बीजेपी आम आदमी पार्टी की वर्तमान की लोकप्रियता से लाभ उठा रही है और ये अम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। ABP न्यूज- सी वोटर के सर्वे के मुताबिक यदि आज विधानसभा चुनाव होते हैं तो बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है जहां बीजेपी को 38 फीसदी तो वहीं आम आदमी पार्टी को 39 फीसदी वोट शेयर मिल सकते हैं। इसका मतलब ये है कि 2015 के विधानसभा चुनावों में 54.3 फीसदी वोट शेयर पाने वाली आम आदमी पार्टी को इस बार के चुनाव में 15 फीसदी की गिरावट का सामना करना पड़ सकता है जबकि बीजेपी का वोट शेयर 10 फीसदी तक बढ़ने जा रहा है। ABP न्यूज- सी वोटर का ये सर्वे केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी के लिए ये चिंताजनक है। ये दर्शाता है कि आप आदमी पार्टी की लोकप्रियता तेजी से घट रही है।
आम आदमी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव और भी बुरे साबित होने वाले हैं। ABP न्यूज- सी वोटर के सर्वे के नतीजों में बताया गया है कि यदि लोकसभा चुनाव आज करवाएं जाते हैं तो आम आदमी पार्टी कांग्रेस के 24 फीसदी वोट शेयर से थोड़ा ज्यादा 25 फीसदी वोट शेयर ही सुरक्षित कर पायेगी। वहीं, बीजेपी 40 फीसदी वोट शेयर के साथ बड़े विजेता के रूप में उभरेगी। इससे स्पष्ट है कि जब नेतृत्व और लोकप्रियता की बात आती है तब केजरीवाल का पीएम मोदी से कोई मेल ही नहीं है। यही वजह है कि आम चुनावों की बात आते ही दिल्लीवासी केजरीवाल की जगह पीएम मोदी को चुनेंगे।
लगता है दिल्लीवासी केजरीवाल सरकार से खुश नहीं हैं तभी तो ABP न्यूज- सी वोटर के सर्वे में 32 फीसदी लोगों ने कहा कि दिल्ली सरकार का प्रदर्शन अच्छा नहीं है और वो आम आदमी पार्टी की नीति से सहमत नहीं है। ये दर्शाता है कि केजरीवाल सरकार के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी है जो 2020 के विधानसभा चुनावों में और बढ़ जाएगी।
ये सर्वे तब सामने आया है जब आम आदमी पार्टी अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरा कर चुकी है। 2020 के चुनावों में अभी काफी वक्त है और उससे पहले ही केजरीवाल सरकार बड़े पैमाने पर सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। दिल्ली की जनता पहले ही केजरीवाल की नीति से असंतुष्ट है। ये असंतुष्टि और बढ़ने वाली है और उम्मीद की जा रही है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की बड़े अंतर से हार होगी जोकि इस सर्वे के आंकलन से भी ज्यादा होगा। ठीक ऐसा ही कुछ 2020 में होने वाले चुनावों में भी देखने को मिलेगा लेकिन उस समय वर्तमान सरकार के प्रति लोगों के बढ़ती निराशा और असंतुष्टि की भावना की वजह से आम आदमी पार्टी इस रेस से बाहर हो जाएगी। ऐसे में 2020 में दिल्ली चुनाव एकतरफा होगा जिसमें बीजेपी स्पष्ट रूप से विजेता बनकर उभरेगी भले ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दूसरे स्थान पर लड़ रहे हों।
मुख्यमंत्री केजरीवाल गलत दिशा-निर्देश और कुशासन के प्रतिक हैं। पिछले तीन वर्षों में केजरीवाल ने वो सबकुछ किया है जोकि एक मुख्यमंत्री से करने की उम्मीद नहीं की जा सकती और उन्होंने कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया है जिसकी सराहना की जाए। उनके आक्रामक दृष्टिकोण ने उनकी कोई मदद नहीं की। वो लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल और प्रधानमंत्री से बिना कारण उलझते रहे। लोगों ने महसूस किया कि केजरीवाल अपने खराब प्रदर्शन की वजह से मिली हार के लिए दूसरों पर ठीकरा फोड़ते हैं। हाल ही में केजरीवाल अपने धरने से सामने आये थे जोकि उन्होंने लेफ्टिनेंट गवर्नर के निवास पर धरना किया था जिससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिल सका। इसके अलावा जिस भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी के रूप में कभी ये पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी वो छवि भी दिखावटी साबित हुई और दिल्ली की जनता इसे यूं ही नहीं जाने देगी। ऐसे में हम ये कह सकते हैं कि आम आदमी पार्टी 2015 में एक बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी वो कुछ भी नहीं बल्कि दिल्ली द्वारा एक असफल प्रयोग है। आम आदमी पार्टी अभी भी अपने रवैये में कोई बदलाव नहीं कर रही है ऐसे में ये पार्टी धीरे-धीरे भारतीय राजनीति के परिदृश्य में अप्रासंगिक हो रही है।