटक के लोगों को अपनी काबिलियत साबित करके दिखायें।” बता दें कि राहुल गांधी अपनी एक रैली में कर्नाटक की महान हस्ती मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का नाम ठीक से नहीं ले पाए थे। पीएम मोदी ने अपने इस बयान से राहुल गांधी का मजाक बना दिया है।

इस तथ्य से तो सभी वाकिफ हैं कि पिछले चार वर्षों में पूरे देश में गांधी विरोधी भावनाएं बढ़ी हैं और ये भावना उन क्षेत्रों में भी देखा गया जहां कांग्रेस की पकड़ को मजबूत माना जाता था। ऐसे में कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के प्रचार को नामदार बनाम कामदार कहना ज्यादा उचित होगा। इस समीकरण में पीएम मोदी को घसीटना कांग्रेस की बड़ी गलती है क्योंकि हाल के हफ्तों में अपने बयानों से कांग्रेस ने अपनी लोकप्रियता को कम किया। इस चुनावी मैदान में पीएम मोदी के आ जाने से ये लड़ाई कांग्रेस के लिए अपने ही क्षेत्र में जहर निगलने के समान होने वाली है क्योंकि ये लड़ाई सिर्फ दो पार्टियों की नहीं बल्कि नामदार बनाम कामदार की लड़ाई है। आज की जनता नाम को नहीं काम को ज्यादा तवज्जों देती है और ये सच्चाई कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित होगी जो जनता को विकास के नाम पर भ्रष्टाचार और घोटालों का उपहार देती आई है।

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