रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एएन-32 सौदे में रिश्वत की खबर को बताया झूठा

रक्षा मंत्रालय

वर्तमान की बीजेपी सरकार को घोटाले से जोड़ने के लिए मीडिया की हताशा एक अलग ही स्तर पर पहुँच गयी है। वे अब मोदी सरकार और संबंधित संस्थाओं के खिलाफ धड़ल्ले से झूठी खबरें दिखा रहीं हैं जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस ने एक गुमराह करने वाली खबर प्रकाशित की थी जिसमें आरोप लगाया गया कि एएन-32 के पार्ट्स के सौदे में भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने ग्लोबल मार्केटिंग एसपी लिमिटेड से 17.5 करोड़ की रिश्वत ली है।

जैसे ही ये खबर सामने आई ये फेक न्यूज़ जंगल में आग की तरह फैल गयी कि भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने एएन-32 के पार्ट्स के सौदे के लिए रिश्वत लिया था। कुछ मीडिया हाउस और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस फेक न्यूज़ को बढ़ावा दिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे बीजेपी का ‘बोफोर्स मोमेंट’ के रूप में चित्रित करने की कोशिश की। उन्होंने मौका देखते ही इसका फायदा उठाकर ट्विटर पर मोदी सरकार पर हमला किया। उन्होंने ट्वीट करके लिखा, “भारत के (मोदी) अफसर और रक्षा मंत्रालय के एक अफसर पर करोड़ों डॉलर की रिश्वत के आरोप लगे हैं। उसे एएन-32 सौदे में दुबई के रास्ते यूक्रेन सरकार से रिश्वत मिली। खुद को चौकीदार बताने वाले मोदी जी, मैं आपसे मांग करता हूं कि इस भ्रष्ट अफसर के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई करें।“

न सिर्फ राहुल गांधी बल्कि कांग्रेस पार्टी और उसकी राज्य की विभिन्न राज्य इकाइयां इस अफवाह को #BJPDefenceScam हैशटैग का इस्तेमाल कर तेजी से फैलाने में जुट गयीं।

हालांकि, सच ये है कि ये यूक्रेन सरकार है जिसने भारत सरकार से अपने सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जांच में मदद करने के लिए कहा था। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीजेपी को लक्षित करने के उनके प्रयास को विफल कर दिया। रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस कंपनी से कोई समझौता नहीं किया गया है और इस तरह उन्होंने सभी अफवाहों को ठंडा कर दिया। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि इसमें यूक्रेन से अपने अधिकारियों की जांच के लिए कानूनी मदद मांगी गई थी। उन्होंने ट्वीट किया, ” एक गुमराह करने वाली खबर कि रक्षा मंत्रालय के अफसर ने एएन-32 के सौदे में ग्लोबल मार्केटिंग एसपी लिमिटेड से रिश्वत लिया है। ये सूचित किया जाता है कि एमओडी या आईएएफ ने न तो बातचीत की है और न ही उनके साथ किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और न ही इस तरह के किसी भी समझौता देखा गया है।”

पिछले चार वर्षों में पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की वजह से विपक्ष के पास मोदी सरकार पर हमला करने के लिए मुद्दे नहीं हैं और यही वजह है कि वो आधारहीन मुद्दों को चित्रित करने की सख्त कोशिश कर रहे हैं जैसे कि ये अगला बोफोर्स बनाने की कोशिश। ये पहली बार नहीं है जब विपक्ष ने पीएम मोदी सरकार के खिलाफ झूठे भ्रष्टाचार के मामलों के जरिये उन्हें लक्षित कर उनकी स्वच्छ और ईमानदार छवि को खराब करने की कोशिश की हो। इससे पहले बीजेपी कैबिनेट के कोयला और रेल मंत्री पियूष गोयल पर भ्रष्टचार में लिप्त होने के आरोप लगाये थे। कांग्रेस और वामपंथी के पारिस्थितिकी तंत्र ने पीएम मोदी के कैबिनेट के सबसे ईमानदार और मेहनती मंत्रियों में से एक के खिलाफ तैयार किये गये झूठे आरोपों के आधार पर उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा था जोकि बाद में पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया गया था।

हालांकि, पियुष गोयल ने राहुल गांधी द्वारा लगाये गए आरोपों का दृढ़ता से सामना किया था। पियुष गोयल ने ट्वीट किया था कि वो “कामदार” (कार्यकर्ता) थे और राहुल गांधी की तरह “नामदार” (राजवंश) नहीं थे।

न सिर्फ बीजेपी मंत्रियों बल्कि बीजेपी नेताओं के परिवार के सदस्यों को भी नहीं बख्शा गया था। बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह पर लेफ्ट और कांग्रेस के पारिस्थितिकी तंत्र ने भ्रष्टाचार के फर्जी आरोप लगाया था। चूंकि बीजेपी सरकार सत्ता में है, इसलिए लुटियंस मीडिया बीजेपी सरकार पर निशाना साध रही है और फर्जी भ्रष्टाचार के मामलों को बढ़ावा देकर बीजेपी की छवि खराब करने में जुटी हुई है। उन्होंने न्यायाधीश लोया की प्राकृतिक मौत को संदिग्ध दिखाकर विवाद को बढ़ावा देने की कोशिश की थी। लुटियंस मीडिया ने पीएम मोदी की सरकार पर राफेल सौदे, नीरव मोदी, विजय माल्या, ललित मोदी, अरुण जेटली पर डीडीसीए और कई अन्य धोखाधड़ी के आरोप लगाये जोकि बाद में फेक साबित हुए और अधिकतर मामलों में ये कांग्रेस थी जो जिम्मेदार पाई गयी थी। फिर भी, टीआईएनए कथा से पीड़ित मीडिया ने अपने पसंदीदा मालिकों के गलत कार्यों के लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराया और हर बार इन्हें मुंह की खानी पड़ी। कांग्रेस और वामपंथी मीडिया भूल जाते हैं कि देश अब एक ईमानदार सरकार द्वारा शासित है न कि वंशवादी अन्तरंग पूंजीपतियों द्वारा शासित है। अगर वे सभी इस शासन के ‘बोफोर्स मोमेंट’ होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं तो उन्हें सिर्फ निराशा मिलेगी। तब तक उनकी फेक न्यूज़ फ़ैलाने की कोशिशें ऐसे ही विफल होती रहेंगी।

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