इतिहास में ये लिखा जाना चाहिए कि औरंगजेब ने जबरन कश्मीरी पंडितों का कराया था धर्म परिवर्तन : सीएम योगी

सीएम योगी औरंगजेब

PC: Zee News - India.com

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सच बोलने के लिए जाने जाते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। सच की ओर उनका झुकाव बीते कल एक बार फिर से देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि “औरंगजेब ने कश्मीरी पंडितों का जबरदस्ती धर्म परिवर्तित किया था।” इससे पहले सीएम योगी ने विदेशी आक्रमणकारियों के समक्ष घुटने न टेकने के लिए महाराणा प्रताप की सराहना की थी। उन्होंने तब आगे कहा था कि, “महाराणा प्रताप ने साबित किया कि वो अकबर नहीं था जो महान था बल्कि महाराणा प्रताप थे जिन्होंने आखिरकार अपने दुर्ग किले को वापस जीता था।“ इतिहासकार का मुखौटा पहने हुए वामपंथी फिक्शन लेखकों की तुलना में सीएम योगी को इतिहास के बारे अधिक जानकारी है।

इस बार उन्होंने स्पष्ट रूप से कश्मीर समस्या और आज कश्मीर ऐसा क्यों है, इसका मूल कारण बताया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को लखनऊ में बंजारा समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “कश्मीरी पंडितों पर जब औरंगजेब का अत्याचार प्रारंभ हुआ था, औरंगजेब से मुक्ति के लिए कश्मीरी पंडितों का एक समूह गुरु तेग बहादुर के पास दिल्ली में आता है और अपनी पीड़ा बताता है कि जबरदस्ती हमारा धर्म परिवर्तन जो रहा है, हमें दबाया जा रहा है, अपमानित किया जा रहा है।”

सीएम योगी ने इसे आगे विस्तार से बताया कि सिख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर कश्मीरी पंडितों को बचाने के लिए सामने आए थे और उन्हें औरंगजेब से नहीं डरने के लिए कहा था। उन्होंने कहा, “गुरु तेग बहादुर ने कश्मीरी पंडितों से कहा था कि औरंगजेब से जाकर कहो कि धर्मांतरण के लिए तैयार हैं, लेकिन तभी जब उनके गुरु धर्मांतरण करेंगे। औरंगजेब को लगा ये बहुत आसान काम है और औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को गिरफ्तार कर उन्हें अनेक प्रकार की यातनाएं देनी शुरू कर दी, लेकिन गुरु तेग बहादुर टस से मस नहीं हुए।”

अपने इस बयान से एक बार फिर से सीएम योगी ने लाखों दलों को जीत लिया। न सिर्फ अकबर और औरंगजेब, हिंदुओं को सभी मुस्लिम और मुगल शासकों के अधीन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। लेकिन किसी हिंदू शासक ने मुस्लिम विषयों के साथ कभी ऐसा नहीं किया। मुस्लिम आक्रान्ताओं के क्षमा प्रार्थियों ने इतिहासकार का मुखौटा पहन कर मुगलों की बर्बरता पर पर्दा डाल दिया और उन्हें इतिहास की किताबों में उदार शासकों के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

कश्मीर हमेशा से भारतीय सभ्यता और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। कश्मीर को अपना नाम कश्यप ऋषि से मिला है। ये 1990 तक सीख और ज्ञान का स्थान रहा है। अभिनव गुप्त जैसे महान विद्वान कश्मीर में जन्मे थे। कश्मीर में कई संस्कृत के विद्वान जन्मे भी और अपना कर्तव्य भी निभाया। महान भारतीय सम्राट अशोक ने श्रीनगर शहर की स्थापना की थी। अशोक के शासन में कश्मीर में कई बौद्ध विद्वान बसे और इस प्रकार कश्मीर ने बौद्ध शिक्षा और दर्शन के प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये दर्शन, कविता, संगीत, कहानियों आदि का एक स्थान हुआ करता था लेकिन घाटी में इस्लाम के आगमन के बाद ये सब बदल गया है। कश्मीरी पंडितों, कश्मीर के जातीय लोगों को इस्लामवादियों के हाथों उत्पीड़न का सामना करना पड़ता था।

उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता था और हजारों हिंदू मंदिरों को तबाह कर दिया गया था। नरसंहार करने वालों ने आज हत्या और रूपांतरण की घटनाओं से कश्मीर को स्वर्ग से नरक बना दिया है। कश्मीरी हिंदुओं के खिलाफ आतंकवाद का ये शासन सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह की सेना द्वारा कश्मीर के मुस्लिम शासकों को हराए जान के बाद रुका था और कश्मीर इस तरह से 40 वर्षों के लिए महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य का हिस्सा बन गया। इसके बाद अंग्रेजों ने सिखों को हराया लेकिन अंग्रेजों को कश्मीर में दिलचस्पी नहीं थी इसलिए उन्होंने 1846 में कश्मीर को डोगरा राजवंश के राजा महाराजा गुलाब सिंह को बेच दिया। डोगरा राजवंश ने पूरे जम्मू, कश्मीर और लद्दाख (अविभाजित) पर 1947 तक शासन किया। इसके बाद जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 में अपनी रियासत के भारत में विलय के लिए विलय-पत्र पर दस्तखत किए थे जिसके बाद से कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया था।

वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास को इस तरह से तोड़-मोड़ कर पेश किया जिसमें उन्होंने अत्याचार करने वाले को पीड़ित और पीड़ितों को अत्याचारी बना दिया।

इसीलिए इतिहास को जानना बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जो लोग इतिहास को भूल जातें हैं वो बार बार वही गलती दोहराते हैं जो निंदा के पात्र बनकर रह जातें हैं। अब ये देखना अच्छा लगता है कि राज्य एक ऐसे नेताओं द्वारा शासित हैं जिन्हें इतिहास के तथ्यों से जुड़ा कोई भ्रम नहीं है। जैसा कि हॉवर्ड जिन्न द्वारा कहा गया है, “इतिहास महत्वपूर्ण है। यदि आप इतिहास नहीं जानते हैं तो ऐसा लगता है कि आप कल ही पैदा हुए थे। और यदि आप कल पैदा हुए थे तो कोई भी जिसके पास शक्ति है वो आपको कुछ भी बता सकता है और आपके पास उसका सच जानने के लिए कुछ भी नहीं होगा।” ये बताता है कि कैसे इतिहास हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है।

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