थोड़ी तारीफ़ अरुण जेटली की भी, मोदी कैबिनेट के काबिल लेकिन नज़रंदाज़ किये जाने वाले मंत्री

अरुण जेटली

अरुण जेटली का राजनीतिक व्यक्तित्व अधिकतर लोगों द्वारा गलत समझा गया है। बीजेपी के आलोचक उन्हें सत्ता का चापलूस मानते हैं तो बीजेपी के समर्थक उन्हें इलीटिस्ट और बीजेपी के लिए उपयुक्त नहीं मानते।कुछ लोग तो उन्हें कांग्रेसमैंन भी कहते हैं लेकिन सच इन सभी से भिन्न है। अरुण जेटली काफी समझदार, बढ़िया प्रवक्ता और महान व्यक्ति हैं। उन्होंने बीजेपी को नई उच्चाईयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे तब वो गुजरात में बीजेपी के प्रभारी थे और वहां उन्होंने मोदी जी के साथ बेहतरीन तालमेल स्थापित किया था। 2002 में गुजरात दंगों के दौरान जब सभी सीएम मोदी को राजधर्म न निभा पाने से उन्हें बर्खास्त करना चाहते थे तब भी वो दृढ़ता से उनके साथ खड़े थे। वो 2014 के आम चुनावों में पीएम मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने की विचारधारा के समर्थकों में से एक थे। एनडीए की सरकार बनने के बाद उन्हें सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय वित्त मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। वित्त मंत्री और कारपोरेट कार्य मामलों के मंत्री के रूप में उनकी उपलब्धियां पूर्व मंत्रियों में अतुलनीय हैं क्योंकि अपने चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान, अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर में हुए मौलिक सुधार पूर्व शासन की तुलना में कहीं बेहतर है।

जीएसटी को लाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, एक अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जो कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण लगभग एक दशक तक रुका हुआ था। उन्होंने भारत के राज्यों के वित्त मंत्रियों को एकजुट कर जीएसटी को अंतिम रूप दिया। कांग्रेस शासन के विपरीत उन्होंने राज्यों में जीएसटी को लागु करने और इससे होने वाली मुश्किलों को सुना और फिर सभी को एक व्यापक समाधान दिया। नोटबंदी जैसे बड़े आर्थिक फैसले से देश को अपनी आर्थिक वयवस्था को औपचारिक करने और कालेधन पर हमला करने में मदद मिली, उनके मार्गदर्शन में ही इसे लागू किया गया था। इन फैसलों के बाद शुरुआत में भारत की आर्थिक व्यवस्था की रफ़्तार धीमी थी लेकिन कुछ महीनों बाद ही वो देश की आर्थिक व्यवस्था को वो सही ट्रैक पर ले आये।

देश में रोजगार के अवसरों की सबसे बड़ी संरचनात्मक समस्या ये थी कि पूंजीवादी शासन होने के बावजूद हमारे पास कड़े कानून नहीं थे जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि बाजार को जिस कंपनी से नुकसान उठाना पड़ रहा है उसे बाहर किया जा सके। इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) को इस समस्या को हल करने और जिन इकाइयों से नुकसान हो रहा है उनके निकास को सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था। नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) की समस्या जो बैंकों के लिए सिरदर्द बन गया था उससे निपटने में इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड से काफी मदद मिली है और पब्लिक सेक्टर के बैंक  जो एनपीए के सबसे बड़े उधारकर्ता थे उन बैंकों को अब अपना पैसा वापस मिल रहा है। मुंबई में संपत्तियों की बढ़ी कीमतें न्यूयॉर्क के लगभग बराबर होने के साथ रियल एस्टेट सेक्टर की समस्या काफी बढ़ चुकी थीं। करों से बचने के लिए भ्रष्ट व्यापारियों द्वारा अरबों डॉलर के काले धन को अचल संपत्ति में बदला जा रहा था। अरुण जेटली के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय ने रियल स्टेट सेक्टर में बढ़ती समस्या से निपटने के लिए रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (RERA) लेकर आये। अब संपत्ति की कीमतों को स्थिर करने के साथ ये कहा जा सकता है कि ये अधिनियम रियल स्टेट सेक्टर को बदल रहा है।

जेटली की उपलब्धियों में नेट टैक्स की बढ़ोतरी भी शामिल है जो उनके कार्यकाल में लगभग दोगुनी हो गयी है। देश की मैक्रो इकॉनोमी में स्थिरता कम मुद्रास्फीति और कम राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के साथ अच्छी स्थिति में है। देश का कारोबारी सुगमता यानी इज ऑफ डूंइंग बिजनेस रैंकिंग अभी तक के समय में सबसे उच्चतम रहा है और भारतीय बाज़ार को वैश्विक निवेशकों द्वारा दुनिया में सबसे अच्छा गंतव्य माना जा रहा है। आईएमएफ जैसे वैश्विक संस्थान, विश्व बैंक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए देश की प्रशंसा कर रहे हैं। अरुण जेटली को भारतीय अर्थव्यवस्था की मैक्रो इकॉनोमी में स्थिरता लाने और निजी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद भारत को दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाने के लिए उनके प्रयासों की सराहन की जानी चाहिए।

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