एक बार फिर से बीजेपी के लिए समय अच्छा नहीं चल रहा था इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस पार्टी के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर उभरे। फड़नवीस ने अपने प्रभाव से महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए एक बड़ा बदलाव लाया है। गठबंधन सरकार चलाते हुए उन्होंने अपने गठबंधन के सहयोगी को सीमित कर दिया है और बीजेपी को राज्य में स्थापित किया है। महाराष्ट्र में हुए उपचुनावों में बीजेपी ने पालघर लोकसभा सीट जीत लिया है। बीजेपी के राजेंद्र गावित को 2,72,782 वोट मिले जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी श्रीनिवास चिंतामन वनगा को 2,43,210 मत प्राप्त हुए। इससे पहले बीजेपी ने देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में न सिर्फ शिवसेना को हराया था बल्कि उनसे बीएमसी को लगभग छीन लिया था और 2014 के बाद से अधिकांश नगरपालिका और पंचायत चुनाव में जीत दर्ज की थी। जिस तरह से उन्होंने एक विरोधी सहयोगी को संभाला और सरकार चलाने के साथ विरोधियों को उनकी जगह दिखाई ये उनकी शानदार राजनीतिक शैली को दर्शाता है। प्रत्येक नगरपालिका चुनाव से प्रत्येक उपचुनाव में जहां बीजेपी 2014 तक गठबंधन में जूनियर पार्टनर हुआ करती थी आज वही पार्टी बड़ी जीत के साथ उभरी है। शिवसेना मतदाताओं की इच्छाओं को पूरा करने में असफल रही है इसलिए मतदाताओं ने अपना रुख बीजेपी किया और हर स्थानीय चुनाव में बीजेपी को वोट दिया।
फड़नवीस का प्रशासनिक और विकासात्मक ट्रैक रिकॉर्ड उनकी राजनीतिक कौशल से मेल खाता है। 2014 तक बीजेपी को ज्यादातर राज्यों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला लेकिन फड़नवीस के अंतर्गत महाराष्ट्र की जनता दृढ़ता से पार्टी के साथ रही है। वो असाधारण गति के साथ बुनियादी ढांचे के विकास के लिए काम कर रहे हैं, चाहे वो नागपुर मेट्रो हो, पुणे मेट्रो हो, नागपुर-मुंबई सुपर एक्सप्रेस वे (समृद्धि महामार्ग) को नई गति देना हो। महाराष्ट्र में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए उन्होंने भरपूर कोशिश की और सफल भी हुए। जल संरक्षण के लिए महाराष्ट्र सरकार ने ‘जलयुक्त शिवार’ अभियान चलाया जिसके लिए महाराष्ट्र सरकार को सराहा भी गया। महाराष्ट्र में लगातार एक के बाद एक दो सालों तक पड़े भयानक सूखे के बावजूद उन्होंने कृषि सेक्टर बहुत अच्छी तरीके से संभाला था। महाराष्ट्र का उद्देश्य साल 2019 तक राज्य को सूखा रहित बनाना है। किसान के मुद्दों को हल करने के लिए वो अपने स्तर पर सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं। उनकी सरकार ने किसानों को कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) में शामिल हुए बिना सीधे खुले बाजार में अपने उत्पादों को बेचने की इजाजत दी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई थी। सबसे सही और योग्य आरक्षण में से एक में महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अनाथों के लिए 1% कोटे को मंजूरी दी।
वो बेकार मुख्यमंत्री नहीं हैं। यहां तक कि उनके आलोचकों का भी मानना है कि वो नम्र, इमानदार, विनम्र, गैर-विवादास्पद, हमेशा मुस्कुराने वाले, नम्रता के साथ बात करने वाले और जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। कई राज्यों में बीजेपी की मुश्किलों को लेकर अक्सर चर्चा रहती है लेकिन महाराष्ट्र में फड़नवीस नि:संदेह चीजों को शानदार ढंग से संभालने में कामयाब रहे हैं। जिस तरह से उन्होंने अन्ना हजारे के आंदोलन को संभाला वह सराहनीय है। उन्होंने खुद को एक बड़ा नेता साबित किया है। महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस ने बीजेपी के किले को मजबूती से संभाला है।
हालांकि गोंदिया-भंडारा सीट पर कांटे की टक्कर रही लेकिन बीजेपी ने पालघर लोकसभा सीट जीत आसानी से जीत ली। गोंदिया-भंडारा में एनसीपी के मधुकर कुकड़े ने बीजेपी के हेमंत पटले को कम संख्या के अंतर से हराया है। कुकड़े ने 2,08,883 वोट हासिल किए, जबकि बीजेपी के हेमंत पटेल ने 1,88,300 वोट हासिल किये।