महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस देश के सबसे कम उम्र के राजनेताओं में से एक हैं और युवा भारत की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। फडणवीस ने रविवार को मुंबई और पुणे के बीच परिवहन के लिए हाइपरलूप परिवहन व्यवस्था को लागू करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए वर्जिन हाइपरलूप वन के परीक्षण स्थल का दौरा किया। मुख्यमंत्री ने अमेरिका के नेवाडा में स्थित वर्जिन हाइपरलूप वन के सीईओ और बोर्ड के सदस्य रॉब लॉयड से मुलाकात की। मुंबई और पुणे के बीच हाइपरलूप सर्विस शुरू होने से दोनों शहरों की 200 किमी की दूरी 25 मिनट में तय की जा सकेगी।
फरवरी में मुंबई में मैग्नेटिक महाराष्ट्र शिखर सम्मेलन में वर्जिन ग्रुप के चेयरमैन रिचर्ड ब्रैनसन ने भारत में हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के लिए विचार व्यक्त किया था। रिचर्ड ब्रैनसन वर्जिन हाइपरलूपवन के निवेशकों में से एक हैं जो इस परियोजना को लागू करेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “महाराष्ट्र सरकार मुंबई-पुणे बीच परिवहन के लिए हाइपरलूप परिवहन व्यवस्था लाने की कोशिश में है जिससे इन दो बड़े शहरों की दूरी कम होकर 25 मिनट रह जाएगी। वर्जिन हाइपरलूप जल्द ही पुणे में अध्ययन के लिए अपने इंजीनियरों को भेजेगा, पुणे क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (PMRDA) ) ने हाइपरलुपवन सर्विस के शुरुआती परीक्षण के लिए पुणे में 15 किलोमीटर के ट्रैक की पहचान कर ली है, यदि चीजें योजना के मुताबिक चली तो मुंबई-पुणे के बीच हाइपरलूप परिवहन व्यवस्था 2024 तक तैयार हो जाएगी।”
सरकार ने दावा किया कि हाइपरलूप प्रणाली के लिए 70 प्रतिशत निर्माण सामग्री और अन्य जरूरी चीजें महाराष्ट्र में ही उपलब्ध हैं। ये परियोजना लगभग 200 मिलियन डॉलर की अनुमानित लागत के साथ ‘मेक इन महाराष्ट्र’ को भी बढ़ावा देगी। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे कुछ अन्य राज्य दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ने के लिए इस प्रणाली के इस्तेमाल पर विचार कर रहे हैं। तेज रफ्तार यातायात से जोड़ने के लिए हाइपरलूप प्रणाली सबसे सटीक साधन है। हवाई जहाज से भी तेज रफ्तार वाले हाइपरलूप के अंतर्गत खंभों के ऊपर (एलीवेटेड) पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाती है। इसके भीतर बुलेट जैसी शक्ल की लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है। इसका पहला ओपन सोर्स डिज़ाइन टेस्ला और स्पेस X की संयुक्त टीम द्वारा जारी किया गया था।
हाइपरलूप टेक्नोलॉजी से आने वाले दशकों में परिवहन प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद है। ये हवा की गति की तरह तेज है यदि नहीं भी तो भी ये पर्यावरण के अनुकूल है। इस परियोजना से सालाना 1.5 लाख टन तक ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में भारी कमी आएगी। मुंबई-पुणे मार्ग देश के सबसे व्यस्त मार्गों में से एक है, जहां अच्छी कनेक्टिविटी के बावजूद सड़क और हवाई यातायात पर ट्रैफिक अधिक है। हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के प्रमुख खिलाड़ी हाइपरलूप वन है जो वोडाफोन फेम अरबपति निवेशक रिचर्ड ब्रैनसन और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के नेतृत्व में हैं। रिचर्ड ब्रैनसन वायरलेस टेलीफोन टेक्नोलॉजी में क्रांतिकारी बदलाव के लिए जाने जाते हैं, जबकि एलन मस्क एक नामी उद्यमी है जो डिजिटल भुगतान और इलेक्ट्रिक कारों जैसे उद्योगों में बड़े बदलावों के लिए जाने जाते हैं। दुनिया के दो सबसे प्रतिभाशाली लोगों ने हाइपरलूप टेक्नोलॉजी में भारी निवेश किया है जो इस क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी के सफल होने की संभावना को बढ़ावा देता है।
सीएम देवेंद्र फडणवीस जबसे सत्ता में आये हैं तबसे उन्होंने राज्य की समस्याओं को सुलझाने के लिए अपने पिटारे से कई समाधान निकालें हैं। उदाहरण के तौर पर जलयुक्त शिवार योजना राज्य में सूखे की दशकों पुरानी समस्या को हल कर रही है। इस गर्मी के चार महीनों में 12000 गांवों को पानी के लिए सिर्फ 152 टैंकरों की आवश्यकता पड़ी थी जो पहले पूरी तरह से टैंकर पर निर्भर रहते थे। इन क्षेत्रों में पानी के टैंकर में कमी आयी है। जहां 2011 में 379 टैंकरों की आवश्यकता पड़ती थी वहीं 2017 में ये संख्या 366 हो गई थी। ‘मेक इन महाराष्ट्र’ की पहल ने राज्य में फॉक्सकॉन, वर्जिन ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों से अरबों डॉलर का निवेश किया है। पश्चिमी लाइन और सेंट्रल लाइन पर मुंबई मेट्रो का काम बड़ी तेजी से चल रहा है क्योंकि फडणवीस महाराष्ट्र का आधुनिकीकरण करने और भविष्य में इसे नए तौर पर पेश करने की सोच रहे हैं।